आर्टिकल 147 क्या है ?
अगर आज दिल और दिमाग, दोनों को हिलाना है, तो इस को पूरा पढ़ें ...किस प्रकार जवाहर लाल नेहरू ( कोतवाल गयासुद्दीन गाज़ी का पोता ) और राजेंद्र प्रसाद के सत्ता लालच की वजह से हम आज भी अंग्रेजों के गुलाम हैं.
हम आज भी कानूनी रूप से सविधान संवत ब्रिटिश सरकार के गुलाम है, ऐसा हमारे भारत के संविधान का आर्टिकल 147 कहता है, यही वो चोर दरवाजा है, जिसके जरिये अंग्रेजों को दोबारा भारत पर शासन करने का कानूनी अधिकार है, और इस आर्टिकल को अंग्रेजो ने 1935 में जवाहर लाल गाजी और राजेंदर प्रसाद से ड्राफ्ट करवाया था.
इसकी भाषा इतनी कठिन है कि आप चाहे हिंदी या अंग्रेजी में कितनी भी बार पढ़ लो आप उसको समझ नहीं पाओगे कि इसका अर्थ क्या है. मैंने इसे बीस बार पढ़ा है, मैं तो नहीं समझ सका, भारत के संविधान में कुल 395 आर्टिकल है सब के सब इतनी मुश्किल और घुमा फिरा कर छिपा कर लिखे गए हैं कि वकीलों की भी जिन्दगी निकल जाती है वो भी समझ नहीं पाते, तो फिर आप आदमी की बात ही क्या है. जो संविधान नागरिकों के लिए बनाया गया है, कम से कम नागरिकों को तो आसानी से समझ आना चाहिए था. परन्तु अगर ऐसा होता हो अंग्रेज भारत पर शासन किस प्रकार कायम रख सकते थे.
इसीलिए अंग्रेजो ने इन्डियन इंडीपेडेंट एक्ट 1935 को इतना घुमा फिर कर लिखा आप भी पढ़े कि आर्टिकल 147 किस प्रकार की भाषा में लिखा गया है, आपकी सुविधा के लिए मैंने इसे हिंदी और अंग्रेजी में प्रस्तुत किया है.
अगर समझ में आ जाये तो मुझे भी समझा देना
निर्वचन–
अगर समझ में आ जाये तो मुझे भी समझा देना
निर्वचन–
इस अध्याय में और भाग 6 के अध्याय 5 में इस संविधान के निर्वचन के बारे में विधि के किसी सारवान् प्रश्न के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अतंर्गत भारत शासन अधिनियम, 1935 के (जिसके अंतर्गत उस अधिनियम की संशोधक या अनुपूरक कोई अधिनियमिति है) अथवा किसी सपरिषद आदेश या उसके अधीन बनाए गए किसी आदेश के अथवा भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के या उसके अधीन बनाए गए किसी आदेश के निर्वचन के बारे में विधि के किसी सारवान् प्रश्न के प्रति निर्देश हैं.
Article 147 in The Constitution Of India 1949.
147. Interpretation In this Chapter and in Chapter V of Part VI references to any substantial question of law as to the interpretation of this Constitution shall be construed as including references to any substantial question of law as to the interpretation of the Government of India Act, 1935 (including any enactment amending or supplementing that Act), or of any Order in Council or order made thereunder, or of the Indian Independence Act, 1947 , or of any order made thereunder CHAPTER V COMPTROLLER AND AUDITOR GENERAL OF INDIA
अंग्रेजों की हुकूमत ने जवाहर लाल गाजी और राजेंदर प्रसाद को भारत की सत्ता का लालच देकर इसे लिखवाया था, ताकि वक्त आने पर ( या सुभाष चन्द्र बोस के स्वतंतत्रा आन्दोलन के ठंडा पड़ जाने के बाद ) दुबारा भारत पर राज किया जा सके.
