Wednesday 13 December 2017

13 दिसम्बर, 2017 को दैनिक जागरण में लिखा है...
 कि पाकिस्तान के ऐतिहासिक कटास राज मंदिर से भगवान राम एवं हनुमानजी की प्रतिमाएँ 'गायब' हो गयीं ...! बांग्लादेश के जनगणना से 'लुप्त जनसंख्या' की अवधारणा सामने आयी कि वहाँ से हिन्दू 'गायब' हो रहे हैं...! 
उपर्युक्त दैनिक में छपा है कि अबुधाबी में युवराज शेख अल नाहयान के मार्गदर्शन में हुई संगोष्ठी में मुस्लिम वर्ल्ड लीग के वक्ता ने कहा कि इस्लाम के प्रति लोगों में व्याप्त भय एवं घृणा के लिए स्वयं मुस्लिम उत्तरदायी हैं , कि इस्लाम की गलत व्याख्या के कारण ऐसा हो रहा है। क्या यह इतना सरल है?
 सृष्टि के अंत-समय की इस्लामी भविष्यवाणियों को पूरा करने के लिए ही तो आतंकवादी संगठन ISIS अस्तित्व में आया तथा यजीदी महिलाओं को दास बना कर बेचा । मध्यपूर्व, मध्य एशिया, अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के हिन्दू-बौद्ध इस्लामी मान्यताओं के अनुपालनार्थ नष्ट कर दिए गए। इस्लामी देशों के संगठन OIC ने संयुक्त राष्ट्र में मांग की है कि ईश-निंदा या इस्लाम-निंदा प्रतिबंधित कर दिया जाए। 
जब ईसाई और हिन्दू-बौद्ध-सिख धर्म-परंपरा एवं देवमंडल पर , मूर्ति पूजा पर प्रश्न उठाए जा सकते हैं , इस्लाम के लिए विशिष्ट स्थान की मांग क्यों ? 'एकमात्र सच्चा ईश्वर ' , 'एकमात्र त्राता' , 'अंतिम पैगम्बर' आदि मजहबी विश्वासों पर प्रश्न करना प्राणांतक क्यों बना हुआ है ?
 वस्तुतः, एक ईश्वर परन्तु दो मानवता (विश्वासी एवं अविश्वासी ) की इस्लामी मान्यता , जहाँ अविश्वासियों पर अकथनीय अत्याचार, हिंसा , हत्या, दासता जायज/ उचित/ धर्मसंगत स्वीकृत है , संसार में व्याप्त भय एवं घृणा की जड़ है।

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