जस का तस Gaurav Banerjee की कलम से .......!!!
बुर्का दत्त और #rNDTV की असलियत की जड़ों को समझना हो तो शुरुआत 26/11 या पठानकोट आतंकी हमलों से नहीं, बल्कि सीधे कारगिल युद्ध से करो, और उससे भी पहले, Prannoy Roy - Vatican links, Karat family - Vatican links, और Spain में मौजूद 'Gospel of Charity' नामक missionary से करो
वैसे तो कारगिल युद्ध से भी पहले का एक video social media में मौजूद है इस चुड़ैल का, जिसमे यह दबी हुई आवाज़ में अपने किसी प्रोग्राम में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन को सही ठहरा रही थी. तब तो इसको मानवाधिकारों की याद नहीं आयी थी. सारे मानवाधिकार इसको तभी याद आते हैं जब आतंकी या पाकिस्तानी फौजी मारे जाते हैं हमारी फ़ौज के हाथों.
और कारगिल war zone में, यह मोहतरमा Iridium satellite phone लेकर घूम रही थी, जिससे की उसकी exact geographic location को trace किया जा सके. मतलब यह कि live reporting की आड़ में वो पाकिस्तानी फ़ौज के लिए 'Mobile GPS' का काम कर रही थी. भारतीय सेना ने कई बार इसको war zone में satellite phone लेकर जाने से मना किया था, लेकिन हर बार इसने हवाला दिया उस वक़्त के Kargil Operations Commander-in-Chief, Lt. Gen. V.P Malik का, जिन्होंने इसको war zone में satellite phone ले जाने की इजाज़त दे दी थी, क्योंकि बुर्का ने जनरल मलिक से भी झूठ बोला था अपने satellite phone ले जाने के मंसूबों को लेकर. उनसे इस चुड़ैल ने उस वक़्त बोला था कि यह उनके news channel पर पूरे देश को भारतीय सेना का पराक्रम live दिखाने के काम आएगा क्योंकि उस समय इतने mobile phones/mobile towers नहीं हुआ करते थे. लेकिन बुर्का ने आज तक उस इजाज़त को अपना हथियार बनाया हुआ है - अगर उसको कारगिल में उसकी हरकतों की वजह से घसीटा जाता है तो वो अपने साथ साथ पूर्व सेनाध्यक्ष, जनरल वेद प्रकाश मलिक को भी ले डूबेगी, यह बोलकर कि उसने तो इसके लिए मलिक साहब से इजाज़त मांगी थी, और इजाज़त उन्होंने ही दी थी.
उस वक़्त कारगिल war zone में सेना के top battalion commanders के पास भी कोई satellite phones नहीं हुआ करते थे. लेकिन यह चुड़ैल इस satellite phone के ज़रिये खुद एक 'Mobile GPS System' बन गयी और सारी खबरें पाकिस्तानी फ़ौज को मिलती रही. इसकी इसी live reporting की वजह से पाकिस्तानी फ़ौज ने भारतीय सेना के ऊपर तीन बार surprise attacks किये, mortar shells, artillery shells fire करके, जिसमे से एक हमला था, तोलोलिंग पहाड़ी को पाकिस्तानी कब्ज़े से मुक्त कराने के लिए ऊपर चढ़ते हुए 2 Rajputana Rifles पर, दूसरा हमला था एक army hospital पर, और तीसरा था tiger hill को वापिस लेने के लिए उस पर रस्सी से चढ़ते हुए 18 Grenadiers के 'ghatak commandos' पर. इसके बाद इसने एक और मोर्चे पर पाकिस्तानी फ़ौज के लिए काल बने हुए, 13 J&K Rifles के Captain Vikram Batra को मरवाने का एक और plan बनाया - पहले तो उसकी बहादुरी की तारीफ करते हुए उसका war zone में ही एक interview लिया, उससे पाकिस्तानी फ़ौज को उसकी location मालूम पड़ गयी. और उसके ठीक दो दिन बाद अपने एक घायल और घिरे हुए साथी को बचाने के लिए निकले Captain Batra की टुकड़ी पर एक साथ तीन bunkers से छुपकर हमला बोल दिया इन सूअरों ने. Captain Batra उसी हमले में शहीद हो गए, लेकिन इस कायराना हरकत को अंजाम देने वाले उन तीनों bunkers को तबाह करने के बाद ही. तो, इस तरह से कारगिल में भारतीय सेना के शहीद हुए कुल 550 में से करीब 40 वीर सपूतों को तो भारत ने इस चुड़ैल की वजह से ही खोया था.
