"केरल की बाढ़"
केरल की बाढ़ के समय जैसा रंडीरोना मचाया गया, ऐसा लगा मानो जैसे बाढ़ जैसा कुछ विश्व में पहली बार आया है , और वहां के लोगों ने बाढ़ के नाम पर हिंदुस्तान को विभाजित करने का प्रयास किया वो उससे भी ज्यादा शर्मनाक था। थू है ऐसी मानसिकता पर जो एक दूसरे की मदद करने के जगह बस उत्तर और दक्षिण की राजनीती कर रहे। ऐसा लग रहा था जैसे वहां के लोग बस सरकार के भरोसे बैठे हुए है। संपूर्ण हिंदुस्तान ने अपना अथक प्रयास की उनकी मदद का लेकिन जब आपकी मानसिकता संकीर्ण हो तो उसका कुछ भी नही किया जा सकता। उत्तराखंड, असम में ब्रह्मपुत्र की तराई के , बिहार में उत्तर बिहार और गंगा की तराई के लोग जो बाढ़ की विभीषिका हर वर्ष झेलते है केरल में तो 30 सालों में उसका 40% भी नही था उसके बाद भी वो जो संघर्ष की जीजीवटा दिखाते हैं वो नमन योग्य है। लोग पूछते हैं उत्तराखंड के ज्यादातर लोग आर्मी में और बिहार के लोग UPSC में ज्यादा क्यों चुने जाते हैं तो उसका उत्तर भी संघर्ष ही है , संघर्ष जो उनके खून में है, संघर्ष जो उन्होंने बचपन से किया है जीवित रहने के लिए, 2 वक्त की रोटी के लिए क्योंकि उनकी फसलें तो बाढ़ में ख़राब हो ही चुकी हैं। उत्तराखंड में इतनी भयंकर त्रासदी के बाद भी वो नही टूटे कभी भी हिंदुस्तान को गली नही दी । पर ऐसा लगता है मनो केरल ने तो बाढ़ की कामना ही इसिलिये की थी ताकि वो उत्तर भारतियो को गली दे सके। इसमें सबसे विरोधाभासी बात उनका 100% शिक्षित होना था । हमारी संस्कृति अलग है , हमारे विचार अलग हो सकते हैं पर हमे ये नही भूलना चाहिए की हम हिन्दुस्तानी पहले हैं।
केरल की बाढ़ के समय जैसा रंडीरोना मचाया गया, ऐसा लगा मानो जैसे बाढ़ जैसा कुछ विश्व में पहली बार आया है , और वहां के लोगों ने बाढ़ के नाम पर हिंदुस्तान को विभाजित करने का प्रयास किया वो उससे भी ज्यादा शर्मनाक था। थू है ऐसी मानसिकता पर जो एक दूसरे की मदद करने के जगह बस उत्तर और दक्षिण की राजनीती कर रहे। ऐसा लग रहा था जैसे वहां के लोग बस सरकार के भरोसे बैठे हुए है। संपूर्ण हिंदुस्तान ने अपना अथक प्रयास की उनकी मदद का लेकिन जब आपकी मानसिकता संकीर्ण हो तो उसका कुछ भी नही किया जा सकता। उत्तराखंड, असम में ब्रह्मपुत्र की तराई के , बिहार में उत्तर बिहार और गंगा की तराई के लोग जो बाढ़ की विभीषिका हर वर्ष झेलते है केरल में तो 30 सालों में उसका 40% भी नही था उसके बाद भी वो जो संघर्ष की जीजीवटा दिखाते हैं वो नमन योग्य है। लोग पूछते हैं उत्तराखंड के ज्यादातर लोग आर्मी में और बिहार के लोग UPSC में ज्यादा क्यों चुने जाते हैं तो उसका उत्तर भी संघर्ष ही है , संघर्ष जो उनके खून में है, संघर्ष जो उन्होंने बचपन से किया है जीवित रहने के लिए, 2 वक्त की रोटी के लिए क्योंकि उनकी फसलें तो बाढ़ में ख़राब हो ही चुकी हैं। उत्तराखंड में इतनी भयंकर त्रासदी के बाद भी वो नही टूटे कभी भी हिंदुस्तान को गली नही दी । पर ऐसा लगता है मनो केरल ने तो बाढ़ की कामना ही इसिलिये की थी ताकि वो उत्तर भारतियो को गली दे सके। इसमें सबसे विरोधाभासी बात उनका 100% शिक्षित होना था । हमारी संस्कृति अलग है , हमारे विचार अलग हो सकते हैं पर हमे ये नही भूलना चाहिए की हम हिन्दुस्तानी पहले हैं।
बाकि आपके प्यार की कामना रहेगी ।
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