Sunday 10 December 2017

संभु नाथ रैगर
 13 साल की बच्ची पर इन वहशियों की नजर क्या सोचकर पड़ी ? जाहिर सी बात है जिस धर्म में 9 साल की बच्ची से शादी मान्य हो उन्हें 13 साल की लड़की भोग की वस्तु ही दिखेगी।
अभी कुछ दिन पहले एक वीडियो देखा था जिसमे पांच साथ मुस्लिम युवक एक हिन्दू लड़की को उसके भाई के सामने ऐसे उठाये उठाये घूम रहे थे जैसे बाज का झुण्ड एक कमजोर मासूम चिड़िया को पकड़ कर एक दूसरे से छीनते हुए भागे जा रहे हों,,,, और वह बेबस भाई उन झुण्ड में आये विधर्मियों के सामने अपनी बहिन की सुरक्षा करने में लाचार था,,,, साथ ही वहीँ उन युवकों के साथ एक अधेड़ उम्र का मुस्लिम आदमी भी चल रहा था लेकिन उसने उस लड़की को उन भेड़ियों से बचाने की कोशिश नहीं की उलटा वह हंसता हुआ निकल गया।
अब काम की बात पर आते हैं संभु नाथ रैगर ने एक मुस्लिम को क्या मार दीया अपने ही हिन्दू भाई जो सेकुलर दोगले भी हैं वह संभु नाथ को वहसी दरिंदा हत्यारा और ना जाने क्या क्या बोलने लगे।
मेरा एक सवाल उन्ही सेकुलरों से की अगर कोई इस तरह का मामला आपकी बहिन के साथ हुआ होता तो आप क्या करते, काट डालते या अपनी बहिन को उनकी हवस मिटाने के लिए छोड़ देते। जहाँ तक मेरा अंदाजा है आप उनको अपना सेकुलरिज्म दिखाने के लिए अपनी बहिन को ठोकने के लिए छोड़ देते, जो संभु नाथ रैगर नहीं कर सका,
शंभू के पड़ोसियों के अनुसार वो काफी सरल व शांत स्वभाव का था, उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वो किसी की हत्या भी कर सकता है।
पड़ोसियों के बयान के अनुसार उसके पड़ोस की एक मुँहबोली बहन थी जिसकी उम्र महज 13 साल की थी जो उसे राखी भी बाँधती थी। इसी गांव का मोहम्मद बबलू शेख जिसने बहला फुसलाकर झांसा देकर उसकी बहन को लेकर बंगाल के सैयदपुर गाँव भाग गया था। जिसमें पूरा हाथ सीधे सीधे मो० अफ़राजुल का था। नाबालिग लड़की की मां की गुहार पर शंभू मर्जी से सैयदपुर गया। जहां 15 दिनों तक लड़की के शारीरिक शोषण के बाद शंभू उसे छुड़ाकर गांव लाया। लड़की की माँ ने संभू को 10 हज़ार का इनाम भी दिया था। लड़की को सैयदपुर से लाने से नाराज़ बंगाली मुसलमान मज़दूरों ने शंभू को खूब पीटा भी था और उसे उसके परिवार के साथ हत्या करने की धमकी भी दी थी। जिससे वह कुछ सनकी भी हो गया था।

सवाल ये भी हैं अगर ऐसा आपकी बहन और बेटी के साथ होगा और समाज-प्रशासन आपका साथ नहीं देगा तो आप क्या करोगे? दुनिया का कौन वो बाप और भाई होगा जो इस तरह की घटनाओं पर चुप बैठेगा।
और एक बात माननी पड़ेगी हमारे देश के मीडिया का। क्योंकि यहाँ मारने वाला दलित जाति से है और मरने वाला मुस्लिम समुदाय से, लेकिन हमेशा की तरह हत्या में दलित व मुस्लिम ढूंढने वाली मीडिया का न्यूज़ हेडलाइंस क्या है "हिंदू ने मुस्लिम शख्स को मारा"।
रोज तिल-तिल कर मरता हुआ इंसान ही, समाज, सिस्टम व नेताओं से इंसाफ न मिलने पर थक हारकर सर पर कफ़न बाँधकर जोश ए जुनून में इस तरह के कदम उठाता है। कोई अपनी बहन बेटी की इज्जत तार-तार होने पर आत्महत्या कर लेता है और कोई इज्जत का बदला लेने के लिए तालिबानी रास्ता चुनता है ! 
यदि यह हत्या हिंदू के साथ हुई होती तो मीडिया इसमें जाति ढूंढती कि कहीं मरने वाला दलित और मारने वाला स्वर्ण तो नहीं और आज बड़े बड़े न्यूज़ चैनल पर डिबेट्स भी होती। खैर यहां मारने वाला दलित और मरने वाला मुस्लिम समुदाय है तो कहीं जय भीम और जय भीम का नारा खतरे में न पड़ जाए इसलिए इसे 'दलित बनाम मुस्लिम' के बजाय 'हिंदू बनाम मुस्लिम' का नाम दे रही है, कोई बात नहीं सम्भू हिन्दू ही हैं, हम उसे हिन्दू ही मानते हैं। 'दलित' शब्द तो मीडिया, नेताओं व धर्मांतरण करने वाले दलालों का प्रोपगेंडा हैं।
Sanjay Dwivedy

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