70 फीसदी लोग मुकरे, नोटबंदी में खाते में जमा धन उनका नहीं
नोटबंदी के दौरान खातों में जमा करोड़ों रुपए को लेकर दिलचस्प खुलासे हो रहे हैं। आयकर विभाग के सख्त नियम और बेनामी ऐक्ट से बचने के लिए 70 फीसदी से ज्यादा लोग इस बात से मुकर गए हैं कि खाते में जमा रकम उनकी है। शहर में करीब 500 से ज्यादा खातों की जांच की गई। इस खुलासे के बाद आयकर विभाग ने बैंकों में जमा धन की निगरानी के लिए गाइडलाइंस की बात की है।
नोटबंदी के दौरान खातों में जमा करोड़ों रुपए को लेकर दिलचस्प खुलासे हो रहे हैं। आयकर विभाग के सख्त नियम और बेनामी ऐक्ट से बचने के लिए 70 फीसदी से ज्यादा लोग इस बात से मुकर गए हैं कि खाते में जमा रकम उनकी है। शहर में करीब 500 से ज्यादा खातों की जांच की गई। इस खुलासे के बाद आयकर विभाग ने बैंकों में जमा धन की निगरानी के लिए गाइडलाइंस की बात की है।
नोटबंदी के दौरान देशभर के बैंक खातों में करीब 15 लाख करोड़ से ज्यादा जमा हुए थे। जनधन खातों में 10-10 लाख रुपए आ गए। ऐसे हजारों खातों को संदिग्ध की श्रेणी में रखा गया। एसएफटी नाम के इस सॉफ्टवेयर के जरिए बैंकों को सूचनाएं भेजनी थीं। आयकर विभाग की वित्तीय खुफिया इकाई ने खातों को खंगालना शुरू किया। हाईटेक सॉफ्टवेयर एसएफटी के जरिए खातों की जांच की गई और जिनमें अचानक मोटी रकम जमा हुई थी, उन्हें अलग कर दिया। फिर उन खातों की जांच के लिए संबंधित क्षेत्रों में भेजा गया।
कानपुर रीजन में ऐसे खातों की जांच आयकर निदेशालय जांच और आपराधिक आसूचना एवं अन्वेषण संयुक्त रूप से कर रहे थे। वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) सीधे वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट करता है जबकि आयकर निदेशालय जांच अपनी रिपोर्ट केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भेजता है।
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कानपुर के करीब 500 से ज्यादा खातों की जांच में 70 फीसदी खाताधारकों ने ये कहकर पल्ला छुड़ाने की कोशिश की है कि उनके खाते में जमा रकम उनकी नहीं है। ये रकम लगभग 50 करोड़ रुपए से ज्यादा है। फिर ये पैसा किसका है? इसके जवाब में खाताधारकों ने कोई जवाब नहीं दिया। आयकर अधिकारियों का कहना है कि बेनामी एक्ट में फंसने के डर से लोगों ने अपने बेनामी पैसे से पल्ला छुड़ाया है। इस नई मुसीबत की पूरी रिपोर्ट विभाग ने सीबीडीटी को दी थी। जिसके बाद ही खाते में किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा रकम जमा करने पर नई गाइडलाइंस जारी की गई हैं।
मालूम हो कि देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने अपने ग्राहकों के बैंक खातों को सुरक्षित रखने के लिए भी एक बड़ा फैसला लिया है। नोटबंदी के दौरान बड़े पैमाने पर जालसाजी को देखते हुए एसबीआई ने फैसला लिया है कि किसी के खाते में कोई दूसरा शख्स पैसे नहीं जमा करा पाएगा। यानी अगर 'ए' का एसबीआई में बैंक खाता है तो केवल वही कैश काउंटर पर जाकर पैसे जमा करा पाएगा। यहां तक कि कोई पिता भी अपने बेटे के खाते में पैसे नहीं जमा करा पाएगा। विशेष परिस्थितियों में किसी दूसरे के हाथों पैसा जमा कराना है तो खाताधारक को पत्र देना पड़ेगा।
कानपुर रीजन में ऐसे खातों की जांच आयकर निदेशालय जांच और आपराधिक आसूचना एवं अन्वेषण संयुक्त रूप से कर रहे थे। वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) सीधे वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट करता है जबकि आयकर निदेशालय जांच अपनी रिपोर्ट केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भेजता है।
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मालूम हो कि देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने अपने ग्राहकों के बैंक खातों को सुरक्षित रखने के लिए भी एक बड़ा फैसला लिया है। नोटबंदी के दौरान बड़े पैमाने पर जालसाजी को देखते हुए एसबीआई ने फैसला लिया है कि किसी के खाते में कोई दूसरा शख्स पैसे नहीं जमा करा पाएगा। यानी अगर 'ए' का एसबीआई में बैंक खाता है तो केवल वही कैश काउंटर पर जाकर पैसे जमा करा पाएगा। यहां तक कि कोई पिता भी अपने बेटे के खाते में पैसे नहीं जमा करा पाएगा। विशेष परिस्थितियों में किसी दूसरे के हाथों पैसा जमा कराना है तो खाताधारक को पत्र देना पड़ेगा।
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