*भारतीय न्यायव्यवस्था*
देश की न्यायव्यवस्था इतनी हद तक बुरी तरह चरमरा गयी है कि खुद राष्ट्रपति कोविंद को फटकार लगनी पड़ी। राष्ट्रपति कोविंद ने दो दिन पहली ही बताया था कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और निचली अदालत में 3 करोड़ 30 लाख से ज़्यादा केस पेंडिंग पड़े हैं और आम आदमी सालों साल कोर्ट के चक्कर काटता रहता है और उसके केस पर फैसला नहीं आता है। और अधिकांश सुप्रीम कोर्ट के ऐसे फैसले आ रहे हैं जिनसे देश की जनता भड़क रही है, कश्मीर से धारा 35 A हटाने की सुनवाई को सीधा अगले साल पर टाल दिया गया, वहीं वामपंथियों के केस की अगले ही दिन सुनवाई होकर बेल मिल जाती है और राममंदिर, कश्मीरी पंडितों पर दस पंद्रह साल से सुनवाई आगे बढ़ती जा रही है।
अभी मद्रास कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जज को टोल प्लाजा पर पंद्रह मिनट खड़े होना और आईडी कार्ड दिखाना शर्म की बात है इसके लिए अलग से VIP लेन बनाने के आदेश दे दिए गए। इस बीच जज को लेकर बेहद चौंकाने वाली खबर आ रही है जो आपको अंदर तक झकझोर कर रख देगी।
अभी मिल रही खबर के मुताबिक जज और उनकी ऐश ओ आराम ज़िन्दगी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमे जनता की गाढ़ी कमाई को विदेशी टूर पर धड़ल्ले से उड़ाया जाता रहा है।
वकील गौरव अग्रवाल के एक आरटीआई के जवाब में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने कई जजों के विदेशी दौरों के खर्चों के बारे अहम जानकारी दी है, इन जजों ने यह यात्राएं अप्रैल, 2013 से मार्च, 2016 तक अपने परिवार के साथ की हैं। इनकी यात्रा किराए का भुगतान शीर्ष अदालत द्वारा किया गया है।
अभी मद्रास कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जज को टोल प्लाजा पर पंद्रह मिनट खड़े होना और आईडी कार्ड दिखाना शर्म की बात है इसके लिए अलग से VIP लेन बनाने के आदेश दे दिए गए। इस बीच जज को लेकर बेहद चौंकाने वाली खबर आ रही है जो आपको अंदर तक झकझोर कर रख देगी।
अभी मिल रही खबर के मुताबिक जज और उनकी ऐश ओ आराम ज़िन्दगी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमे जनता की गाढ़ी कमाई को विदेशी टूर पर धड़ल्ले से उड़ाया जाता रहा है।
वकील गौरव अग्रवाल के एक आरटीआई के जवाब में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने कई जजों के विदेशी दौरों के खर्चों के बारे अहम जानकारी दी है, इन जजों ने यह यात्राएं अप्रैल, 2013 से मार्च, 2016 तक अपने परिवार के साथ की हैं। इनकी यात्रा किराए का भुगतान शीर्ष अदालत द्वारा किया गया है।
मार्च, 2016 तक जस्टिस सीकरी अपनी पत्नी के साथ सात बार विदेश गए, उन्होंने लंदन, दुबई होते हुए नीदरलैंड के एम्सटर्डम-हेग, हांगकांग, ब्रुसेल्स और सिंगापुर (दो बार), चीन के मकाऊ और तेल अवीव का दौरा किया। इन दौरों पर सुप्रीम कोर्ट ने कुल 37.91 लाख रुपये खर्च किए।
जस्टिस ठाकुर ने भी किए कई दौरे भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने अपनी पत्नी के साथ सिंगापुर और सिडनी होते हुए श्रीलंका के कोलंबो, ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा, रूस के सेंट पीटर्सबर्ग का दौरा किया, यह दौरा मॉस्को और दुबई होते हुए किया गया, जबकि लंदन होते हुए अमरीका में इथाका, वाशिंगटन, न्यूयॉर्क, नेवार्क और शिकागो का दौरा किया। इन सबके हवाई यात्राओं पर 36.88 लाख रुपये खर्च आए।
