क्या भारत कही गायब था?
हमें गलत क्यूं पढ़ाया जाता है कि भारत की खोज वास्कोडिगामा ने किया,
आज से लगभग ५०० साल पहले, वास्को डी गामा आया था हिंदुस्तान. इतिहास की चोपड़ी में, इतिहास की किताब में हमसब ने पढ़ा होगा कि सन. १४९८ में मई की २० तारीख को वास्को डी गामा हिंदुस्तान आया था. इतिहास की चोपड़ी में हमको ये बताया गया कि वास्को डी गामा ने हिंदुस्तान की खोज की, पर ऐसा लगता है कि जैसे वास्को डी गामा ने जब हिंदुस्तान की खोज की, तो शायद उसके पहले हिंदुस्तान था ही नहीं. हज़ारो साल का ये देश है, जो वास्को डी गामा के बाप दादाओं के पहले से मौजूद है इस दुनिया में. तो इतिहास कि चोपड़ी में ऐसा क्यों कहा जाता है कि वास्को डी गामा ने हिंदुस्तान की खोज की, भारत की खोज की. और मै मानता हु कि वो एकदम गलत है. वास्को डी गामा ने भारत की कोई खोज नहीं की, हिंदुस्तान की भी कोई खोज नहीं की, हिंदुस्तान पहले से था, भारत पहले से था, वास्को डी गामा यहाँ आया था भारतवर्ष को लुटने के लिए, एक बात और जो इतिहास में, मेरे अनुसार बहुत गलत बताई जाती है कि वास्को डी गामा एक बहूत बहादुर नाविक था, बहादुर सेनापति था, बहादुर सैनिक था, और हिंदुस्तान की खोज के अभियान पर निकला था, ऐसा कुछ नहीं था, सच्चाई ये है कि पुर्तगाल का वो उस ज़माने का डॉन था, माफ़िया था. जैसे आज के ज़माने में हिंदुस्तान में बहूत सारे माफ़िया किंग रहे है, उनका नाम लेने की जरुरत नहीं है, क्योकि मंदिर की पवित्रता ख़तम हो जाएगी, ऐसे ही बहूत सारे डॉन और माफ़िया किंग १५ वी सताब्दी में होते थे यूरोप में. और १५ वी. सताब्दी का जो यूरोप था, वहां दो देश बहूत ताकतवर थें उस ज़माने में, एक था स्पेन और दूसरा था पुर्तगाल. तो वास्को डी गामा जो था वो पुर्तगाल का माफ़िया किंग था. १४९० के आस पास से वास्को डी गामा पुर्तगाल में चोरी का काम, लुटेरे का काम, डकैती डालने का काम ये सब किया करता था. और अगर सच्चा इतिहास उसका आप खोजिए तो एक चोर और लुटेरे को हमारे इतिहास में गलत तरीके से हीरो बना कर पेश किया गया. और ऐसा जो डॉन और माफ़िया था उस ज़माने का पुर्तगाल का ऐसा ही एक दुसरा लुटेरा और डॉन था, माफ़िया था उसका नाम था कोलंबस, वो स्पेन का था. तो हुआ क्या था, कोलंबस गया था अमेरिका को लुटने के लिए और वास्को डी गामा आया था भारतवर्ष को लुटने के लिए. लेकिन इन दोनों के दिमाग में ऐसी बात आई कहाँ से, कोलंबस के दिमाग में ये किसने डाला की चलो अमेरिका को लुटा जाए, और वास्को डी गामा के दिमाग में किसने डाला कि चलो भारतवर्ष को लुटा जाए. तो इन दोनों को ये कहने वाले लोग कौन थे?
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वेटिकन देश के महाराज पोप फ्रांसिस ने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन DC के आर्चबिशप डोनाल्ड वुर्ल का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया। डोनाल्ड पर आरोप था कि वे जब पेनसिलवानिया के बिशप थे, तब उन्होंने बच्चों पर कामासक्त रहने वाले पादरियों से निपटने के लिए पर्याप्त कार्रवाई नहीं की थी।डोनाल्ड ने अपने बिशपिया कार्यकाल में यौन उत्पीड़न के ढेरों काण्ड सामने आने पर त्यागपत्र देने की इच्छा प्रकट की थी। पोपराज ने डोनाल्ड की ‘नेकनीयती’ की प्रशंसा करते हुए उनका इस्तीफा लिया। अमेरिकी जूरी की रिपोर्ट में रहस्योद्घाटन हुआ था कि पेनसिलवानिया कैथोलिक चर्च ने चर्चों में हजारों बच्चों के साथ कामुकुकर्मों को बरसों छिपाए रखा।
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