विश्व का सबसे खतरनाक आर्मी आपरेशन...
चार जुलाई 1976 को खत्म हुए इस संकट की शुरुआत 27 जून को हुई थीl इसराइल के तेल अवीव से पेरिस जा रही एक फ्लाइट ने थोड़ी देर एथेंस में रुकने के बाद उड़ान भरी ही थी कि पिस्टल और ग्रेनेड लिए चार यात्री उठे और विमान को पहले लीबिया के बेनगाजी और फिर युगांडा के एंतेब्बे हवाई अड्डे ले गएl बाद में पता चला कि यह पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन फॉर फिलिस्तीन के सदस्यों का काम थाl युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन की सहानुभूति अपहरणकर्ताओं के साथ थीl यहां यहूदी बंधकों को अलग कर दिया गयाl इसके बाद अपहरणकर्ताओं ने मांग की कि इजराइल, कीनिया और तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी की जेलों में रह रहे 54 फ़िलस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाए नहीं तो वे बंधकों को एक-एक करके मारना शुरू कर देंगेl
संकट गंभीर थाl इससे निपटने का रास्ता भी बहुत मुश्किल भरा थाl एंतेब्बे और इसराइल के बीच की दूरी करीब चार हजार किलोमीटर थीl बचाव मिशन के बारे में सोचना बहुत मुश्किल था लेकिन यात्रियों के सम्बन्धियों ने तेल अवीव में प्रदर्शन करने शुरू कर दिए थेl बंधकों में तत्कालीन इसराइली प्रधानमंत्री राबीन के रिश्तेदार भी थे इसलिए सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा थाl रास्ते तीन थे हवाई, जल मार्ग और तीसरा कीनिया से होकर जमीन के रास्ते युगांडा में घुसनाl
इज़राइल ने जो किया वैसा पहले कभी नहीं हुआ था
आखिरकार पहले विकल्प पर सहमति बनीl इसके बाद चार जुलाई को इसराइल से कुछ फैंटम जेट लड़ाकू विमानों के साथ चार हरक्यूलिस विमान रवाना हुएl इनमें सेना के सबसे काबिल 200 सैनिक सवार थेl योजना युगांडा के सैनिकों को यह आभास देने की थी कि इन विमानों में राष्ट्रपति अमीन विदेश यात्रा से लौट रहे हैंl अमीन उन दिनों एक आयोजन में भाग लेने मॉरीशस गए हुए थेl बहुत नीची उड़ान भरते हुए इजराइली विमान मिस्र, सूडान और सऊदी अरब के रडारों को चकमा देने में कामयाब रहेl इसराइली सैनिकों ने युगांडा के सैनिकों की वर्दी पहनी हुई थीl एक तरफ का सफर सात घंटे का था और लगातार उड़ना था इसलिए हवा से हवा में ईंधन भरने वाले विमान ले जाए गए थेl
इससे पहले पूरी तैयारी हो चुकी थीl इसराइली जासूसी एजेंसी मोसाद के एजेंटों ने एंतेब्बे हवाई अड्डे के बारे में हर जानकारी जुटा ली थीl यह भी दिलचस्प संयोग था कि हवाई अड्डे के जिस टर्मिनल में बंधकों को रखा गया था उसे एक इसराइली कंपनी ने ही बनाया थाl बताते हैं कि एक रात में ही इसराइल में एक नकली टर्मिनल खड़ा किया गया जिसमें कमांडो ने हमले का खूब पूर्वाभ्यास कियाl इस बीच इसराइल की सरकार अपहरणकर्ताओं से बातचीत के संकेत देती रही ताकि कमांडो को हमले के पूर्वाभ्यास के लिए समय मिल सके l
चार जुलाई 1976 यही वो दिन था जब युगांडा के एंतेब्बे एयरपोर्ट पर जब एक जहाज उतरा और उसमें से काले रंग की एक मर्सिडीज और दो लैंडरोवर गाड़ियां निकलकर टर्मिनल की तरफ बढ़ने लगीं तो युगांडा के सैनिक चकित रह गएl राष्ट्रपति ईदी अमीन भी इसी अंदाज में आते थे लेकिन युगांडाई सैनिक इसलिए हैरान थे कि एक हफ्ते पहले ही अमीन ने काली की जगह सफेद मर्सिडीज का इस्तेमाल शुरू कर दिया थाl हालांकि उनके खबरदार होने तक बहुत देर हो चुकी थीl उनके हाथ अपनी राइफलों तक जाते इससे पहले कार और उसके पीछे दो लैंडरोवर गाड़ियों में बैठे इसराइली कमांडो हरकत में आ चुके थे और उन्होंने साइलेंसर लगी बंदूकों से इन सैनिकों को ढेर कर दिया l
इसके बाद कमांडो उस टर्मिनल की तरफ बढ़े जहां एक हफ्ते पहले बंधक बनाए गए इसराइली यात्रियों को रखा गया थाl उन्होंने यात्रियों से लेट जाने के लिए कहा और उनसे हिब्रू में पूछा कि उन्हें बंधक बनाने वाले अपहरणकर्ता कहां हैं? यात्रियों ने हॉल में खुलने वाले एक दरवाजे की तरफ इशारा कियाl कमांडो उधर बढ़े और जब तक अपहरणकर्ता संभल पाते तब तक उनका खात्मा हो गया l
इस बीच तीन और इसराइली विमान भी रनवे पर उतर चुके थेl इनमें से दो में इसराइली सैनिक थे और एक खाली था जिनमें बंधकों को वापस ले जाया जाना थाl ऑपरेशन शुरू होने के 20 मिनट बाद ही बंधकों को खाली विमान में ले जाया जाने लगाl इस बीच युगांडाई सैनिकों की तरफ से गोलीबारी तेज हो गईl हवाई अड्डे की रोशनियां बंद कर दी गई थींl लेकिन इजराइली कमांडो ने खुद को बड़े नुकसान से बचाते हुए अभियान जारी रखा l
इसराइली विमानों के एन्तेबे में उतरने के एक घंटे के भीतर इस दुस्साहसी बचाव अभियान का सबसे खतरनाक हिस्सा खत्म हो चुका थाl वापस चलने से पहले सैनिकों की गिनती की गई इसके बाद हवाई अड्डे पर खड़े युगांडा के लड़ाकू विमान ध्वस्त कर दिए गए ताकि पीछा किए जाने की संभावना खत्म हो जाएl इस मिशन में सभी सात अपहरणकर्ता मारे गए और 20 युगांडाई सैनिक भीl पूरे अभियान में इसराइल का सिर्फ एक सैनिक मारा गयाl ये लेफ़्टिनेंट कर्नल नेतन्याहू थे जिन्हें एक गोली लगी थीl वे घायल हो गए थेl इसराइल वापस लौटते हुए विमान में ही उनकी मौत हो गईl
चार जुलाई को इसराइली सैनिक बचाए गए 102 बंधकों के साथ वापस तेल अवीव में थेl उनके स्वागत में लोगों की बड़ी भीड़ जमा थीl पूरे मंत्रिमंडल के साथ प्रधानमंत्री राबीन भी इन सैनिकों के सम्मान में एयरपोर्ट पर मौजूद थेl
No comments:
Post a Comment