दिल्ली के आम चुनाव याद हैं? फिर तो फ़्लैश म़ोब भी पता होगा ?
अचानक किसी भीड़ भाड़ वाले मेट्रो स्टेशन पर या किसी मॉल में कई लोग इकठ्ठा होकर किसी गाने पर नृत्य शुरू कर देते थे. अब याद आया? “पांच साल केजरीवाल... केजरीवाल...” बजता था और पूरी भीड़ नाचने लगती थी. इसी को फ़्लैश म़ोब कहते हैं.
Flash mob का ये सिर्फ एक रूप है. Flash mob का असली रूप ऐसा नहीं होता. वो भयावह होता है. किसी भीड़ भाड़ वाली जगह पर अचानक जिस्म टटोलने आ गए दर्ज़नों हाथों का दुनिया भर में कई लड़कियों को अनुभव हुआ होगा. वो फ़्लैश मोब है. सड़क पर गाड़ी से मामूली धक्का लगने पर हर और से जो अनजान हाथ ड्राईवर की तुड़ाई में जुटते हैं ना? बिना ये देखे कि ड्राईवर की गलती थी भी या नहीं, वो फ़्लैश मोब है. खदेड़ का किसी को चोर-चोर कहकर पीट कर जो भीड़ मार देती है वो है फ़्लैश मोब.
अगर आप आत्म-रक्षा के तरीकों में ट्रेनिंग पहले ही लेकर नहीं बैठे हैं, तो आपको ऐसे फ़्लैश मोब से निपटने के बारे में कुछ भी नहीं पता है. ये भीड़ कल तक आपको अज्ञात लगती होगी. कहीं सुदूर मालदा, किसी अजीब सी टोंक नाम की जगह, या इंदौर-जयपुर में जुटती थी ना ऐसी भीड़ तो? आपको क्या जरुरत थी इनसे सुरक्षा के बारे में सोचने की? दंगे तो कहीं अनजान जगहों पर होते हैं. आपके आँगन में थोड़ी न फ़्लैश मोब जुटती. आपकी गली में कौन सा दंगा होने वाला था भला!
लेकिन होली के दिन ठीक दिल्ली के बीच हुई घटना ने शायद आपकी आँखें खोल दी होगी. अब आपको पता है कि ये अराजक भीड़ कभी भी आपके दरवाजे पर दस्तक दे सकती है. वो आपको आपके ही सुरक्षित से आशियाने से बाहर खींच कर मार सकती है. वो आपके बीवी बच्चों को अनाथ बना सकती है. उस से पुलिस भी आपको बचा नहीं सकती. उस से बचकर भागना आपको खुद ही सीखना होगा.
लेकिन क्या आपको पता है कि दंगे जैसे हाल में फंसने पर आपको करना क्या चाहिए? डर के मारे आपके हाथ पांव फूलेंगे या खुद की और अपने प्रिय जनों की सुरक्षा के लिए कुछ कर पाएंगे आप? क्या करना चाहिए इसके बारे में कभी कुछ सीखा है? नहीं! आइये जिन्दा बचने के कुछ जरूरी तरीकों पर एक नजर डालें.
लेकिन क्या आपको पता है कि दंगे जैसे हाल में फंसने पर आपको करना क्या चाहिए? डर के मारे आपके हाथ पांव फूलेंगे या खुद की और अपने प्रिय जनों की सुरक्षा के लिए कुछ कर पाएंगे आप? क्या करना चाहिए इसके बारे में कभी कुछ सीखा है? नहीं! आइये जिन्दा बचने के कुछ जरूरी तरीकों पर एक नजर डालें.
नंबर -1 उग्र भीड़ की उलटी दिशा में भागने की कोशिश हरगिज़ मत कीजिये
अगर आपको भीड़ से बाहर निकलना है तो अपने चलने की स्पीड कम कीजिये. मुश्किल से एक मिनट में भीड़ आपसे आगे निकल चुकी होगी और आप भीड़ के पीछे छूट जायेंगे. अब आप पलट कर भाग सकते हैं. सीधा भीड़ की उलटी दिशा में भागने की कोशिश करते ही आप एक उग्र भीड़ का निशाना बन जायेंगे. ऐसा करने की सोचिये भी मत.
नंबर - 2 अपने पास कुछ नकद पैसे रखिये.
घर में पांच दस हज़ार नकद रखने की आदत डालिए. अपनी खुद की आपात स्थिति के लिए जेब में हज़ार का एक नोट, या पांच सौ जैसे बड़े नोट रखना शुरू कीजिये. दंगे की स्थिति में अगर आपको रात भर या दिन भर घर के बाहर गुजारा करना पड़ा तो आपको खाना और पानी खरीदना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में पानी महंगा नहीं बल्कि सोने के भाव मिलेगा. अपना इंतजाम अपनी जेब में रखना शुरू कीजिये.
