Monday 21 November 2016


सावधान मित्रो
नेहरु परिवार के लिए जो भी खतरा बना ओ मारा गया सबसे पहले खतरा बने सुबाष चन्द्र बोष उनकी रहस्य माय मोत
 दुसरे खतरा बने लाल बहादुर शास्त्री जी की मोत हो गयी पर कांग्रेसियों ने उनकी पोस्टमाटम भी नहीं करवाया उनकी पत्नी रोती रह गयी
तीसरे खतरा बने श्यामा प्रसाद मुखर्जी उनकी रहस्मय मोत फिर खतरा बने अर्जुन सिंह जिनको कोई बीमारी नहीं थी बिदेश में हार्ट की बीमारी का बहाना फिर बने माधव राव सिंधिया उनका मोत एक्सीडेंट में जबकि सोनिया गाँधी उस समय उनके साथ थी एक्सीडेंट के बाद सोनिया अपने घर भागी 
अब बारी है हमारे pm की जिसकी आशंका खुले मंच से जता चुके है प्रधानमंत्री बनने से पहले भी नरेंद्र मोदी को दो बार जान से मारने का प्रयास किया गया है.लेकिन दोनों ही बार मोदी को मारने की साजिश कामयाब नहीं हुई. हमलावर अपने नापाक मंसूबों में सफल नहीं हो पाए हैं. सबसे पहले वर्ष 2004 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए उनको मारने की साजिश हुई थी अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली ने भारतीय अधिकारियों को शिकागो में बताया था कि गुजरात पुलिस से साथ मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां का ताल्लुक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से था और वो उसकी मानव बम थी, जिसकों मानव बम के जरिए नरेंद्र मोदी को मारने का काम सौंपा गया था.
 जबकि दूसरी बार अक्टूबर 2014 में नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश की गई.उस वक्त हुआ था जब वे पटना में भाजपा की चुनावी रैली को संबोघित करने वाले थे तब मोदी को मारने की साजिश की गई थी. रैली से पहले पटना के गांधी मैदान में सिलेसिलेवार कई घमाके हुए थे. उसमे 6 लोगों मारे गए थे जबकि 100 से अधिक घायल हुए थे.
 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जान को खतरा तो भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी खुफिया एजेंसी भी इसको लेकर भारत को आगाह कर चुकी है.यही वजह है कि नरेंद्र मोदी की सुरक्षा उनके पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तुलना में दोगुनी है. प्रधानमंत्री मोदी के दुश्मन देश के बाहर ही नहीं बल्कि अंदर भी मौजूद है.खुफिया विभाग और उनकी सुरक्षा में लगी एजेंसियों को जो सूचनाएं प्राप्त हुई हैं उससे पता चलता है कि आतंकी संगठनों से प्रधानमंत्री मोदी को लगातार धमकियां मिल रही हैं
.गौरतलब है कि इससे पहले राजीव गांधी को भी ऐसी ही धमकियां मिली थीं.जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, दिल्ली पुलिस को एक दर्जन से ज्यादा खुफिया सूचनाएं मिल चुकी है, जिसके अनुसार वे आतंकियों के निशाने पर हैं. बताया जाता है कि राजीव गांधी के अलावा किसी अन्य प्रधानमंत्री की जान को इतना खतरा नहीं था जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जान को है.प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा को खतरे के अलर्ट को देखते हुए खुफिया एजेंसियों और उनकी सुरक्षा में तैनात एजेंसियों ने उनकी सुरक्षा काफी बढ़ा दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में विभिन्न घेरों के तहत एक हजार से ज्यादा कमांडो तैनात हैं, जबकि मनमोहन सिंह के आंतरिक सुरक्षा घेरे में लगभग 600 सुरक्षाकर्मी ही होते थे. .
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