Wednesday 30 March 2016

मोदी विरोधी के नाम पर देशद्रोह स्वीकार्य नहीं

एक शक्तिशाली नेतृत्व के प्रभाव से भारत जुड़ रहा है, टूट नहीं रहा है। भारत बर्बाद नहीं हो रहा है, खुशहाली की डगर पर आगे बढ़ रहा है। परन्तु जो इसके टुटने और बर्बादी के नारे लगा रहे हैं, उन्हें पहले पाकिस्तान की हालत देख लेनी चाहिये। पाकिस्तान के अनेक भागों में सेना के विरुद्ध विद्रोह की आग भभक रही है। सेना नागरिकों को प्रताड़ित कर रही है। उनकी आवाज दबा रही है। पाकिस्तानी जनता के मन में यह बात बैठ रही है कि हमारे देश को भी नरेन्द्र मोदी जैसा शक्तिशाली प्रधानमंत्री चाहिये। हमे सेना के नियंत्रण से मुक्त लोकतंत्र चाहिये। बमों के धमाकों से क्षतविक्षत इंसानों को देख कर उनकी रुह कांप रही है। वे भी ऐसे गुनहगारों से मुक्त खुला और आज़ाद पाकिस्तान चाहते हैं, जिसमें सुकून से रहने का अहसास हो। 
पाकिस्तानी सेना नरेन्द्र मोदी को पसंद नहीं करती, क्योंकि मोदी की ताकत से पाकिस्तान के टुटने और बिखरे की आशंका गहरी होती जा रही है। वह जानती है कि नागरिकों का दमन कर उसकी आवाज़ को अधिक दिनों तक दबा नहीं सकती। इसीलिए सेना भारत में ऐसी हरकते कर रही है और करवा रही है, ताकि पाकिस्तानी आवाम का ध्यान बांटा जा सके और उसे यह समझाया जा सके कि भारत में भी हालात ज्यादा ठीक नहीं है। नरेन्द्र मोदी की सरकार कट्टर हिंदूवादी सोच की सरकार है, जिसे भारत की जनता पसंद नहीं करती।
 भारत की जनता भी कश्मीर की आज़ादी चाहती है और सारे सेकुलर दल नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाना चाहते हैं।  क्योंकि मोदी ज्यादा दिनों तक भारत के प्रधानमंत्री बने रहे, तो कभी भी उनके गले में फांसी का फंदा पड़ सकता है। यही कारण है कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तानी सेना ने दहशतगर्दी तेज कर दी है। पाकिस्तानी सेना, अतिवादी तत्व और भारत की सेकुलर गैंग मिल कर भारत में सियासी षड़यंत्र रच रही है। 
आर्इएसआर्इ की परोक्ष सहायता से ही अरविंद केजरीवाल की ऐतिहासिक जीत हुर्इ। दिल्ली में आर्इएसआर्इ के भ्रामक प्रचार के कारण लगभग शतप्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा के विरोध में वोट डाले। यही इतिहास बिहार में दोहराया गया, जिसे अगले विधानसभा के चुनावों में दोहराये जाने की सम्भावना है। मोदी विरोध के नाम पर सेकुर गैंग दुश्मनों के साथ मिल कर षड़यंत्र रचने को देशद्रोह नहीं मानती। इनके विचारों से नरेन्द्र मोदी और आरएसएस का विरोध करना देशभक्ति है। निश्चय ही लोकतंत्र में जनता द्वारा चुनी गर्इ सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार जनता को है, किन्तु इसी बहाने देशद्रोही ताकतों को अपने मकसद में कामयाब होने की छूट नहीं दी जा सकती।

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