Tuesday, 29 March 2016

 क्या आप कभी इस बात पर हैरान हुए हैं जब उड़ान भरते और जमीन पर उतरते वक्त उद्घोषक कहता है कि विमान की खिड़कियां पूरी तरह खुली रखें? आखिर क्यों ऐसा कहा जाता है? क्या वाकई इससे कुछ फर्क पड़ता है या नहीं?

केवल नजारे देखने के लिए ही नहीं होती खिड़की

आप हवाई यात्रा के बारे में क्या सोचते हैं और हवा में ऊपर जाने पर आप कैसा महसूस करते हैं इनसे अलग विमान की खुली हुई खिड़की निश्चित ही आपको टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान कभी खुशी कभी गम का अहसास कराती है. बाहर के दृश्य कइयों को डराते हैं तो कुछ को ऐसे नजारे दिखाते हैं जो उन्हें गदगद कर दें.लेकिन उड़ान भरते या जमीन पर उतरते वक्त खिड़की खुली रखने से भले ही यात्रियों का कोई लेना-देना हो, विमान के अंदर मौजूद क्रू मेंबर्स के लिए यह बहुत जरूरी होता है. खुली खिड़कियों के जरिये वे पहले से ही भांप लेंगे कि कहीं बाहर कोई खतरा तो मौजूद नहीं है. किसी भी विमान के लिए उसका टेक ऑफ और लैंडिंग का समय सबसे नाजुक होता है. कहा जाता है कि विमान से जुड़ी 90 फीसदी दुर्घटनाएं लैंडिंग और टेक ऑफ के दौरान ही होती हैं.
इस दौरान ही किसी तरह के हादसे की संभावना सबसे अधिक रहती है. लिहाजा विमान के क्रू मेंबर्स इन खुली खिड़कियों के जरिए बाहर की किसी भी असमान्य स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं. अगर कुछ गड़बड़ी होती है तो इन खुली खिड़कियों के जरिये जल्द से जल्द वे उस संकट का अनुमान लगाकर उससे निपटने के लिए जरूरी एहतियाती उपाय कर सकेंगे.
इसके साथ ही अगर विमान को खाली करवाने की नौबत आती है तो क्रू मेंबर्स खुली खिड़कियों से बाहर के खतरे को भांपकर उचित योजना बनाकर कार्रवाई के लिए तैयार होने का वक्त पा सकेंगे. क्योंकि खिड़कियों से उन्हें यह भी पता चल जाएगा कि बाहर क्या खतरा है और उससे कैसे निपटा जाए, इस दौरान बचाव कार्य को सबसे बेहतर अंजाम देने के लिए क्या तरीके अपनाए जायं आदि.
जब आप आसमान में यात्रा कर रहे होते हैं तो भले ही आप इन खिड़कियों को खुला रखे या बंद कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन जब आप खुले आसमान में बादलों के ऊपर से गुजरते विमान में बैठे होते हैं तो कौन बादलों की अलग-अलग हलचलों को मिस करना चाहेगा.
टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान क्यों खुली रखनी पड़ती है विमान की खिड़की?

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