Sunday, 10 July 2016


बिहार : बिक गया पूरा गांव, लोगों को खबर ही नहीं

लालू-नीतीश के राज में राज्य भर में भूमाफिया का दहशत, सरकारी अधिकरियों से मिलीभगत कर भूमाफिया ने बेतिया के धोखराहा गांव को ही खरीद लिया, मकान खाली कराने गए बदमाशों के बाद लोगों का पता चला
पश्चिम चंपारण (बेतिया)। बिहार में अपराध और शासन सत्ता का चोली-दामन का साथ रहा है। ‘सुशासन बाबू’ राज्य में चल रहे कारनामे जरूर देख रहे होंगे। जब मंत्री सार्वजनिक रूप से पत्रकारों को कार्यक्रम में बुलाकर धमकाते हों, तो फिर भूमाफिया पीढ़ी-दर पीढ़ी रह लोगों को गांव से बेदखल करने लगे, तो इसमें अचंभा कैसा?
प. चम्पारण के बगहा थाना क्षेत्र में भूमाफिया ने धोखराहा गांव को ही बेच दिया है। इस इलाके में सबसे ज्यादा सरकारी भूमि है, जिसे सरकारी बाबुओं की मिलीभगत से लोग कब्जा कर रह रहे हैं। धोखराहा गांव के लोगों को इस बात की जानकारी तब मिली, जब भूमाफिया घर खाली करवाने पहुंचे। उन्हें बताया गया ये जमीन अब हमारी है। गांव वाले सन्न रह गये।
रामनगर के धोखराहा गांव में वर्षों सैकड़ों भूमिहीन परिवार रहता है। जिनके पास जमीन के नाम पर चंद टुकड़े हैं, जिस पर उनका मकान बना हुआ है। जानकारी के बाद गांव के लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस-प्रशासन से की है पर आश्वासन के अतिरिक्त अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उधर, इस मामले में भू-सरगना रामबाबू को लेकर अनुमंडल पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि उसका दाखिल-खारिज रद्द किया जाएगा। जिन लोगों का कब्जा है, जमीन उन्हीं के पास रहेगा। गरीब परिवार को यहां उजड़ने नहीं दिया जाएगा।
बीजेपी विधायक भागीरथी देवी ने कहा कि इस मुद्दे को मैं सदन में उठाऊंगी। यहां कानून का राज नहीं है। पूरे जिले में भू-माफियाओं का आतंक है। नीतीश कुमार को अपने राज्य की नहीं, दूसरे राज्य की चिंता है।

कागजों के अनुसार 2012 में इस गांव को शाही से लीगल तरीके से रामबाबू ने खरीदा। बीते चार साल में सरकारी अधिकारी सीओ और कर्मचारी को मिलाकर दाखिल-खारीज करवा लिया और लगान का रसीद कटवाता रहा।सासंद सतीशचंद्र दूबे ने कहा कि हम क्षेत्र की जनता के लिए लड़ाई लड़ेंगे। गांव के लोगों में अभी भी भूमाफियाओं से दहशत है। इन्हें लगता है कि कभी हमारे गांव के लोगों के साथ कुछ हो सकता है।

सबसे बड़ी बात यह है कि बिना मौके पर पहुंचे, मुआयना किए भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अधिकारी-कर्मचारियों ने रामबाबू के नाम पर जमीन का रजिस्ट्री कर दिया था। चार साल रसीद कटाने के बाद रामबाबू जमीन पर कब्जा के लिये अचानक पहुंचता है, तब पता चलता है की गांव बिक चुका है।

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