Friday, 4 November 2016

किसी सही समाधान का कोई विकल्प नहीं होता

“किसी भी उपकरण के कई विकल्प संभव हैं, लेकिन किसी सही समाधान का कोई विकल्प नहीं होता है; उपकरण और समाधान के बीच प्रयोग का अंतर होता है जो प्रयास के परिणाम और प्रभाव के लिए निर्णायक होता है ; फिर उपकरण चाहे जो हो।

शाषन तंत्र भी सामाजिक व्यवस्था को सुनिश्चित करने का एक प्रभावशाली उपकरण मात्र है जिसकी उपयोगिता भी उसके प्रयोग के माध्यम से ही सिद्ध हो सकती है ; चूँकि समाज को व्यवस्थित रूप से चलाने का दायित्व अपने आप में बहोत बड़ा कर्त्तव्य है इसलिए स्वाभाविक है की एक उपकरण के रूप में शाषन तंत्र के पास भी कई विशिष्ट व् महत्वपूर्ण शक्तियों हैं जो उसके प्रभाव को व्यापक बनाती है।

अगर सरल शब्दों में कहें तो शाषन तंत्र भी उस कैलकुलेटर की तरह है जो गिनती करने में आपकी मदद तो कर सकता है पर आपके बदले गिनती नहीं कर सकता। और इसलिए शाषन तंत्र के उपयोग अथवा दुरूपयोग के लिए उसके सामर्थ और शक्ति को श्रेय या दोष नहीं देना चाहिए क्योंकि इस उपकरण के महत्व के लिए भी उसके प्रयोग के विषय का निर्णय और उद्देश्य निर्णायक होता है।

किसी भी उपकरण के प्रभावकारी प्रयोग के लिए न केवल प्रयोगकर्ता के लिए आवश्यक है की उसे समस्या की उचित समझ हो बल्कि उससे यह भी अपेक्षित है की वह उस उपकरण विशेष के प्रयोग की कला और प्रभाव की संभावनाओं से पूरी तरह अवगत हो, तभी , वह केवल प्रयोग के विषय के अपने निर्णय मात्र से ही न केवल उपकरण की उपयोगिता बल्कि प्रयास को मिले अवसर की भी सार्थकता सिद्ध कर पाने में सक्षम होगा।

जो उपकरण जितना अधिक शक्तिशाली व् प्रभावशाली होता है, स्वाभाविक है की उसे चलाने के लिए भी उतनी अधिक निपुणता व् योग्यता की आवश्यकता होगी अन्यथा अयोग्य के हाथों प्रभावशाली उपकरण के सञ्चालन का दायित्व सौंपने से किसी दुर्घटना या आत्मघात की सम्भावना को नहीं नाकारा जा सकता ; चूँकि शाषन तंत्र भी सामाजिक व्यवस्था को चलाने का एक उपकरण मात्र है, अतः यह नियम इस पर भी उतना ही लागू होता है।

जब किसी अयोग्य को शाषन तंत्र जैसे प्रभावशाली उपकरण का दायित्व सौंप दिया जाए तो ऐसा व्यक्ति उक्त उपकरण के प्रयोग के विषय के अपने निर्णय मात्र से ही संसाधन को समस्या में रूपांतरित कर देगा और इसलिए समाज अपने शाशन तंत्र के दायित्व को सौंपने के लिए जिस पात्र का चयन करता है उसके निर्धारण का आधार सामाजिक सुधार के प्रयास के किसी भी प्रक्रिया के परिणाम की दृष्टि से निर्णायक होता है।

महत्व भूमिका की है जो सामाजिक नेतृत्व के लिए चयनित पात्र को महत्वपूर्ण बनाता है, और इसलिए, अगर लोकप्रियता को योग्यता का विकल्प मान लिया जाए तो निर्णय के आधार की गलती से यही स्पष्ट होगा की समाज में महत्वपूर्ण एवं लोकप्रियता के बीच का अंतर स्पष्ट नहीं।

महत्वपूर्ण आवश्यक नहीं की लोकप्रिय हो और जो भी लोकप्रिय हो वह आवश्यक नहीं की महत्वपूर्ण भी हो; इसलिए, जब निर्णय का आधार ही गलत हो तो प्रयास को परिणाम से भी अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, ऐसे में, गलती के सुधार के लिए उसकी स्वीकृति आवश्यक होगी, क्योंकि तभी, परिस्थितियों में परिवर्तन संभव है।"

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