Sunday 2 September 2018

patr vishesh


यह विचारणीय बात है कि आखिर जो कोर्ट छोटी-छोटी पीआईएल पर दही हांडी की ऊंचाई सीमित कर देता है जलीकट्टू प्रतिबंधित कर देता है, वही कोर्ट देश के प्रधानमंत्री की हत्या का षड्यंत्र रचने वालों को पुलिस कस्टडी में भेजने के बजाय उन्हें आराम से केवल नजरबंद करने की बात करता है जैसे किसी छोटे मोटे वित्तीय अनियमितता का मामला हो, प्रधानमंत्री देश का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है किंतु उसकी हत्या के षड्यंत्रकारियों के ऊपर दिया यह निर्णय कोर्ट की विश्वसनीयता पर ही एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है,
 हाई कोर्ट के जज मुरलीधर इस विषय को गंभीरता से ना लेते हुए गौतम नवलक्खा का पुणे ट्रांसफर रुकवा देते हैं और सुप्रीम कोर्ट उन सभी वामपंथी आतंकियों को पुलिस कस्टडी में देने के बजाय मात्र हाउस अरेस्ट करने का आदेश देता है साथ ही साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से भी स्पष्टीकरण मांग लेता है,
यदि हम इस विषय की गहराई में जाएं और यह निर्णय सुनाने वाले जज मुरलीधर व् उनकी पृष्ठभूमि, उनके करीबी संबंध देखें तो यह विषय अधिक स्पष्ट हो सकता है तो चलिए इस विषय पर भी एक दृष्टि डाल लेते हैं
जज मुरलीधर वही जज हैं जिन्होंने घोटालों के आरोपी पी, चिदम्बरम के घोटालेबाज बेटे कार्ती चिदम्बरम को जमानत दी थी, इन्हीं जज मुरलीधर की बीवी हैं उषा रामनाथन जो खुद एक वामपंथी हैं NGO गिरोह की सदस्य है, नक्सलियों की वकील हैं और “एक्टिविस्ट” हैं, उषा रामनाथन ने कई प्रोजेक्ट्स पर गौतम नवलक्खा के संग काम किया है, ये वही गौतम नवलक्खा है जो प्रधानमंत्री की हत्या का षड्यंत्र रचने और जातीय हिंसा फैलाने का आरोपी है, जज मुरलीधर की बीवी, उषा रामनाथन वहीँ हैं जो सब्सिडी चोरी, टैक्स चोरी रोकने और बैंक खातों की पहचान में प्रयोग होने वाले बायोमेट्रिक सिस्टम आधार का पुरजोर विरोध करती फिरती हैं, यही उषा रामनाथन वामपंथी आतंकियों के प्रोपगैंडा मिडिया पोर्टल द वायर की ऑथर भी है।
इन तथ्यों से परिचित होने के बाद अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि जिस जज की बीवी ही स्वयं वामपंथी गिरोह की सदस्य हो और उसकेे सम्बंध उन्ही वामपंथी आतंकियों से हों जो प्रधानमन्तरी की हत्या का षड्यंत्र रचा रहे थे तो ऐसी औरत के शौहर पर वामपंथ की कितनी गहरी छाप होगी, और वामपंथी आतंकियों के प्रति कितना लगाव होगा और वो कितनी निष्पक्षता के संग अपने कर्तव्य का निर्वाहन करेगा ?
वामपंथीयों कि धूर्तता पूर्ण विशेषता यह है कि ये समाज के हर क्षेत्र में प्रत्येक स्तर पर मौजूद हैं, कॉलेज में प्रोफेसरों के रूप में वे वामपंथ कि नई पौध को तैयार करते हैं, फिल्म जगत व् साहित्य जगत में वे वामपंथ का प्रचार प्रसार करते हैं, मिडिया जगत में अपनी उपस्थिति से ये आमजनमानस के विचारों में वामपंथ की स्वीकार्यता बढ़ाने और लोगों की सोच को प्रभावित कर अपने अनुरुप ढालने का प्रयास करते हैं, ब्यूरोक्रेसी और ज्यूडिशरी में अपनी उपस्थिति से ये आपने साथियों का बचाव करते हैं और उनकी रणनीतियों को सफल होने में सहयोग करते हैं
इन वामपंथी आतंकियों की शक्ति का उधारण आपको देखना है तो यह समझीये की जितने भी बामपंथी आतंकी प्रधानमंत्री की हत्या का षड्यंत्र रच रहे थे वे सभी वॉर ग्रेड के वेपंस की जुगाड़ में लगे हुए थे, इन्हीं बामपंथी आतंकियों से प्राप्त चिट्ठियों से पता चलता है एम 4 असाल्ट रायफल, कार्बाइन, ग्रेनेडस, ग्रेनेड लॉन्चर और कई अन्य सॉफिस्टिकेटेड विस्फोटकों को हासिल कर उनका प्रयोग कर यह भारत को अस्थिर करने की योजना बना रहे थे,
सीधे शब्दों में कहें तो भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की तैयारी थी, और ऐसी धृष्टता व् दुस्साहस के बावजूद भी आज वे न्यायपालिका में अपने मित्रों की उपस्थिति का लाभ लेकर आराम से सकुशल अपने घरों में बैठे हैं,
