Tuesday, 1 November 2016

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काश्मीर और आतंकी सिस्टम का पूरा अनालिसिस :
पंजाब सीमा के अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर कश्मीर के LOC के पाकिस्तान वाले इलाके में इतने वर्षों में पाकिस्तान की ISI ने बहुत बड़ा demographic फेरबदल कर डाला है। 1947 के बाद, इतने वर्षों में धीरे धीरे ISI और पाकिस्तानी सेना ने इन गाँवों से किसानों,मजदूरों, सीधे सादे लोगों को भगा दिया और उन गाँवों में जेहादी बसा कर उनको सिविलयन जनता का रूप दे दिया। पाकिस्तानी सेना ने अपने पोस्ट इन गाँवों के अंदर बनाए हैं।
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इधर भारत की तरफ सीमावर्ती इलाकों में आम जनता ही बसती है। भारतीय सेना के पोस्ट रिहायशी इलाको से दूर इनके सुरक्षा को देखते हुए बनाए गए हैं। पाकिस्तान के सीमावर्ती गाँवों में लगभग पूरी तरह से रहने वाले जेहादी तत्व ही हैं। जो नहीं है वो तस्कर और अपराधी है। पाकिस्तान इसका तिहरा फायदा उठाता हैं:

.1. पंजाब - राजस्थान से सटे इलाकों में तस्कर और अपराधी रहते हैं जो भारत के तस्करों से मिल कर ड्रग्स आदि की तस्करी करते हैं। जिसकी वजह से नशीले पदार्थों प्रतिबधित चीज़ों की खेप भारत पहुंचाई जाती है।
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2. गाँवों में स्थापित अपने सेना और रेंजर की पोस्ट से ये गोलाबारी करते हैं। ये अपने गाँव में बसे पोस्ट का फायदा उठाते हैं क्योंकि भारत के सुरक्षा बल कभी भी रिहायशी इलाके में गोलाबारी नहीं करती। इससे वो आसानी से बचे रहते हैं।
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3. अगर भारत की तरफ से जवाबी गोलाबारी में पाकिस्तान के तरफ के लोग मरते हैं तो उसमे काफी सिविलियन भी चपेट में आते हैं। ये वही जेहादी है जो गांववासियों के शक्ल में उधर रहते हैं। पाकिस्तान आसानी से इसको अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को भारत की तरफ से सिविलियन के मारने का मामला बना सकता है। इसलिए भारत के सुरक्षाबलों को काफी मुश्किल हालात में बचा बचा के जवाब देना पड़ता है।
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परंतु पिछले 2 साल में भारत के ख़ुफ़िया विभाग को पाकिस्तान के सारे हरकत का पता चल चुका है। अब हमें ये पता है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर LOC में बसे पकिस्तान के तरफ गाँव में अधिकतर जेहादी हैं। ये हर समय तैयार रहते हैं जिससे मौका लगने पर पाकिस्तानी सेना और रेंजर कवर फायर देकर इनको भारत में घुसाने की कोशिश करता है। भारतीय पोस्ट और रिहायशी इलाकों में भी गोलीबारी करते हैं, भारतीय सुरक्षाबलों को अपने सिविलिण जनता को भी बचाना होता है। इस तरह पाकिस्तानी सेना और रेंजर भारत के सुरक्षाबलों को तीन तरफ के मोर्चे (जैसे कि जवाबी कार्यवाही करना, जेहादियों को रोकना और सिविलियन जनता को बचाना) पर बांधते हैं।
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अब हमें पता है कि हमारे सुरक्षाबलों द्वारा दागे गए गोले गाँव पर नहीं बल्कि जेहादी अड्डों और सिविलयन जनता के आनंद में बने इस अड्डों के के बीच पाक्सितानी सेना के पोस्ट पर गिरते हैं। इसलिए अब इन जेहादियों को मारने और पाक्सितानी सेना को औकात दिखाने में हमारे सीमा सुरक्षाबलों को कोई परेशानी नहीं है। हमारे पास यहाँ आतंवादियों के बेस और कैस्टनी सेना द्वारा उनको पोषित करने के सबूत हैं।
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पूरा डिटेल न बताने की शर्त पर पाकिस्तान से एक व्यक्ति, Abbas Mastan जो कि अब ईसाई धर्म में परिवर्तित हो चूका है, उनसे मिली एक सूचना के अनुसार भारत द्वारा शनिवार को की गयी जवाबी कार्यवाही के बाद कम से कम 35 ताबूतों को पाकिस्तानी झंडे में उठाते देखा गया है। बहुत सारी dead bodies ट्रक में लादकर भागते देखा गया है - जाहिर है कि ये आतंकियों की है जो भारतीय सेना की कार्यवाही में मारे गए हैं। Abbas बताते हैं कि इन गाँव में बसे लोगों को गांववासी समझने की भूल न करें, लगभग 10 में 1 ही गांववासी है जिसको सैंपल के तौर पर पाकिस्तानी सेना और ISI ने "जबरदस्ती" रखा है। ये उनकी ढाल है .. जिस तरह 1948 में कबायली बोलकर आतंकवादी और पाकिस्तानी सेना के लोग कश्मीर में घुसे थे, 1999 में कारगिल में आतंकी के रूप में पाकिस्तानी रेगुलर सेना थी, वैसे ही ये भी आतंकवादी नहीं लड़ाके हैं। उनका ये भी मानना है कि पाकिस्तानी सेना के रेगुलर जवान को भी आतंकी का चोला पहना कर भेजा जाता हैं जिससे वो भारतीय सुरक्षबलों को लम्बी लड़ाई में उलझा सकते हैं ..
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पिछले 2 साल में, मजबूत हुई ख़ुफ़िया सिस्टम, ISRO तकनीक, खुद के सेटेलाइट्स, और आधुनिक उपकरणों को लेकर हमारी सेना सही जवाब दे रही है ..... ! 
Hardik Savani

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