ये संस्कार ही है
जो सबकुछ छिन जाने के बाद भी
कश्मीरी पंडित नहीं बनते आतंकी ...
अलगाववादी नेता के पुत्र जुनैद ने सही बात कही कि गन कल्चर आपको कहीं नहीं ले जायेगा आपको तर्कों के साथ सामने आना होगा उसने कश्मीर के लिए जंग लड़ रहे आतंकियों से पूछा है कि क्यों वहाँ के गरीब हाथो में बंदूके उठा रहे हैं, नेताओं के पुत्र विदेशो में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं और नेता अपने बंगलो में कश्मीर की लड़ाई लड़ रहे हैं और हर बार वह इन्तजार करते हैं कि किसी गरीब का बेटा आतंकी हो कर मरे और वह उसे मसीहा बना दें!
वाजिब बात, पर कश्मीरी तो अपने तर्कों की लड़ाई उसी समय हार गए थे जब उन्होंने वहाँ हजारो कश्मीरी पंडितों की हत्या की और उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया .. आखिर क्यों अपना घर-जमीन, व्यापार छिनने के बाद भी और अपने परिवार की हत्या होने के बाद भी कोई कश्मीरी पंडित आतंकवादी नहीं बनता? सब कुछ खो देने के बाद भी वह क्यों भारत को अपना देश और यहाँ के नागरिको को अपना भाई मानता है? आज़ादी की उस नकली लड़ाई में वह आपके साथ क्यों नहीं है?
आप अभी भी कश्मीर में अपने घर परिवार और व्यापार के साथ है भारत सरकार के द्वारा प्राप्त कई कई विशेषाधिकारों के बाद भी आपने धरती के स्वर्ग को नरक में तब्दील कर दिया है सोचियेगा, आप में और वहीं के जायज नागरिक कश्मीरी पंडितो में कितना फर्क है!
अगर आपको धार्मिक आधार पर आजादी चाहिए तो भारत वह गलती सन 47 में भुगत चुका है कश्मीर की आजादी चंद गुंडों की मांग भर है और उनके लिए भारत की सेना तैयार है आप गोली के साथ आएंगे तो रिटर्न गिफ्ट के तौर पर आपको गोली ही मिलेगी .. आप तर्क के साथ आना चाहते हैं तो पहले अपना चेहरा साफ़ कीजिये. वीरू सोनकर
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