जस्टिस चेलमेश्वर ने विदेश का एकमात्र दौरा नेपाल की राजधानी काठमांडू का किया, जिस पर कुल खर्चा 1.13 लाख रुपये आया, वहीं जस्टिस गोगोई के भूटान दौरे पर 1.46 लाख रुपये खर्च आया।
जस्टिस मदन बी लोकुर के दौरे पर 25.09 लाख खर्च
जस्टिस मदन बी लोकुर के दौरे पर सुप्रीम कोर्ट को 25.09 लाख खर्च हुए। जबकि जस्टिस अनिल दवे की ट्रिप पर 17.93 लाख खर्च किए गए। जस्टिस खेहर के दौरे पर 6.85 लाख खर्च हुए, जबकि जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला के दौरे पर 9.18 लाख और जस्टिस एसए बोबड़े के दौरे पर 4.50 लाख रुपये खर्च आया।
देश की अदालतों में करोड़ों केस पेंडिंग हैं और जजों को विदेशी टूर से फुर्सत नहीं मिल रही है, कुछ ही वक़्त पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और चीफ मिनिस्टर्स की मीटिंग के दौरान जजों की गर्मियों की छुट्टी को लेकर सवाल उठाया था, मगर उस वक़्त मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस टीएस ठाकुर ने पीएम मोदी को ही खरी-खरी सुनाते हुए कहा था कि जज गर्मी की छुट्टियों का मजा लेने हिल स्टेशनों पर नहीं जाते, बल्कि वे अपना समय मुकदमों के फैसले लिखने में लगाते हैं, ताकि पुराने मामले निपटते जाएं और नए मामले सुनवाई के लिए आ सकें।
जस्टिस चेलमेश्वर ने विदेश का एकमात्र दौरा नेपाल की राजधानी काठमांडू का किया, जिस पर कुल खर्चा 1.13 लाख रुपये आया, वहीं जस्टिस गोगोई के भूटान दौरे पर 1.46 लाख रुपये खर्च आया।
जस्टिस मदन बी लोकुर के दौरे पर 25.09 लाख खर्च
जस्टिस मदन बी लोकुर के दौरे पर सुप्रीम कोर्ट को 25.09 लाख खर्च हुए। जबकि जस्टिस अनिल दवे की ट्रिप पर 17.93 लाख खर्च किए गए। जस्टिस खेहर के दौरे पर 6.85 लाख खर्च हुए, जबकि जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला के दौरे पर 9.18 लाख और जस्टिस एसए बोबड़े के दौरे पर 4.50 लाख रुपये खर्च आया।
देश की अदालतों में करोड़ों केस पेंडिंग हैं और जजों को विदेशी टूर से फुर्सत नहीं मिल रही है, कुछ ही वक़्त पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और चीफ मिनिस्टर्स की मीटिंग के दौरान जजों की गर्मियों की छुट्टी को लेकर सवाल उठाया था, मगर उस वक़्त मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस टीएस ठाकुर ने पीएम मोदी को ही खरी-खरी सुनाते हुए कहा था कि जज गर्मी की छुट्टियों का मजा लेने हिल स्टेशनों पर नहीं जाते, बल्कि वे अपना समय मुकदमों के फैसले लिखने में लगाते हैं, ताकि पुराने मामले निपटते जाएं और नए मामले सुनवाई के लिए आ सकें।
देश की जनता गुस्से में
मगर अब दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका है, पता चल चुका है कि जज छुट्टियों के दौरान कौन से फैसले लिखते हैं।
मगर अब दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका है, पता चल चुका है कि जज छुट्टियों के दौरान कौन से फैसले लिखते हैं।
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