तो, यह था इन मोहतरमा का कारगिल में असली काम. उसके बाद वही stunt इस #presstitute ने 26/11 और पठानकोट आतंकी हमलों में भी किया. लेकिन इसकी बदकिस्मती से, पठानकोट में इसकी live reporting जैश-ए-मोहम्मद के बुज़दिल जिहादियों की कोई मदद नहीं कर पायी थी.
वैसे तो कारगिल युद्ध से भी पहले का एक video social media में मौजूद है इस चुड़ैल का, जिसमे यह दबी हुई आवाज़ में अपने किसी प्रोग्राम में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन को सही ठहरा रही थी. तब तो इसको मानवाधिकारों की याद नहीं आयी थी. सारे मानवाधिकार इसको तभी याद आते हैं जब आतंकी या पाकिस्तानी फौजी मारे जाते हैं हमारी फ़ौज के हाथों.
और कारगिल war zone में, यह मोहतरमा Iridium satellite phone लेकर घूम रही थी, जिससे की उसकी exact geographic location को trace किया जा सके. मतलब यह कि live reporting की आड़ में वो पाकिस्तानी फ़ौज के लिए 'Mobile GPS' का काम कर रही थी. भारतीय सेना ने कई बार इसको war zone में satellite phone लेकर जाने से मना किया था, लेकिन हर बार इसने हवाला दिया उस वक़्त के Kargil Operations Commander-in-Chief, Lt. Gen. V.P Malik का, जिन्होंने इसको war zone में satellite phone ले जाने की इजाज़त दे दी थी, क्योंकि बुर्का ने जनरल मलिक से भी झूठ बोला था अपने satellite phone ले जाने के मंसूबों को लेकर. उनसे इस चुड़ैल ने उस वक़्त बोला था कि यह उनके news channel पर पूरे देश को भारतीय सेना का पराक्रम live दिखाने के काम आएगा क्योंकि उस समय इतने mobile phones/mobile towers नहीं हुआ करते थे. लेकिन बुर्का ने आज तक उस इजाज़त को अपना हथियार बनाया हुआ है - अगर उसको कारगिल में उसकी हरकतों की वजह से घसीटा जाता है तो वो अपने साथ साथ पूर्व सेनाध्यक्ष, जनरल वेद प्रकाश मलिक को भी ले डूबेगी, यह बोलकर कि उसने तो इसके लिए मलिक साहब से इजाज़त मांगी थी, और इजाज़त उन्होंने ही दी थी.
उस वक़्त कारगिल war zone में सेना के top battalion commanders के पास भी कोई satellite phones नहीं हुआ करते थे. लेकिन यह चुड़ैल इस satellite phone के ज़रिये खुद एक 'Mobile GPS System' बन गयी और सारी खबरें पाकिस्तानी फ़ौज को मिलती रही. इसकी इसी live reporting की वजह से पाकिस्तानी फ़ौज ने भारतीय सेना के ऊपर तीन बार surprise attacks किये, mortar shells, artillery shells fire करके, जिसमे से एक हमला था, तोलोलिंग पहाड़ी को पाकिस्तानी कब्ज़े से मुक्त कराने के लिए ऊपर चढ़ते हुए 2 Rajputana Rifles पर, दूसरा हमला था एक army hospital पर, और तीसरा था tiger hill को वापिस लेने के लिए उस पर रस्सी से चढ़ते हुए 18 Grenadiers के 'ghatak commandos' पर. इसके बाद इसने एक और मोर्चे पर पाकिस्तानी फ़ौज के लिए काल बने हुए, 13 J&K Rifles के Captain Vikram Batra को मरवाने का एक और plan बनाया - पहले तो उसकी बहादुरी की तारीफ करते हुए उसका war zone में ही एक interview लिया, उससे पाकिस्तानी फ़ौज को उसकी location मालूम पड़ गयी. और उसके ठीक दो दिन बाद अपने एक घायल और घिरे हुए साथी को बचाने के लिए निकले Captain Batra की टुकड़ी पर एक साथ तीन bunkers से छुपकर हमला बोल दिया इन सूअरों ने. Captain Batra उसी हमले में शहीद हो गए, लेकिन इस कायराना हरकत को अंजाम देने वाले उन तीनों bunkers को तबाह करने के बाद ही. तो, इस तरह से कारगिल में भारतीय सेना के शहीद हुए कुल 550 में से करीब 40 वीर सपूतों को तो भारत ने इस चुड़ैल की वजह से ही खोया था.
तो, यह था इन मोहतरमा का कारगिल में असली काम. उसके बाद वही stunt इस #presstitute ने 26/11 और पठानकोट आतंकी हमलों में भी किया. लेकिन इसकी बदकिस्मती से, पठानकोट में इसकी live reporting जैश-ए-मोहम्मद के बुज़दिल जिहादियों की कोई मदद नहीं कर पायी थी.
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