Friday, 29 July 2016

 आधी हो जायेगी कश्मीर की समस्या !!
कश्मीर की कारस्तानी का अगर जायजा लेना हो तो आपको जम्मू कश्मीर विधानसभा की सीटों का विश्लेषण करना होगा।
J & K का असली क्षेत्रफल 222236 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से भारत के पास सिर्फ 101387 वर्ग किलोमीटर इलाका है जो लद्दाख, जम्मू और कश्मीर तीन हिस्सों में विभक्त है और तीन हिस्सों की अपनी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है।
*लद्दाख के लोग बौद्ध पंथ को मानते हैं, जम्मू के लोग हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं और कश्मीर घाटी में इस्लाम बहुल वर्चस्व* है। इन तीनो क्षेत्रों में सबसे बड़ा भुभाग है लद्दाख का जिसका कुल इलाका है 59146 वर्ग किलोमीटर यानि कुल क्षेत्र का 58% पर उन्हें राज्य की कुल 87 विधान सभा की सीटों में से सिर्फ 4 सीटें दी गयी है और 6 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 1 सीट।
जम्मू का इलाका है 26293 वर्ग किलोमीटर यानि कुल क्षेत्रफल का लगभग 26% पर इसके हिस्से में 2 लोकसभा सीट हैं और 37 विधान सभा सीटें।
अब आइये देखते हैं कश्मीर घाटी की स्थिति।
इसका कुल इलाका है 15948 वर्ग किलोमीटर यानि कुल इलाके का 15% पर इसे 3 लोकसभा हासिल हैं यानि कुल लोकसभा सीटों का 50% और इन *कश्मीरियों ने नेहरू की मूर्खता का फायदा उठा कर 46 विधानसभा सीटें अपने कब्जे में कर रखी* है यानि कुल सीटों का 54% । इस गूंडागर्दी का ही यह फल है की आज तक जितने भी मुख्यमंत्री बने हैं सब घाटी से।केंद्र से जो अनुदान मिलता है उसका 80% भाग कश्मीरी डकार जाते हैं जो अंत में आतंकवादियों के हाथों में पहुँच जाता है। अब समय आ गया है की इस गूंडागर्दी को रोका जाये।
*तीनो क्षेत्रों के बीच विधानसभा की सीटों का बंटवारा उनके क्षेत्रफल के हिसाब से हो* यानि लद्दाख को 58% सीटें मिलें, जम्मू को 26% और कश्मीर को 16% तभी पूरे राज्य के लोगो के साथ न्याय हो पायेगा। धारा 370 तो जब ख़त्म होगी सो होगी पर कम से कम राज्य की विधानसभा की सीटों का तो तर्कसंगत और न्यायसंगत बंटवारा पहले हो सकता हैं ताकि *जम्मू और लद्दाख के साथ जो भेदभाव हो रहा है वो ख़त्म हो

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