Saturday, 2 July 2016

सूर्य उदय के साथ चैतन्य, और सूर्य अस्त के साथ होते है निढाल तीन पाकिस्तानी भाई !

सूर्य नमस्कार को ग़ैर इस्लामिक बताते हुए इन संगठनो ने यहाँ तक कहा था कि ये मूर्ति पूजा के समान है, जिसकी इस्लाम में अनुमति नहीं है ! ईसाई समुदाय का कहना था कि सूर्य नमस्‍कार एक धार्मिक क्रिया है और सूरज को भगवान नहीं माना जा सकता है, एवं सरकार को सूर्य नमस्कार से ज्यादा अन्य जरूरी मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए ! आज एक खबर सुनकर सूर्य नमस्कार से जुडा विवाद अचानक दिमाग में उमड़ आया !
भले ही इस्लाम में या ईसाई समुदाय में सूर्य को भगवान नहीं माना जा सकता परन्तु इन दिनों अपने आप को इस्लामिक मुल्क कहने वाले पाकिस्तान के तीन बच्चे एक ऐसी बीमारी से जूझ रहे है जिसका इलाज अभी तक तो इस दुनिया के किसी भी डॉक्टर के पास नहीं है, इलाज है तो सिर्फ सूरज के पास ! वही सूरज जिसके नमस्कार को लेकर बहुत बड़ा विवाद इस्लाम को मानने वाले लोगों ने किया था और उसे ईश्वर का दर्जा देने से साफ़ इनकार तक कर दिया था, परन्तु आज पकिस्तान के तीन बच्चे और उनका परिवार सूर्य को देवता का दर्जा देते है !

पाकिस्तान में रहने वाले तीन भाइयों को ऐसी बीमारी है कि सुन कर आप हैरान रह जाएंगे ! इन तीनों भाईयों की जिंदगी सूरज के रहमो करम पर चलती है ! ऐसा लगता है मानो आसमां में सूरज है तो वो जिंदा हैं ! अगर सूरज ढल गया तो मानो जिंदगी भी ढल जाती है ! दरअसल सूरज के ढलने के साथ ही इन तीनों भाइयों का शरीर काम करना बंद कर देता है और जब तक आसमान में सूरज दोबारा से ना चढ़ जाए तब तक इन तीनों भाइयों का शरीर पूरी तरह से निष्क्रिय रहता है ! रोज सुबह सूरज उगने का इंतजार जितना इन बच्चों के मां-बाप को होता है उतना शायद ही किसी और को होता होगा, क्योकिं मां-बाप को हमेशा ये डर सताता रहता है कि पता नही अगली सुबह सूरज के उगने के साथ-साथ उनके बच्चे भी उठेंगे या नहीं !
पाकिस्तान के क्वेटा से 15 किलोमीटर दूर मियां कुंडी गांव के इन भाइयों की इस रहस्यमयी बीमारी ने पाकिस्तान के डॉक्टरों को हैरान-परेशान किया हुआ है ! सूरज के इस खास कनेक्शन के चलते ये बच्चे पाकिस्तान में सोलर किड्स के नाम से मशहूर हैं ! शोएब सिर्फ एक साल का है ! उसे तो पता भी नहीं होगा कि क्यों अचानक उसके उछलते हाथ-पांव काम करना बंद कर देते हैं ! लेकिन 9 साल का राशिद और 13 साल का इलियास न सिर्फ उस तकलीफ को जानते हैं बल्कि प्रतिदिन लगभग मर जाने के उस डर से भी गुजरते हैं ! क्वेटा की एक आईटी यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करने वाले हाशिम सूरज के उगने का इंतजार किस बेसब्री से करते होंगे, आप समझिए क्योंकि उनके लिए सूरज के उगने का मतलब तीनों बच्चों का फिर से जिंदा हो जाना है !

13 साल का इलियास अपने 9 साल के भाई राशिद के साथ चौके-छक्के लगाता है जबकि एक साल का शोएब इनसे दूर मां की गोद में अठखेलियां करता रहता है, लेकिन जैसे ही सूरज अस्त होता है, शाम होती है धरती पर अंधेरा छाता है ! तीनों बच्चों की जिंदगी की बैटरी जैसे खत्म हो जाती है ! तीनों बेबस हो जाते हैं सूरज के साथ उनकी जीवनी शक्ति खत्म हो जाती है ! वो बेदम बेसहारा हो जाते हैं, उन्हें लकवा मार जाता है ! शोएब, राशिद और इलियास शाम ढलते ही जीते जागते बच्चों से मरीजों में बदल जाते हैं ! न चल-फिर पाते हैं,  न ही अपने हाथ से कुछ खा पाते हैं ! बिस्तर पर लेटे-लेटे करवट तक नहीं बदल पाते !

इन तीनों में से दो बड़े बच्चों को जांच और इलाज के लिए इस्लामाबाद के पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी पीआईएमएस में भर्ती कराया गया है, जबकि एक साल का इलियास गांव में मां के साथ है ! पीआईएमएस के डॉक्टर भी इन बच्चों की रहस्यमय बीमारी देखकर चकित हैं ! उनका कहना है कि उन्होंने आज तक ऐसा केस नहीं देखा है ! पीआईएमएस प्रबंधन ने इन बच्चों की जांच के लिए 9 सदस्यों वाला बोर्ड बनाया है ! जानकारी के मुताबिक इन सोलर किड्स के अब तक 230 से ज्यादा तरह के टेस्ट हो चुके हैं, लेकिन उनकी बीमारी अबूझ पहेली बनी हुई है ! इन बच्चों के पांच अलग-अलग तरह के डीएनए टेस्ट भी करवाए गए हैं, बच्चों की जांच रिपोर्ट दुनिया के जाने-माने मेडिकल इंस्टीट्यूट को भेजी गई है , ताकि वो इस रहस्यमय बीमारी के बारे में कुछ बता सकें और इन बच्चों को 12 घंटे की जिंदगी और 12 घंटे की बेबस मौत के दर्द से बचाया जा सके और उनका इलाज हो सके !

डोक्टरों को उम्मीद तो है कि इलाज खोज लिया जाएगा, पर पहले पता तो चले कि बीमारी है क्या ? हालांकि हाशिम को लगता है कि उनके बच्चों की स्थिति सूरज के उगने से ज्यादा वक्त पर निर्भर करती है, क्योंकि कई बार जब बादलों की वजह से सूरज नहीं दिखता है तब भी बच्चे दिन में ठीक रहते हैं !

हाशिम के लिए वह नजारा बेहद सकून और खुशी देने वाला होता है जब वह अपने बच्चों को क्रिकेट खेलते देखता है ! बड़े बच्चे तो घर के कामों में अपनी मां का हाथ भी बंटाते हैं, बेशक बस दिन में, और मां की आंखें भीग जाती हैं जब बच्चे अपनी इस हालत के लिए शिकायत भी नहीं करते ! लेकिन कुदरत हमारे आपके मान लेने भर से नहीं चलती ! सूरज को ढलना ही होता है और हर रोज सूरज ढलते ही हाशिम और उनकी बेगम के मन में यह डर उग आता है कि उनके तीनों सूरज सुबह उगेंगे या नहीं !

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