नंबर - 3 भीड़ को खुली जगह चाहिए
किसी गैलरी जैसी संकरी जगह में, किसी मकान के अन्दर, दरवाजे के पीछे, कम जगह में लाठी, तलवार, फरसा, ट्यूब लाइट, देसी बम जैसे हथियारों से हमला करना भीड़ के लिए मुमकिन नहीं होता. बिना लगातार के अभ्यास के ऐसे हथियारों को कम जगह में चलाना नामुमकिन है. अपने कमरे के अन्दर झाड़ू को जरा लाठी/तलवार की तरह चलाने की कोशिश कर के देखिये. छत या दिवार से टकरा जायेगा. नोंक भोंकने / चुभा देने की कोशिश का ज्यादा फायदा नहीं होता, वो एक इंच का कट भी नहीं लगा पायेगा.
भीड़ आप पर खुली जगह में ही आसानी से हमला कर सकती है. याद कीजियेगा तो डॉ. नारंग को भी आतंकी घर से खींच कर बाहर ले आये थे. अगर खुली जगह पर दंगे जैसी स्थिति का सामना हो तो किसी बिल्डिंग में घुस जाने की कोशिश कीजिये. मकान के अन्दर आप ज्यादा सुरक्षित होंगे.
भीड़ आप पर खुली जगह में ही आसानी से हमला कर सकती है. याद कीजियेगा तो डॉ. नारंग को भी आतंकी घर से खींच कर बाहर ले आये थे. अगर खुली जगह पर दंगे जैसी स्थिति का सामना हो तो किसी बिल्डिंग में घुस जाने की कोशिश कीजिये. मकान के अन्दर आप ज्यादा सुरक्षित होंगे.
नंबर - 4 पुलिस पर बहुत ज्यादा भरोसा करने की मूर्खता मत कीजिये
एक तो पुलिस को आप तक पहुँचने में वक्त लगेगा. भीड़ आपको 5 मिनट में निपटा देगी. आपके बदन से हर धागा, हर कपड़े का टुकड़ा नोच लेने के लिए पांच मिनट बहुत हैं. पीट के किसी को मारने के लिए पांच मिनट ज्यादा हैं. पांच मिनट से कम में आ जाएगी पुलिस?
शायद ना आ पाए, अगर आ भी गई तो एक जीप में भरे 5-10 पुलिसकर्मी आपको 100-200 की भीड़ से बचा लेंगे? 50 लोगों की भीड़ से भी नहीं बचा पाएगी. इसके अलावा दंगे की स्थिति में पुलिस नहीं जानती कि आप पीड़ित हैं या दंगाई. आपको गिरफ्तार कर लेना उनके लिए सबसे सुरक्षित तरीका है. वो आपको कम से कम अन्दर करेंगे, लाठी चार्ज भी हो सकता है. पुलिस के भरोसे बैठे हैं तो आपका भगवान् ही मालिक है.
शायद ना आ पाए, अगर आ भी गई तो एक जीप में भरे 5-10 पुलिसकर्मी आपको 100-200 की भीड़ से बचा लेंगे? 50 लोगों की भीड़ से भी नहीं बचा पाएगी. इसके अलावा दंगे की स्थिति में पुलिस नहीं जानती कि आप पीड़ित हैं या दंगाई. आपको गिरफ्तार कर लेना उनके लिए सबसे सुरक्षित तरीका है. वो आपको कम से कम अन्दर करेंगे, लाठी चार्ज भी हो सकता है. पुलिस के भरोसे बैठे हैं तो आपका भगवान् ही मालिक है.
नंबर - 5 चलिए, दौड़िए मत !
अगली सुबह या शाम जरा स्पोर्ट्स शूज पहनिए और दौड़ने निकल जाइए. फुल स्पीड में भागिए! कितनी देर में पेट में दर्द होने लगता है? पांच मिनट, दस मिनट भी नहीं दौड़ पाए? ओह! अफ़सोस! वैसे दंगे वाली जगह से दौड़ कर भागने की कोशिश में भी आपका यही होगा. पांच मिनट बाद आप गिर जायेंगे. लेकिन पीछा करने वाले तो पांच मिनट में रुके नहीं है ! क्या होगा समझ आ गया ना?
दंगे वाली जगह से तेज गति से चलकर भागने की कोशिश कीजिये. दौड़ने की कोशिश मत कीजिये. एक तो आपका दौड़ने का अभ्यास नहीं है इसलिए आप थककर गिरेंगे. ऊपर से भागने की कोशिश में भीड़ का ध्यान आप पर चला जायेगा. अपनी तरफ भीड़ का ध्यान खींचना है?