Article 147 in The Constitution Of India 1949.
147. Interpretation In this Chapter and in Chapter V of Part VI references to any substantial question of law as to the interpretation of this Constitution shall be construed as including references to any substantial question of law as to the interpretation of the Government of India Act, 1935 (including any enactment amending or supplementing that Act), or of any Order in Council or order made thereunder, or of the Indian Independence Act, 1947 , or of any order made thereunder CHAPTER V COMPTROLLER AND AUDITOR GENERAL OF INDIA
अंग्रेजों की हुकूमत ने जवाहर लाल गाजी और राजेंदर प्रसाद को भारत की सत्ता का लालच देकर इसे लिखवाया था, ताकि वक्त आने पर ( या सुभाष चन्द्र बोस के स्वतंतत्रा आन्दोलन के ठंडा पड़ जाने के बाद ) दुबारा भारत पर राज किया जा सके.
आज भी गोपनीय ब्रिटिश क़ानून के तहत हम ब्रिटिश हुकूमत के गुलाम है और इसके लिए यही तीन जिम्मेदार है, जो कि 1947 में प्रधान मंत्री ( जवाहर लाल गाजी ), राष्ट्रपति ( राजेंद्र प्रसाद ) , और स्वयं घोषित राष्ट्रपिता ( गाँधी ) बने भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को आज भी ब्रिटिश कोर्ट का क़ानून मानना पड़ता है.
( यह गोपनीय क़ानून के तहत आता है, इसीलिए इसे उजागर नहीं किया जाता ) आज भी भारत का प्रधानमन्त्री जिस समय शपथ लेता है तो शपथ के बाद राष्ट्रपति उससे एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करवाता है, वह रजिस्टर भी ब्रिटिश सरकार का ही है.
( यह गोपनीय क़ानून के तहत आता है, इसीलिए इसे उजागर नहीं किया जाता ) आज भी भारत का प्रधानमन्त्री जिस समय शपथ लेता है तो शपथ के बाद राष्ट्रपति उससे एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करवाता है, वह रजिस्टर भी ब्रिटिश सरकार का ही है.
1947 के बाद जितने भी प्रधान मंत्री हुए सबने उस पर हस्ताक्षर किये है , और यही आर्टिकल 147 , इन सबको ब्रिटिश सरकार के प्रति जवाबदेह और प्रतिबद्ध करता है . यह वही रजिस्टर है जिस पर अंग्रेजो ने 15 अगस्त 1947 की आधी रात को ट्रांसफर आफ पॉवर एग्रीमेंट पर करार किया था.( इसकी जानकारी भी गोपनीय है , राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के अतिरिक्त आज तक इसे किसी ने नहीं देखा है , और न ही कोई देख सकता है , क्योंकि आर्टिकल 147 यही कहता है ).
भारत के सुप्रीम कोर्ट के हर मुख्यन्यायाधीश को आज भी एक बार ब्रिटिश कोर्ट के प्री-वी कौंसिल में हाजिरी जरूर लगनी पड़ती है, और आर्टिकल 147 पर हस्ताक्षर करने होते है , अर्थात भारत में दो ही सत्ता के शक्तिशाली स्तम्भ है – प्रधानमन्त्री और सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश.
आर्टिकल 147 में यही दोनों आज भी बंधे हुए है ,तो फिर हम गुलाम कैसे नहीं है ?????
आर्टिकल 147 में यही दोनों आज भी बंधे हुए है ,तो फिर हम गुलाम कैसे नहीं है ?????
संविधान का अनुच्छेद 147 यह कहता है कि प्रिवी काउंसिल (ब्रिटेन का सुप्रीम कोर्ट) द्वारा दिए गए फैसले भारत के सुप्रीम कोर्ट पर बाध्यकारी होंगे. अधिक स्पष्टीकरण के लिए यह वीडियो देखें — https://www.youtube.com/watch?v=x5essvg9oHc )
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