Sunday, 17 July 2016

क्या होता है नजरिया


देखिये क्या होता है नजरिया एक बार क्रष्ण ने दुर्योधन को एक खाली पेज दिया और कहा की ईमानदार और अच्छे सच्चे लोग कितने है उन के नाम इस पेज पर लिख कर लाओ दुर्योधन पूरे दिन पूरे सम्राज्य मे घुमे उन्हें एक भी व्यक्ति नही मिला जो अच्छा और सच्चा हो 
 शाम को आ कर कृष्ण को वह खाली पेज दे देते है और कहते है की हमारे पूरे सम्राज्य मे कोई सच्चा और अच्छा व्यक्ति नही है सब मे कोई ना कोई अबगुड है क्रष्ण दुर्योधन से कहते है चलो ठीक है जाओ और शाम को क्रष्ण युधिष्ठिर को बुलाते है और कहते है की हमारे सम्राज्य मे कितने लोग अत्याचारी अधर्मी और न्याय प्रिय नही है उन के नाम इस कागज पर लिख कर लाओ 
 युधिष्ठिर पुरे सम्राज्य मे जाते है और लोट कर आ कर क्रष्ण को वह खाली पेज ला कर दे देते है और कहते है मुझे पुरे सम्राज्य मे कोई भी अधर्मी अत्याचारी नही मिला सभी लोग अच्छे है सभी न्याय प्रिय है यह होता है नजरिया प्रजा वही है दुर्योधन को कोई न्याय प्रिया नही मिला और युधिष्ठिर को कोई अत्यचारी नही मिला ये होता है नजरिया 
सब हमारे नजरिये पर निर्भर करता है की हमारा उथान होगा की पतन जो यह कहता था की पांच गांव नही दूँगा उसे पूरा सम्राज्य देना पड़ा और जो पांच गांव माग रहे थे उन्हें पूरा सम्राज्य मिला हमारे नजरिये का निर्माण हमारे द्वारा किये गये अच्छे कर्मो से होता है और अच्छे लोगो और मित्रो के अनुसरण से होता है
 हमारा नजरिया गलत है पतन कोई रोक नही सकता है और नजरिया अच्छा है तो कोई उथान रोक नही सकता निर्णय हमे करना है की हम कैसे लोगो के साथ रहना है अत्यचारी या न्याय प्रिये लोगो के साथ

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