दंगे वाली जगह से तेज गति से चलकर भागने की कोशिश कीजिये. दौड़ने की कोशिश मत कीजिये. एक तो आपका दौड़ने का अभ्यास नहीं है इसलिए आप थककर गिरेंगे. ऊपर से भागने की कोशिश में भीड़ का ध्यान आप पर चला जायेगा. अपनी तरफ भीड़ का ध्यान खींचना है?
नंबर - 6 भागना सीखिए
भागना हमेशा कायरता नहीं होती. आपके घर में परिवार है, बच्चे हैं, बुजुर्ग हैं. भीड़ के साथ ऐसी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है. वहां सभी तोड़ फोड़ या उपद्रव में सक्षम लोग हैं. अगर दंगों के शुरू होने के शुरुआती दौर में ही आप अपने घर की कीमती चीज़ें समेट कर, परिवार को कार में डालकर वहां से भाग सकते हैं तो भाग जाइये. आपकी जिम्मेदारी कोई नहीं उठाना चाहता. सुरक्षा आपकी खुद की जिम्मेदारी है, निकल सकते हों तो निकल जाइए. देखते हैं क्या होता है जैसा कुछ सोचकर बैठने की जरुरत नहीं है.
नंबर - 7 अपने आस पास की घटनाओं की खबर रखिये
दंगे की हालत में आप टीवी देख पाएंगे इसपर शक है. अपने भरोसे के रिश्तेदारों और दोस्तों को फ़ोन करके खबर लेते रहिये. एक अच्छा तरीका रेडियो भी होता है. आज-कल हर मोबाइल में रेडियो होता है. रेडियो पर प्रसारण सुनते रहिये, अपने इलाके की खबर रखिये.
नंबर - 8 अगर आपके पास बन्दूक है तो ढेर सी गोलियां रखिये.
अगर आप गोलियों का खर्चा नहीं उठा सकते और दिखावे या सोशल स्टेटस के लिए आपने बन्दूक रखी है तो आपको दोबारा सोचना चाहिए. जिन्हें पता है कि आपके पास बन्दूक है, वो बन्दूक लूटने के लिए मोहल्ले के बाकी घर छोड़कर आपको निशाना बनायेंगे.
अगर आपके पास करीब 200 गोलियां नहीं हैं तो दोनाली या रायफल जैसे हथियारों से अपना बचाव आप नहीं कर सकते.
अगर आपके पास करीब 200 गोलियां नहीं हैं तो दोनाली या रायफल जैसे हथियारों से अपना बचाव आप नहीं कर सकते.
ध्यान रखिये, गोली सीने पर नहीं चलानी! कमर से कम ऊंचाई पर गोली दागिए. हमलावरों को मारना आपका उद्देश्य नहीं है, उन्हें अपाहिज करना ज्यादा फायदेमंद है. मरे हुए आदमी का आतंक कम होगा. चीखता हुआ घायल आदमी भीड़ को डरा देगा. उसे उठा कर ले जाने के लिए भीड़ से दो चार आदमी कम होंगे. एक अपाहिज को पालने में हमलावर समाज का भविष्य लम्बे समय तक ख़राब होगा. वो जब तक जिन्दा रहेगा, हमलावरों को उसे लंगड़ाते देखकर याद आएगा कि दंगे की कोशिश का नतीजा क्या होता है. दोबारा ऐसा कुछ करने की हिम्मत जुटाना उनके लिए मुश्किल होगा.
कमर से नीचे लगी गोली में आप पर आत्मरक्षा का मामला बनता है. आपके बाद में कभी गिरफ्तार होने, जेल जाने की संभावना भी कमर से नीचे गोली दागने पर नगण्य होगी.
नंबर - 9 आंसू गैस जैसी चीज़ों से निपटने के तरीके याद रखिये
दंगाई भागने के लिए भी तैयार होते हैं. वो इलाके से निकल भागेंगे और आंसू गैस का सामना आपको करना पड़ेगा. कोलगेट का वो सफ़ेद वाला टूथपेस्ट याद है? आँख के थोड़ा नीचे पेस्ट लगाने से आंसू गैस का असर काफी हद तक कम किया जा सकता है. गीले रुमाल से चेहरा ढक कर सांस लीजिये, जलन कम होगी.
किसी आंसू गैस चली हुई जगह से वापिस घर आते है फ़ौरन सारे कपड़े बदलिए और नहाइए. घडी, अंगूठी, चैन, रुमाल सब धोने की जरुरत है. या एक दो दिन बाद इस्तेमाल कीजिये दोबारा. दंगे में इस्तेमाल होने वाले केमिकल चिपकने वाले द्रव्य होते हैं. उनका अंश आपके कपड़ों में होगा. तीस मार खान मत समझिये खुद को, ये दवाएं आपके जैसे हजारों लोगों को जहर दे दे कर बनायीं गई थी.
नंबर -10 कहना आसान और करना मुश्किल है फिर भी, घबराइए मत.
