कश्मीर में मुस्लिम, पंजाब में सिख, अल्पसंख्यक कैसे:
सुप्रीम कोर्ट
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसला करते हुए कहा कि देश के अल्पसंख्यक जिस राज्य में बहुसंख्यक हैं उन्हें उस राज्य में अल्पसंख्यकों को दिए जा रहे लाभ नहीं मिलने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने फायदा लेने वालों को कड़ी नसीहत देते हुए कहा है कि क्या कश्मीर में मुस्लिमों और पंजाब में सिखों को अल्पसंख्यक माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात पंजाब के सिखों को शिक्षण संस्थाओं में 50 फ़ीसदी कोटा देने की मांग पर कही थी।
इस मामले को देख रहे मुख्य न्यायाधीस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच से याचिका करने वालों से कई सवाल पूछे:
क्या कश्मीर के मुसलमानों को भारत का अल्पसंख्यक माना जा सकता है
क्या पंजाब में सिख अल्पसंख्यक हो सकते हैं?
क्या मेघालय में इसाई अल्पसंख्यक हो सकते हैं?
(ये सभी समुदाय इन राज्यों में बहुसंख्यक हैं, जबकि पूरे देश में अल्पसंख्यक हैं)
क्या पंजाब में सिख अल्पसंख्यक हो सकते हैं?
क्या मेघालय में इसाई अल्पसंख्यक हो सकते हैं?
(ये सभी समुदाय इन राज्यों में बहुसंख्यक हैं, जबकि पूरे देश में अल्पसंख्यक हैं)
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अच्छी तरह से हैंडिल करने के लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से मदद मांगी है और सीनियर वकील टीआर अध्यार्जुन को न्याय मित्र नियुक्त किया है।
इस मामले में पैरवीकार पंजाब सरकार और एसजीपीसी ने दलील दी है कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा 2007 में दिए गए फैसले में सिखों की जनसँख्या पर विचार नहीं किया गया था। यह भी कहा गया कि गुरुद्वारा एक्ट 1925 में सिखों की एक परिभाषा दी गयी है और उस परिभाषा के आधार पर ही किसी को सिख माना जा सकता है।
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