Friday, 18 November 2016

पटना। नोटबंदी के फैसले के बाद बैंकों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन कुछ बैंक जिम्मेदारी के नाम पर कालेधन को सफेद करने का गंदा खेल खेलने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। ताजा मामला पटना के सेंट्रल बैंक से सामने आया है जहां बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से कालेधन को सफेद करने का गंदा खेल धड़ल्ले से चल रहा था। जब बैंक की पोल खुली तो आनन-फानन में कैशियर को सस्पेंड कर दिया गया।
पटना के सेंट्रल बैंक की ब्रांच के अंदर अफरा-तफरी का माहौल है। बैंक के मैनेजर मीडिया के सवालों से बचने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। बैंक पर आरोप है कि ये कालेधन को सफेद कर रहा है। बैंक पर आरोप है कि पटना के सिद्धि साई इंटर प्राइजेज के कर्मचारी ने बैंक में 16 नवंबर को ढाई लाख, 17 नवंबर को सत्तर हजार, और 18 नवंबर को पचास हजार रुपये सौ के नोट के तौर पर जमा किए, लेकिन काउंटर पर बैठे रमाकांत सिंह नाम के कैशियर ने डिपॉजिट स्लिप में उसे 500 और 1000 के पुराने नोटों में बदल कर दिखा दिया।
शिकायत के बाद मामले की छानबीन शुरू कर दी गई है और बैंक के कैशियर को सस्पेंड कर दिया गया है हालांकि कैशियर का कहना है कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया। रमाकांत सिंह के मुताबिक हमारी कोई गलती नहीं है। हमने कुछ नहीं किया है। बैंक पूरे मामले से पल्ला झाड़ता नजर आ रहा है। बैंक मैनेजर का कहना है कि पूरे मामले की जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।
बैंक की पोल खुली तो गूंज भी दूर-दूर तक सुनाई पड़ी। मामले को दबाने की कोशिश शुरू हो गई। मामला गर्म होता देख आनन फानन में  कैशियर को सस्पेंड कर दिया गया, लेकिन सवाल ये है कि क्या कालेधन को सफेद करने का गंदा खेल केवल कैशियर अकेले चला रहा था। क्या बैंक के किसी बड़े अधिकारी को इसकी भनक नहीं थी? अब तो पूरी सच्चाई जांच के बाद ही सामने आ पाएगी।

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