केवल यही नहीं इन वामपंथी आतंकियों के संबंध भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के भी साथ हैं इन वामपंथी आतंकी से मिली चिट्ठियों से पता चलता है कि कांग्रेस में बैठे इनके मित्र इन्हें आर्थिक व् कानूनी सहायता उप्लब्ध करवाने हेतु भी तैयार थे, यह स्थिति तब है जब पूरे भारत में केवल एक राज्य केरल में इन वामपंथी का शासन है पूरे देश की जनता ने इन्हें और इनकी नीतियों को नकार दिया है किंतु उसके बावजूद भी यह बड़ी ही सरलता से अपने देश विरोधी एजेंडा को न केवल चला सकने में सक्षम हैं अपितु कानून की पकड़ से भी बच निकलते हैं,
यदि इन वामपंथी पर लगाम कसनी है तो सर्वप्रथम ज्यूडिशियल रिफॉर्म्स की ओर ध्यान केंद्रित करना होगा तथा यह सुनिश्चित करना होगा की इन वामपंथी से जुड़ा हुआ कोई भी मामला किसी ऐसे न्यायधीश के हाथ में ना जाए जहां उस जज के संबंध या उसके करीबियों के सम्बंध वामपंथीयों और उसके समर्थकों से हों, तथा सीधा कॉन्फ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट बनता हुआ न दिखे
:🇮🇳Rohan Sharma
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*Sc/St एक्ट*
मोदी सरकार के द्वारा लाये गये Sc/St बिल में संशोधन के प्रस्ताव पर लोक सभा और राज्य सभा दोनो में कॉन्ग्रेस ने इस बिल का समर्थन करके पास करा दिया।
*लेकिन*
👉🏼कॉन्ग्रेस ने इस संशोधन प्रस्ताव को पास कराने का श्रेय नही लिया .... क्यों ?
👉🏼 इसी बीच राहुल गाँधी, मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिला था, क्यो?
👉🏼 कॉन्ग्रेस ने अभी हाल ही में एक बार भी जिक्र नही किया कि St /St एक्ट कॉन्ग्रेस की ही देन है , क्यों?
क्योंकि मोदी सरकार ने Sc/St एक्ट की धाराएं ,मुस्लिम और ईसाईयो पर भी लागू होंगी,शामिल कर दिया। इससे मुस्लिम और ईसाईयो में कॉन्ग्रेस के प्रति जबरदस्त आक्रोश पैदा होना लाजमी है।
*नए Sc/St एक्ट से दलितों को क्या मिला* ~~
वर्तमान समय मे दलितों के साथ सबसे ज्यादा अत्याचार ,चाहे दलित को घोड़ी से उतारने की घटना हो, या दलित की लड़की भगाने की,या दलित की जमीन हड़पने की या दलित के पशु चोरी करने की वारदाते हो,सभी में मुस्लिम का हाथ होता है, *मोदी सरकार ने दलितो को पूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान किया, कॉन्ग्रेस सरकार ने बड़ी ही चतुराई से मुस्लिम और ईसाईयों को* दलितों के साथ दुर्व्यवहार करने की पूरी छूट दे रखी थी।
*इस Sc/St संशोधन से सवर्णो को क्या मिला*
*Sc/St एक्ट तो 1989 से प्रस्तावित और 1995 , से Gen कास्ट पर ये पहले से लागू था, इसलिए gen के लिए यह कोई नई बात नही थी। मोदी सरकार ने बहुत ही चतुराई से पहले इस एक्ट में संशोधन के लिए माहौल बनाया, पूरा समय लिया ,जब लोहा गर्म हुआ, तुरंत इस एक्ट की धाराएं मुस्लिम और ईसाईयो पर भी लागू होंगी ,जोड़कर सदन के पटल पर रख दिया, अब ऐसी स्थिति आ गया, ना चाहते हुए भी कॉन्ग्रेस सहित पूरे विपक्ष को इसका समर्थन करना पड़ा।*
अब इस एक्ट से सवर्ण भाई अपने दलित भाईयो के साथ मिलकर, मुस्लिमो का मुकाबला और ज्यादा ताकत से कर सकते है।
_ईसाई हिन्दुओ का धर्मान्तरण करने से भी हिचकेंगे,क्योकि कोई भी दलित भाई इन पर केस करके किसी भी मौलाना और पादरी को दुर्व्यवहार की सजा दिलवा सकता है,_
देशभर में 65 से ज्यादा मौलानाओ और पादरियों पर इस एक्ट में केस दर्ज हो चुके है, अब इसके साथ ही कॉन्ग्रेस की बौखलाहट बढ़ना शुरू हो गयी है।
अतः हम सभी हिन्दू भाईयो का उत्तरदायित्व है चाहे हम दलित हो या सवर्ण सभी एक हो।
मोदी युग एक सुनहरा मौका है ,हम सब हिन्दू एक हो, और अपना देश खुशहाल बनाये।
अब हम कॉन्ग्रेस को ऐसा मौका कभी ना दे कि कॉन्ग्रेस फिर से मुस्लिम और ईसाईयो को दलित एक्ट की सजा की धाराओ से अलग कर दे।






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