वामदल अपने कारनामों से देशभर में हाशिये पर चले गए हैं और सिर्फ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एवं त्रिपुरा में ही सिमटकर रह गए हैं. वामदलों ने हमेशा राष्ट्र की पीठ में छुरा खोंपने का काम किया है. इन पार्टियों का काला इतिहास रहा है. मगर क्योंकि मीडिया पर वाम समर्थक पूरी तरह से काबिज हैं इसलिए वह अभी तक देश की जनता की आंखों में धूल झोंककर उन्हें मूर्ख बना रहे हैं.
इन पार्टियों का इतिहास बेहद काला है. हम उसकी एक छोटी सी झलक पेश करने का प्रयास कर रहे हैं.
1. कम्युनिस्ट पार्टी ने कभी भी देश को मान्यता नहीं दी. यही कारण है कि इस पार्टी ने सबसे पहले पाकिस्तान के निर्माण और देश के विभाजन का बकायदा समर्थन किया था.
2. 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की पीठ में इन वामियों ने छुरा घोंपा और ब्रिटिश सरकार का खुलकर समर्थन किया. जबकि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को जापान के प्रधानमंत्री टोजो का कुत्ता घोषित किया गया.
3. कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन महामंत्री एस.ए. डांगे वर्षों तक ब्रिटिश गुप्तचर के रूप में कार्य करते रहे और सरकार से मोटा वेतन प्राप्त करते रहे.
4. 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ तो कम्युनिस्ट पार्टी ने बकायदा प्रस्ताव पारित करके इस आजादी को फ्राॅड की संज्ञा दी और उसका देश के पांच राज्यों में सशस्त्र विरोध करके उसे सशस्त्र क्रांति की संज्ञा दी.
5. 1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया तो कम्युनिस्टों ने उसे आक्रांता मानने से इंकार कर दिया और अपने कैडर को निर्देश दिया कि चीन की मुक्ती वाहनी आ रही है. देशभर में उसका स्वागत किया जाए.
6. इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का खुलकर कम्युनिस्ट पार्टी ने समर्थन किया.
7. कम्युनिस्ट पार्टी रूस से और उसकी सखी पार्टी मार्क्सवादी चीन से नियमित रूप से आर्थिक सहायता प्राप्त करती रही.
8. मार्क्सवादी पार्टी के महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत ने एक दर्जन बार पार्टियां बदली. अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत अकाली कार्यकर्ता के रूप में की थी.
9. सुरजीत पंजाब के जिला जालंधर के एक बेहद निर्धन परिवार से संबंधित थे मगर जब मरे तो चार सौ करोड़ का साम्राज्य छोड़ गए. यह धनराशि कहां से उन्हें प्राप्त हुई थी? इसका जवाब कोई मार्क्सवादी देने को तैयार नहीं है.
10. एक ओर तो कम्युनिस्ट धर्मनिरपेक्षता का नकाब ओढ़ते हैं और दूसरी ओर वह जमाते इस्लामी जैसी अतिवादी इस्लामी संगठनों से रिश्ते जोड़ते हैं. धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत करते हैं. यह कैसा सेक्युलरवाद है?
11. इन दिनों कम्युनिस्ट जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कन्हैया कुमार की सहायता के लिए खुलकर मैदान में उतरे हुए हैं. वह कश्मीर को भारत का अंग मानने के लिए तैयार नहीं हैं. अब तो उन्होंने खुलेआम यह घोषणा करनी शुरू कर दी है कि कश्मीर पर भारत ने जबरन कब्जा कर रखा है. यह कैसे राष्ट्रभक्त हैं?
2. 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की पीठ में इन वामियों ने छुरा घोंपा और ब्रिटिश सरकार का खुलकर समर्थन किया. जबकि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को जापान के प्रधानमंत्री टोजो का कुत्ता घोषित किया गया.
3. कम्युनिस्ट पार्टी के तत्कालीन महामंत्री एस.ए. डांगे वर्षों तक ब्रिटिश गुप्तचर के रूप में कार्य करते रहे और सरकार से मोटा वेतन प्राप्त करते रहे.
4. 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ तो कम्युनिस्ट पार्टी ने बकायदा प्रस्ताव पारित करके इस आजादी को फ्राॅड की संज्ञा दी और उसका देश के पांच राज्यों में सशस्त्र विरोध करके उसे सशस्त्र क्रांति की संज्ञा दी.
5. 1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया तो कम्युनिस्टों ने उसे आक्रांता मानने से इंकार कर दिया और अपने कैडर को निर्देश दिया कि चीन की मुक्ती वाहनी आ रही है. देशभर में उसका स्वागत किया जाए.
6. इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का खुलकर कम्युनिस्ट पार्टी ने समर्थन किया.
7. कम्युनिस्ट पार्टी रूस से और उसकी सखी पार्टी मार्क्सवादी चीन से नियमित रूप से आर्थिक सहायता प्राप्त करती रही.
8. मार्क्सवादी पार्टी के महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत ने एक दर्जन बार पार्टियां बदली. अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत अकाली कार्यकर्ता के रूप में की थी.
9. सुरजीत पंजाब के जिला जालंधर के एक बेहद निर्धन परिवार से संबंधित थे मगर जब मरे तो चार सौ करोड़ का साम्राज्य छोड़ गए. यह धनराशि कहां से उन्हें प्राप्त हुई थी? इसका जवाब कोई मार्क्सवादी देने को तैयार नहीं है.
10. एक ओर तो कम्युनिस्ट धर्मनिरपेक्षता का नकाब ओढ़ते हैं और दूसरी ओर वह जमाते इस्लामी जैसी अतिवादी इस्लामी संगठनों से रिश्ते जोड़ते हैं. धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण देने की वकालत करते हैं. यह कैसा सेक्युलरवाद है?
11. इन दिनों कम्युनिस्ट जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कन्हैया कुमार की सहायता के लिए खुलकर मैदान में उतरे हुए हैं. वह कश्मीर को भारत का अंग मानने के लिए तैयार नहीं हैं. अब तो उन्होंने खुलेआम यह घोषणा करनी शुरू कर दी है कि कश्मीर पर भारत ने जबरन कब्जा कर रखा है. यह कैसे राष्ट्रभक्त हैं?
- वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन शर्मा
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