डरावनी फ़िल्में, थ्रिलर वाली फ़िल्में देखी हैं क्या? उसमें जो नायक-नायिका का दल किसी आपात स्थिति में फंसा होता है उस दल में एक OMG मैडम भी होती हैं. अक्सर एक No Please साहब भी होते हैं इस दल में. इन दोनों का काम क्या होता है?
OMG मैडम का काम होता है हर बात में हे भगवान् चिल्ला के रोना धोना शुरू कर देती है! No Please साहब को हर उपाय में खतरा ही दिखता है, खुद कुछ नहीं जानते लेकिन किसी ट्रेन्ड फौजी या पुलिस वाले के सुझाये हर उपाय पर उन्हें सवाल उठाना होता है.
इनकी वजह से देर होती है नुकसान होता है. ये शुद्ध मूर्खता है, ऐसा करना मत शुरू कर दीजिये. आम तौर पर ऐसे सवाल वही लोग करते हैं जिन्होंने आपात स्थितियों की कोई तैयारी कभी की ही नहीं हो. अगर ऐसा कोई आस पास है तो उस से दूर हटिये. वो खुद भी डूबेगा और आपको भी साथ ले जायेगा. अपने बच्चों को आपात स्थितियों की ट्रेनिंग दीजिये. किसी आपात स्थिति में उन्हें पता होगा कि क्या करना है.
OMG मैडम का काम होता है हर बात में हे भगवान् चिल्ला के रोना धोना शुरू कर देती है! No Please साहब को हर उपाय में खतरा ही दिखता है, खुद कुछ नहीं जानते लेकिन किसी ट्रेन्ड फौजी या पुलिस वाले के सुझाये हर उपाय पर उन्हें सवाल उठाना होता है.
इनकी वजह से देर होती है नुकसान होता है. ये शुद्ध मूर्खता है, ऐसा करना मत शुरू कर दीजिये. आम तौर पर ऐसे सवाल वही लोग करते हैं जिन्होंने आपात स्थितियों की कोई तैयारी कभी की ही नहीं हो. अगर ऐसा कोई आस पास है तो उस से दूर हटिये. वो खुद भी डूबेगा और आपको भी साथ ले जायेगा. अपने बच्चों को आपात स्थितियों की ट्रेनिंग दीजिये. किसी आपात स्थिति में उन्हें पता होगा कि क्या करना है.
क्या करना है ये पहले से पता हो तो बेकार के सवालों और घबराहट में आपका समय बर्बाद नहीं होगा. याद रखिये, दंगे में पांच मिनट का समय भी बहुत ज्यादा होता है.
नंबर - 11 सुरक्षा सबसे पहली जरुरत है
कोई भीगा कपड़ा सर पर, या गले में लपेटिये. आपात स्थिति में adrinaline हार्मोन की वजह से आपको तेज प्यास लगेगी. पानी बार बार उपलब्ध नहीं होगा. अगर दंगाई आपकी कार तोड़ रहे हों तो याद रखिये कि आपकी जान आपकी कार से ज्यादा जरुरी है. कार insurance से वापिस मिल जायेगी जाने दीजिये.
दंगाई बहुत से हैं और आप कम हैं, सीधा लड़ने पर आपके हारने की संभावना ज्यादा है. नहीं आप रजनीकांत नहीं हैं, 300 फिल्म के स्पार्टन की ट्रेनिग बचपन से शुरू होती थी आपने उतनी ट्रेनिंग भी नहीं ली है. अगर भीड़ आपका दरवाजा ही तोड़ने पर लगी हो तो आप छत से पेट्रोल बम टपकाने की सोच सकते हैं. लेकिन वो आपको बनाना नहीं आता. घर में ऐसी कोई तैयारी भी नहीं कि पेट्रोल, पुराने बल्ब और सूती साड़ी, माचिस, मशाल तैयार रखी हो आपने.
अपनी सुरक्षा पहले याद कीजिये. भीड़ से लड़ना अंतिम विकल्प है. यथासंभव बच के निकालिए.
इस से ज्यादा दंगे से बचने के बारे में पढ़कर नहीं सीखा जा सकता. शारीरिक क्षमता बढाइये. दौड़ने का अभ्यास कीजिये. बच्चों को मार्शल आर्ट्स सीखने भेजिए. मोहल्ले के पार्क में रोज की प्रैक्टिस से छह महीने साल भर में आपका परिवार आपात स्थिति का सामना करने के लिए तैयार होगा.
किसी के भरोसे मत बैठिये, कोई नहीं आएगा. डॉक्टर नारंग की मौत के वक्त उनके पड़ोसी भी नहीं आये थे. उनकी मौत के बाद केजरीवाल देखने भी नहीं गए हैं अब तक. तैयारी कीजिये, अग्रसोची सदा सुखी.
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