Tuesday, 15 November 2016

कालेधन की सर्जिकल स्ट्राइक बर्बाद हुए दर्जनों दलाल मीडिया चैनल, इसलिए कर रहे दुष्प्रचार

15 November: प्रधानमंत्री मोदी की कालेधन की सर्जिकल स्ट्राइक में सबसे अधिक नुकसान भारत के दलाल मीडिया चैनलों को हुआ है क्योंकि वे दलाले करके पेड ख़बरें छापते थे और कालेधन का अधिक हिस्सा उनके ही पास आता था, शायद इसलिए मीडिया चैनलों में भी हाहाकार मचा हुआ है, एक तरह से दर्जनों मीडिया चैनलों की जड़ें कट गयीं हैं, उनकी बेईमानी की कमाई के भी सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। शायद इसीलिए भारत के ज्यादातर मीडिया चैनल मोदी के नोटबंदी के फैसले का अपने तरीके से विरोध कर रहे हैं।

मीडिया को कालाधन कैसे मिलता है


यह खबर पढ़कर आपको यकीन हो जाएगा कि कालेधन का 50 फ़ीसदी हिस्सा मीडिया के पास आता है और बाकी हिस्सा आतंकियों और नक्सलियों के बाद पहुँच जाता है। 

उदाहरण के लिए समझिये, मान लीजिये किसी प्रॉपर्टी कारोबारी ने अवैध तरीके से प्रॉपर्टी बेचकर अरबों रुपये कमा लिए और सभी पैसों को बोरे में भरकर अपने घर के तहखाने में रख लिया। जब ये लोग पैसे कमाते हैं तो इन्हें राजनीति का चस्का लगता है और ये जल्द से जल्द पार्षद, विधायक या सांसद बनना चाहते हैं। इसलिए ये मीडिया के लोगों से नजदीकियां बढाते हैं और उन्हें मुंहमागा पैसा देकर अपनी ख़बरें छपवाना शुरू कर देते हैं, कई लोग चुनाव भी जीत जाते हैं और उसके बाद बड़ा पद पाने के लिए मीडिया चैनलों को और भी पैसे खिलाना शुरू कर देते हैं। कई लोग विधायक और सांसद बनने के लिए अपनी पूरी पाप की कमाई मीडिया पर लुटा देते हैं। यह 100 फीसदी सच है। 
कई राजनीतिक पार्टियाँ तो मीडिया चैनलों को ही खरीद लेती हैं और उनसे अपनी पार्टी से सम्बन्धी ख़बरें छपवाती रहती हैं। मान लीजिये ABC कोई न्यूज चैनल है और सभी नेता पेड ख़बरें छपवाने के लिए कालेधन में से 10-20 करोड़ रुपये हर वर्ष इस चैनल को देते हैं। अचानक सर्जिकल स्ट्राइक हो गयी और नेताओं का कालाधन जब्त हो गया यानी कागज़ बन गया। इस कार्यवाही में मीडिया को भी तो नुकसान हुआ है, उसे अब 10-20 करोड़ मिलने बंद हो जाएंगे, इसलिए भारत के दर्जनों मीडिया चैनल सुलग रहे हैं, अन्दर ही अन्दर कराह रहे हैं।

मीडिया चैनल कैसे कर रहे हैं दुष्प्रचार

सर्जिकल स्ट्राइक में बर्बाद हुए मीडिया चैनल मोदी ने बदला लेने के लिए लाइन में खड़े ऐसे लोगों का इंटरव्यू ले रहे हैं जो लाइन में खड़े नहीं होना चाहते और मोदी पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं, मीडिया चैनल ऐसे लोगों को पकड़ लेते हैं और उनसे अनाप शनाप बुलवाते हैं और उसके बाद उसे ब्रेकिंग न्यूज बनाकर दिखाते हैं कि मोदी के फैसले की वजह से जनता परेशान है। ये लोग उन लोगों से सवाल नहीं करते जो मोदी का समर्थन कर रहे हैं। लाइन में खड़े 100 में से 95 लोग मोदी का समर्थन कर रहे हैं और केवल 5 लोग ही विरोध कर रहे हैं, ये दलाल मीडिया चैनल 95 लोगों का इंटरव्यू नहीं लेते और ना ही उनकी बातों को टीवी पर दिखाते हैं, ये केवल 5 फ़ीसदी लोगों को ही टीवी पर दिखा रहे हैं। 

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