भारत में दोगली सरकारी संस्थाओं की कोई कमी नहीं है जिनका काम ही बस राष्ट्र को खोखला कर के अपना एजेंडा चलाना है ....
.महिला आयोग ने विस्तार एयर लाइंस को नोटिस भेजा है जायरा वसीम वाले मामले में .. भारत में महिला आयोग अल्पसंख्यक आयोग और मानवाधिकार आयोग का क्या महत्व है ये समझ में नहीं आया .जब एक मानवाधिकार आयोग है तो अल्पसंख्यक और महिला आयोग बनाने का क्या औचित्य.. ?
ये वही महिला आयोग है जो काश्मीर में हिन्दू औरतों के बलात्कार पर चुप रहता है और मै पोर्न एक्ट्रेस बनना चाहती हूँ जैसे बयान देने वाली राखी सावंत की अपील पर मिका सिंह को एक नारी का अपमान करने के जुर्म में नोटिस भेजता है .रोज़ देश के कोने कोने से बलात्कार की ख़बरें आती है.. 3 महीने की बच्ची तक से बलात्कार जैसी खबरें सुनने को मिलती है लेकिन एक बार भी ये किसी भी राज्य सरकार को कोई नोटिस नहीं भेजते स्थिति ऐसी क्यों है
उधर एक और है दिल्ली की सुप्रीम कोर्ट ,कैसे पूजा करे ...मूर्ति कहाँ बहाए ..दही हांड़ी की लम्बाई से लेकर जली कट्टु तक पर फैसला मि लार्ड तुरंत देते है एक राम मंदिर का मामला 60 सालों से अदालत में लंबित है उसपे जज साहेब अपना मुह में दही जमा के बैठे है .और अगली तारिख डाल देते हैं ..
एक और संस्था है केन्द्रीय फिल्म प्रमाण बोर्ड ..फायर वाटर .जैसी फिल्मों पर इन्हें अभिव्यक्ति की आजादी दिखाई देती है और इनोसेंस ऑफ़ मुहम्मद को पास करने में इनकी फ्लावर हो जाती है .लिपस्टिक अंडर माय बुरका पे ये कैंची चला कर उन सीन्स को काट देते हैं जिनसे इस्लाम खतरे में आ जाता है .लेकिन पदमावती जैसी फिल्म पर इनकी बोलती बंद हो जाती है ....
इसके बाद आता है मानवाधिकार आयोग का ...आज तक मानवाधिकार आयोग ने कभी भी भारतीय सेना,.भारतीय पुलिस या अर्धसैनिक बलों के समर्थन में आवाज नहीं उठाई ..इतने crpf के जवानो को नक्सली हर साल मार देते हैं .,.लेकिन अगर एक नक्सली पुलिस की गोली से मारा जाय . आसमान सर पे उठालेते है , मुंबई बम धमाकों और उसमे मरने वाले ढाई सौ लोगों पे इनकी बोली बंद हो जाती है और उसी बम धमाके के आरोपी याकूब मेनन की फांसी पर ये विधवा विलाप करते हैं ..एक काश्मीरी मुस्लमान सेना को गोली से मारा जाय या फिर उसे सेना अपनी जीप पे बाँध कर घुमा दे तो ये तुरंत सेना को भी नोटिस भेज देते हैं लेकिन 3 लाख काश्मीरी पंडितों की हत्या पर ये कथित मानवाधिकार आयोग चुप रहता है...
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