Sunday, 17 April 2016


आनंद कुमार 


जो आदमी अपने AC कमरे से निकलकर कभी सड़क तक आएगा उसे राजस्थान से लेकर हरियाणा तक के बीच कई ट्रक-टेम्पो पर लिखा “जय खाटू श्याम महाराज” लिखा हुआ दिख जायेगा. कभी सोचा है कि ये खाटू श्याम महाराज कौन से भगवान थे या आज तक श्याम को कृष्ण ही समझते रहे हैं? शायद इन्हें आप कृष्ण ही समझते रहे होंगे, और खाटू का मतलब शायद कोई जगह समझते होंगे. जैसे काली कलकत्ते वाली टाइप कुछ?
ऐसा है नहीं ! कभी पूछा होगा तो पता होगा ये खाटू श्याम जी अलग होते हैं. इनकी माँ का नाम था “मोरवी”, जी हाँ अच्छा अंदाजा लगाया, वनवासी-आदिवासी कहते हैं आज उन्हें. इन्हें अग्नि से एक ऐसा धनुष प्राप्त था जिसके बल से वो अपराजेय थे. उसके कारण इन्हें “तीन बाण धारी” भी कहा जाता है. उनके पिता का नाम आपने जरूर सुना होगा.
ये घटोत्कच के पुत्र थे, यानि भीम और हिडिम्बा के राक्षस पुत्र के बेटे हैं खाटू श्याम महाराज.
मिशनरी फण्ड पर चलते AC से युक्त कमरों में बैठे दल हित को चीन तक पहुँचाने की कोशिश में जुटे तथाकथित दलित चिन्तक की “किराये की कलम” ने आपको कभी बताया है कि मंदिर किन्ही तथाकथित सवर्णों के नहीं होते? हिन्दुओं में आदमी अपने कर्मों की वजह से पूजा जाता है. कहाँ-कैसे जन्म हुआ था इस से कोई लेना देना नहीं होता.
अगली बार जब किराये की कलमें मंदिरों की बात करें तो उनसे खाटू श्याम महाराज के मंदिरों के बारे में भी पूछ लीजियेगा.

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