Friday, 15 July 2016

फ्रांस हमला : सामने आया रौंगटे खड़े कर देने वाला सच, पूरी दुनिया पर आतंकवाद का शिकंजा, भारत पर महासंकट..!

इस समय पूरे विश्व में आतंकी घंटनाये बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। एक के बाद एक आतंकी हमलें जिसमे सैकड़ों, हजारों जाने जा रही हैं। ऐसा लग रहा है मानों मनुष्य की जिंदगी का कोई मोल ही न रह गया हो। आतंकवादियों के निशाने पर मौजूद फ्रांस एक बार फिर आतंकी हमले का शिकार हुआ है। ये घटना नीस शहर में फ्रेंच नेशनल डे पर आयोजित समारोह के दौरान हुई जब एक तेज रफ्तार ट्रक भीड़ में जा घुसा और लोगो को रौंदते हुए निकल गया, जिसमें 75 लोगों से ज्‍यादा की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
सूचना के अनुसार पुलिस ने ट्रक ड्राइवर को मार गिराया है, और ट्रक उनके कब्जे है, लेकिन फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रक में बंदूकें और ग्रेनेड बरामद हुए है  अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित कई राष्ट्राध्यक्षों  ने इस हमले की निंदा की है। अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस हमलें में ISIS का भी हाथ हो सकता है,
दरअसल, सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि कुछ देश खुलकर आतंकियों का साथ दे रहे हैं, लेकिन ऐसे देशों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करना चाहता। खासकर महाशक्ति कहे जाने वाले विकसित देश। सबके अपने अपने हित हैं। ऐसे मुट्ठी भर देश अपने हितों के बोझ तले पूरे विश्व को दबा कर कुचलना चाहते हैं। 
 पूरी दुनिया भर में आतंकवादी हमलों के लिहाज से वर्ष 2016 सबसे अधिक खून-खराबे वाला साल साबित हुआ है।  अंतराष्ट्रीय रिपोर्टस कह रही हैं। पिछले छह महीने में हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इस साल सबसे अधिक आतंकवादी हमले भी हुए हैं। इन सभी हमलों में कहीं न कहीं धार्मिक कट्टरता की संलिप्तता रही है।यदि इंटरनेट पर मौजूद आंकड़ों की तस्‍दीक करें तो दुनिया के अलग-अलग इलाकों में केवल इसी साल यानी की 2016 में जनवरी में 97, फरवरी में 68, मार्च में 108, अप्रैल में 150, मई में 197 और जून में 218 आतंकवादी वारदात हुई हैं। 
बहरहाल, हैरान करने वाली बात ये है कि आखिर ऐसे आतंकी हमले कब तक होते रहेंगे? क्या आतंकियों को रोकने दम अब किसी भी देश में नही रहा या सबके सब वैश्विक राजनीति के चलते यूही अपने नागरिको को खोते रहेंगे। इस वर्ष सबसे ज्यादा आतंकी हमले हुए और हजारों हजार लोग  पूरे विश्व में मारे गए और इन हमलों से प्रभावित होने वालो की संख्या करोड़ो में है।
एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2014 में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित रहे 10 देशों में शामिल है। इसमें यह भी कहा गया है कि दुनिया में आतंकी हमलों से होने वाली मौतों में से आधी से ज्यादा के लिए अब आईएसआईएस और बोको हराम संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं।
ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2015 (जीटीआई) के अनुसार 2014 में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित 162 देशों में भारत का छठा स्थान रहा। भारत में आतंकवाद से संबंधित मौतों में 1.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और मरने वालों की संख्या 416 रही। यह संख्या 2010 में हुई आतंकी घटनाओं और मौतों के बाद से सर्वाधिक है।
इधर वॉशिंगटन आधारित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस की रिपोर्ट के अनुसार वहां 763 घटनाएं हुईं। यह आंकड़ा 2013 के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है। भारत में 2014 में दो खूंखार आतंकी समूह लश्कर ए तैयबा तथा हिज्बुल मुजाहिदीन सक्रिय रहे।पाकिस्तान आधारित लश्कर 2014 में 24 मौतों के लिए जिम्मेदार रहा, जबकि हिज्बुल मुजाहिदीन इस अवधि में 11 मौतों के लिए जिम्मेदार रहा। यह आंकड़ा पूर्व के साल की 30 मौतों से कम है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2013 में हिज्बुल मुजाहिदीन भारत में आत्मघाती रणनीति का इस्तेमाल करने वाला एकमात्र समूह था, लेकिन 2014 में भारत में कोई आत्मघाती हमला नहीं हुआ ।
 अगर समय रहते पूरा विश्व एक साथ इस दानव (आतंकवाद) के विरुद्ध नहीं खड़ा हुआ तो वो दिन दूर नही जब कुछ शेष नही रहेगा । न ही मानव और न ही मानवीय मूल्य। चाहे वो अमेरिका जैसे विकसित देश हो या भारत जैसे विकासशील देश।


No comments:

Post a Comment