बचपन में गांव के एक चाचा ने एक कहानी सुनाई थी.
एक वैद्य जी थे. बड़ा जस था हाथों में. खूब अच्छा काम चल रहा था. एक दिन नगर सेठ ने उन्हें बुलाया. " वैद जी नाभि में बड़ी जोर से खुजली होती है. कुछ इलाज कीजिये".
वैद्य जी ने झोले में से एक शीशी निकाली और एक बूँद दवा सेठ जी की नाभि में डाल दी. खुजली ठीक हो गई. कुछ दिन बाद फिर शुरू हो गई. फिर दवा डाली. फीस ली और लौट आये. सिलसिला ठीक चल रहा था. सेठ जी बुलाते वैद्य जी दवा डालते पैसे लेते और चले आते.
एक दिन वैद्य जी कहीं बाहर चले गए. सेठ जी का आदमी बुलाने आया तो उनका लड़का सेठ जी को देखने चला गया. उसने नाभि की जाँच की तो पाया कि कुत्ते और जानवर के शरीर पर रहने वाली एक चिचड़ी नाभि में घुसी हुई है. उसने चिमटी से उसे निकाल कर फेंक दिया और दवा लगा दी. खुजली स्थाई रूप से ठीक हो गई.
दो दिन बाद वैद्य जी लौटे तो पुत्र ने अपने पराक्रम की कथा बताई. वैद्य जी बहुत नाराज हुए. उन्होंने कहा " मूर्ख मैं क्या अँधा हूँ. मुझे भी पता था कि नाभि में चिचड़ी है. मैं उसकी एक हफ्ते की खुराक जितना तेल डालकर आ जाता था. आज तूने एक ग्राहक को समाप्त कर दिया ".
कभी कभी मुझे लगता है कि ६० साल में पीढ़ियां निकल जाती हैं मगर कांग्रेस लगातार सत्ता में रहने के बाद भी देश को न रोटी दे पाई, न चिकित्सा, न शिक्षा, न सुरक्षा , यहाँ तक कि पीने के पानी का भी इंतजाम नहीं कर पाई.
कही वैद्य जी की तरह देश कि जनता को समस्याओं के जाल में उलझाकर बार बार वोट मांगने के लिए कांग्रेस ने जान बूझकर देश को बर्बाद तो नहीं किया.
- Ravindra Kant Tyagi
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