Thursday, 14 April 2016

हौसला और हुनर उम्र के मोहताज नहीं होते। 

आज भारत की जिन बेटियों से मैं आपको मिलवाने जा रहा हूं,

 उनकी उम्र जानकार उन्हें कमज़ोर आंकने की ग़लती मत करिए।

 क्योंकि इनके साहस, लगन और बहादुरी बड़े-बड़ों के लिए मिसाल हैं।

 उनकी उपलब्धियां लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।

कहते हैं अगर कुछ करने का ज़ज़्बा हो और ना-मुमकिन को मुमकिन कर दिखाने का 
समर्पण भाव, तो आप शिखर पर पहुंच सकते हैं। तो आइए मिलते हैं, देश की इन
 महान बेटियों से जो भारत के लिए किसी रत्न से कम नही हैं।

1. म्नोबेंज़ी एज़ुंग

म्नोबेंज़ी एज़ुंग मात्र 8 साल की हैं। वह नगालैन्ड के वोखा जिले के चूड़ी गांव की हैं। 
इसी गांव की नदी में डूब रही दादी को बचाने का कारनामा उन्होंने कर दिखाया। 
म्नोबेंज़ी एज़ुंग की बहादुरी के लिए उन्हें राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
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2. रेशम फतीमा

1 फरवरी 2015 को सत्रह वर्षीय लखनऊ की रेशम फतीमा ट्यूशन क्लास से
 घर आ रही थी। रास्ते में उसके चाचा रियाज अहमद ने उसे चाकू के बल पर अगवा
 कर लिया और जबरन शादी करने को कहा। रेशम के मना करने पर उसने 
उसके सिर पर सल्फ्यूरिक एसिड फेंक दिया। गंभीर रूप से जली रेशम एक ऑटो 
रिक्शा पकड़ कर पुलिस स्टेशन तक पहुंची और आरोपी चाचा को गिरफ्तार करवा
 कर जेल भिजवा दिया। साहस की मिसाल बनी रेशम आईएएस अधिकारी बनना चाहती है।

3.मालावत पूर्णा

सिर्फ 13 साल की उम्र की मालावत पूर्णा देश के लिए किसी रत्न से कम नही हैं।
 उनकी लगन के आगे माउंट एवरेस्ट की चोटी भी छोटी है। मालावत को देश की सबसे
 कम उम्र मे महिला पर्वतारोही बनने का गौरव प्राप्त है। उसकी यह उपलब्धि इसलिए 
और भी अधिक महत्वपूर्ण है, क्योकि वह तेलंगाना से बेहद आर्थिक रूप से कमज़ोर 
परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
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4. विशालिनी

विशालिनी के नाम दस साल की उम्र में MCP, CCNA, CCNAS, OCJP, MCTS,
 MSCPD & CCNP जैसी कठिन नेटवर्किंग परीक्षाओं को पास करने का विश्व 
रेकॉर्ड दर्ज़ है। विशालिनी खुद की एक आईटी कंपनी खोलना चाहती हैं।

5. के. दर्शिनी

कोयम्बटूर की रहनी वाली के. दर्शिनी मात्र छह साल की थी, जब उनका नाम एशिया
 बुक ऑफ रेकॉर्ड में दर्ज़ किया गया था। दर्शिनी ने स्केटिंग से 41.03 मिनट में 
10.5 किलोमीटर की दूरी तय कर यह कारनामा किया था।

6. रुचिता

24 जुलाई 2014 को रुचिता ने तब अपने दो साथियों की जान बचाई थी, जब उनके
 स्कूल बस की रेलगाड़ी से सीधी टक्कर हो गई। दरअसल, स्कूल बस रेल पटरी पार
 करते वक्त बंद हो गई और उसी वक्त सामने से ट्रेन आ रही थी। रुचिता ने खिड़की से
 दो छात्रों को धक्का दे कर बाहर निकाल दिया और खुद भी बस से कूद गई। दुर्भाग्य
 से वो अपनी छोटी बहन जो आगे की सीट पर बैठी हुई थी, को नहीं बचा सकी। उसके 
छोटे भाई को गंभीर चोट आई, लेकिन अब वह ठीक है। इस हादसे में ड्राइवर सहित 
16 छात्रों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। रुचिता को बाद में गीता चोपड़ा पुरस्कार
 से सम्मानित किया गया था।

7. प्रियांशी सोमानी

प्रियांशी सोमानी को इंसानी कैलकुलेटर भी कहा जाता है। प्रियांशी मेंटल कैल्क्युलेशन 
वर्ल्ड कप 2010 में भाग लेने वाली और जीतने वाली सबसे कम उम्र की प्रतियोगी थी।
 यही नहीं, वह इकलौती ऐसी प्रतिभागी थी, जिसने गणना के सारे राउंड में 100 फीसदी
 सटीकता से जवाब दिए। प्रियांशी का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स के साथ 
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में भी दर्ज़ है।

8. परी सिन्हा

प्रतिभा के इस देश में मात्र 4 साल की परी सिन्हा ने सनसनी फैला रखी है। बिहार की
 इस बेटी ने अपने से बड़े उम्र के विरोधियों को शतरंज में धूल चटा कर दो बार
 राज्य स्तरीय चैंपियनशिप अपने नाम कर लिया। वर्तमान में परी शुभेंदु चक्रवर्ती से 
शतरंज के गुर सीख रही हैं। आने वाले वर्षों में देखिए यह बेटी किन उचाईयों को छूती है।

9. शालिनी कुमारी

मिलिए बिहार की बेटी शालिनी कुमारी से, जिसने अपने दादा के लिए किए गए 
अाविष्कार की वजह से ख्याति कमाई। दरअसल, शालिनी के दादा अपनी पसंदीदा 
जगह, छत उद्यान आदि तक पहुंचने में असमर्थ थे। शालिनी ने तब प्रेरित होकर एक ऐसे
 वॉकर का अविष्कार किया, जिसकी मदद से सीढ़ियों पर नीचे उपर चढ़ने से लेकर कही 
भी आ-जा सकते हैं। शालिनी का यह वॉकर जल्द ही बाजार में बिक्री के लिए 
उपलब्ध कराया जाएगा।

ये तो सिर्फ़ नौ बेटियों की कहानियां हैं। मेरा मानना है कि ऐसी बेटियां हर

 घर में मौजूद हैं, बस ज़रूरत हैं उनके हिम्मत को बढ़ाने की। आज के दौर में 

ऐसा कुछ भी नही हैं जो ये बेटियां हासिल नहीं कर सकती। अगर आपके 

आस-पास ऐसी ही कोई शक्ति रूप बेटी हो, जिसके ज़ज़्बे की कहानी समाज 

में प्रेरणा बन प्रज्वलित हो सकती है

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