जगदम्बा की पूजा रोकने के भयंकर षडयंत्र....
महाराष्ट्र में हिंदू धर्म के कतिपय विरोधियों ने जिनको हिंदू विरोधी ईसाई मिशनरियों और मुस्लिम समूहों का समर्थन प्राप्त है ,अचानक एक नया प्रयास शुरू हुआ है कि आयुक्त और जिलाधिकारी महोदय को ज्ञापन देकर यह कहा जाए कि महिषासुर हमारे पूर्वज हैं। जगदंबा के द्वारा उनका मर्दन दिखाना हमारी धार्मिक भावनाओं का अपमान है ।
इस विषय में हमने प्रख्यात समाज वैज्ञानिक प्रोफेसर कुसुमलता केडिया जी से बात की तो उनका कहना निम्नांकित है:-
" पूरा विषय यह है कि यह एक बहुत बड़ा ईसाई और इस्लामिक षड्यंत्र है ।क्योंकि वहां देवता और देवी स्त्री रूप में नहीं है और जो डी विंची कोड आया था ,उस में भी यह सत्य वर्णित है कि जो स्त्री शक्ति है, जिसका रेनेसां के बाद यूरोपमें पुनः उदयहुआ और जो पुराने यूरोपमें सर्वमान्य थी ,जिसे चर्च ने नष्टकिया,उसी स्त्री शक्तिके पुनः उत्कर्ष से घबराकर यह स्त्री शक्तिका षडयंत्रपूर्ण विरोध है और उसी स्त्री शक्ति के खंडन का यह इसाई इस्लामिक प्रयास है ।
महिषासुर कोई ऐतिहासिक चरित नहीँ है । वह मिथकीय चरित्र है।वह तो भगवान विष्णु के 2 पार्षद हैं जो शाप वश अवतार लेते हैं और जगदंबा उनका हनन करती है और वह अपने भगवान के पास फिर पहुंच जाते हैं ।
न तो वे किसीके पूर्वज हैं, न कोई उनका वंशज । वंशज पूर्वज होने का कोई सवाल ही नहीं है ।एक पौराणिक गाथा है और अस्मिता का प्रयोजन है बुरी शक्तियों का विनाश सत शक्ति द्वारा।ं चिन्मयी सत शक्तिजगदंबा उनका हनन करती हैं।
इन विरोधियों का यह सीधे-सीधे दो विषय है :एक जगदंबा की पूजा को बाधित करना और दूसरा स्त्रियों के शक्ति रूप होने को खंडित करना । जिसका ही एक लक्ष्य है कि यह जो स्त्रियों के साथ एकदम कच्ची उम्र से लेकर वृद्धा के साथ जो बलात्कार की घटनाएं बढ़ गई है ,वह स्वयं इन दुष्टों पापियों का नाश कर सकती हैं ,इस बात को स्त्रियों के चित्त से हटा देना ।
तो इसका हम स्त्रियां भयंकर विरोध करें कि जगदम्बा की पूजा रोकनेके प्रयास के पीछे यह स्त्री शक्ति विरोधी समूहोंका भयंकर षडयंत्र है।
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