कम्प्लीट अनालिसिस : रामकिशन सुसाइड स्क्रिप्ट :
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पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल पिछले कुछ वर्षों से खान्ग्रेस के सक्रिय सदस्य थे ..मरने से पहले वो खान्ग्रेसी और आपीए नेताओं के संपर्क में थे। इन लोगों ने ही उनसे कहा था कि "आप ज़हर खा लेना और अपने बेटे को ज़हर खाने के बाद फोन करके ये बोलना कि मैं OROP पर मोदी से दुखी होकर ज़हर खा रहा हूँ।"
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इन खान्ग्रेसी और आपीए नेताओं ने पूर्व सैनिक को ये आश्वासन भी दिया था कि , "जैसे ही आपकी और आपके बेटे की बात रिकॉर्ड हो जाएगी, हम लोग आपको तुरंत 10 मिनट के अन्दर अस्पताल में ले चलेंगे और आपकी जान को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। सामान्यतः सल्फाज़ की एक-दो गोली से कोई तुरंत नहीं मरता।"
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खान्ग्रेसी और आपीए नेताओं से ये आश्वासन पाकर पूर्व सैनिक ग्रेवाल ने सल्फाज़ की गोलियां खा लीं। गोलियां खाकर ग्रेवाल ने अपने बेटे को प्लान के मुताबिक फोन किया जिसने उनकी और अपनी सारी बात रिकॉर्ड कर ली।
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यहाँ पर ये भी सोचने वाली बात है कि क्या कोई व्यक्ति अपने माँ-बाप की कॉल की रिकॉर्डिंग करता है। क्या उसको ये पता नहीं था कि उसके पिता उसे अपने ज़हर खाने की सूचना देने वाले हैं??
अगर उसने कॉल की रिकॉर्डिंग तब ऑन की थी जब उसे पता चला कि उसके पिता ज़हर खा चुके हैं तो रिकॉर्डिंग में वार्तालाप बीच से रिकॉर्ड हुआ होना चाहिए था जो कि नहीं है। कॉल में शुरू से ही जहाँ हैलो बोलते हैं, वहां से रिकॉर्डिंग की गयी है। .... वो क्या है न कि गुनाह छुप नहीं सकता, सो इन धूर्तों की यही गलती इन्हें कोर्ट में नंगा करने वाली है।
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... खैर, जब ग्रेवाल ने अपने बेटे को फ़ोन कर लिया तब प्लान के मुताबिक इन खान्ग्रेसी और आपीए नेताओं को उन्हें फ़ौरन अस्पताल ले जाना था। मगर इन्होने ऐसा किया नहीं। जिंदा ग्रेवाल से ज्यादा फायदा इन्हें ग्रेवाल की मौत से मिलने वाला था और अस्पताल ले जाने पर यदि ग्रेवाल जिंदा बच जाते तो इनकी साज़िश की कभी भविष्य में पोल खुलने की भी सम्भावना थी।
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अतः इन्होने ग्रेवाल को वहीँ मरने के लिए छोड़ दिया और वहां से निकल लिए। .... आखिर इनको अब ग्रेवाल की क्या ज़रुरत थी??? इन्हें इंतजार था तो बस ग्रेवाल के मरने का... और वही हुआ....!
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..... अब देखना ये है कि इन नीच खान्ग्रेसियों और आपीए नेताओं की ये सच्चाई देश कब तक जान पाता है। ....
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पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल पिछले कुछ वर्षों से खान्ग्रेस के सक्रिय सदस्य थे ..मरने से पहले वो खान्ग्रेसी और आपीए नेताओं के संपर्क में थे। इन लोगों ने ही उनसे कहा था कि "आप ज़हर खा लेना और अपने बेटे को ज़हर खाने के बाद फोन करके ये बोलना कि मैं OROP पर मोदी से दुखी होकर ज़हर खा रहा हूँ।"
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इन खान्ग्रेसी और आपीए नेताओं ने पूर्व सैनिक को ये आश्वासन भी दिया था कि , "जैसे ही आपकी और आपके बेटे की बात रिकॉर्ड हो जाएगी, हम लोग आपको तुरंत 10 मिनट के अन्दर अस्पताल में ले चलेंगे और आपकी जान को कोई नुकसान नहीं होने देंगे। सामान्यतः सल्फाज़ की एक-दो गोली से कोई तुरंत नहीं मरता।"
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खान्ग्रेसी और आपीए नेताओं से ये आश्वासन पाकर पूर्व सैनिक ग्रेवाल ने सल्फाज़ की गोलियां खा लीं। गोलियां खाकर ग्रेवाल ने अपने बेटे को प्लान के मुताबिक फोन किया जिसने उनकी और अपनी सारी बात रिकॉर्ड कर ली।
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यहाँ पर ये भी सोचने वाली बात है कि क्या कोई व्यक्ति अपने माँ-बाप की कॉल की रिकॉर्डिंग करता है। क्या उसको ये पता नहीं था कि उसके पिता उसे अपने ज़हर खाने की सूचना देने वाले हैं??
अगर उसने कॉल की रिकॉर्डिंग तब ऑन की थी जब उसे पता चला कि उसके पिता ज़हर खा चुके हैं तो रिकॉर्डिंग में वार्तालाप बीच से रिकॉर्ड हुआ होना चाहिए था जो कि नहीं है। कॉल में शुरू से ही जहाँ हैलो बोलते हैं, वहां से रिकॉर्डिंग की गयी है। .... वो क्या है न कि गुनाह छुप नहीं सकता, सो इन धूर्तों की यही गलती इन्हें कोर्ट में नंगा करने वाली है।
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... खैर, जब ग्रेवाल ने अपने बेटे को फ़ोन कर लिया तब प्लान के मुताबिक इन खान्ग्रेसी और आपीए नेताओं को उन्हें फ़ौरन अस्पताल ले जाना था। मगर इन्होने ऐसा किया नहीं। जिंदा ग्रेवाल से ज्यादा फायदा इन्हें ग्रेवाल की मौत से मिलने वाला था और अस्पताल ले जाने पर यदि ग्रेवाल जिंदा बच जाते तो इनकी साज़िश की कभी भविष्य में पोल खुलने की भी सम्भावना थी।
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अतः इन्होने ग्रेवाल को वहीँ मरने के लिए छोड़ दिया और वहां से निकल लिए। .... आखिर इनको अब ग्रेवाल की क्या ज़रुरत थी??? इन्हें इंतजार था तो बस ग्रेवाल के मरने का... और वही हुआ....!
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..... अब देखना ये है कि इन नीच खान्ग्रेसियों और आपीए नेताओं की ये सच्चाई देश कब तक जान पाता है। ....
Share जरूर करें, देश को पता चले
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(गोपनीय सोर्स)
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(गोपनीय सोर्स)
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रामकिशन के परिवार वालों का कहना है कि रामकिशन बहुत खुशमिजाज आदमी थे और 1 नवंबर को घर लौटने वाले थे । आखिर अचानक से उन्हें क्या हुआ? उन्होंने अचानक खुद को मारने का मन बनाया या ये किसी का गन्दा खेल हैं? वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर कोई आत्महत्या नहीं कर सकता क्यूंकि वन रैंक वन पेंशन को 90% इम्प्लीमेंटेशन मिला हुआ है| एक आदमी जिसको 28 हज़ार मिलने थे लेकिन बैंक की ग़लती से 23 हज़ार मिल रहे थे क्या वो 5 हज़ार के लिए आत्महत्या कर लेगा ?
कांग्रेस के इस गंदे खेल का एक ही कारण है मोदी| मोदी ने अपार लोकप्रियता और प्यार प्राप्त किया है इसीलिए कांग्रेस मोदी से चिड़ा हुआ है और इस रामकिशन की मौत का इल्जाम मोदी पर लगा रहे है| मोदी ने हर तरीके से सैनिकों का समर्थन किया, दिवाली पर सैनिकों के लिए सन्देश भिजवाया जिससे मोदी की और भी प्रसंशा होने लगी| केजरीवाल और राहुल गाँधी जैसे लोगों ने तो सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जी बता दिया था, फिर सिमी के आतंकवादियों को भी निर्दोष बताया था|
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