Thursday, 21 December 2017

मित्रो , मंत्रियों को हम सुशासन के लिए चुनते हैं , अपने विचार और आस्थाएं बदलने के लिए नहीं . कांग्रेस के नेताओं ने स्वयं को अंग्रेजों और ईसाई प्रचारकों का उत्तराधिकारी बनाकर सत्ता पाई थी और शेष धर्मनिष्ठ कांग्रेस नेता पार्टी से बाहर योजना पूर्वक फेंक दिए गए थे ,फिर कम्युनिष्ट रूस की मदद से समाज के रूपांतरण का पाप चला . उसके उत्तर में हिन्दू समाज ने भाजपा को पसंद किया है ,
अब यदि भाजपा नेता भी हमारे रूपांतरण के लिए कार्य करना चाहते हैं तो यह बात चुनाव का मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ना चाहिए था .
अब सत्यपाल सिंह जो देशभक्त आर्यसमाजी हैं ,चाहते हैं कि समस्त सनातन धर्म उनके पंथ के विचारों में ही देश का कल्याण मान ले .यह तो धर्मांतरण का ही दूसरा रूप है . हमारी दृष्टि में यह घोर पाप है . मैं पहले भी अपनी पुस्तक "नदियाँ और हम "में इस पर विस्तार से लिख चूका हूँ .
गंगा हमारी माँ है ,देव सरिता हैं ,उन्हें भूतल पर लाया ही इसलिए गया कि हमारे पूर्वजों की अस्थियाँ वहां विसर्जित हो कर उन्हें पुन्य लोक प्राप्त हों . जो लोग उद्दंडता पूर्वक इसे अंध विश्वास कहते हैं ,वे दंडनीय हैं क्योंकि १ वे अपनी पुस्तक को एक मात्र प्रमाण मानते हैं ,अन्य पुस्तकों को गप्प कहते हैं ,.
२ वे लोकतंत्र के विरोधी हैं और संविधान में दिए गए धर्म तथा पूजा के हिन्दुओं के अधिकार पर आघात कर रहे हैं तथा अपना पंथ लाद रहे हैं ..
३ उन्होंने इस के लिए कभी भी जनादेश नहीं प्राप्त किया है .
४ वे उद्योंगों के जहरीले अपशेषों और गाय ,गोवंश तथा बकरा बकरी के भयंकर रक्त ,सड़े मांस ,गन्दगी और नगरों के गंदे नालों की गन्दगी से गंगा मैया को बचा पाने की अपनी अनिच्छा को छिपाने के लिए आसन रास्ता निकल रहे हैं और हिन्दुओं को दबा रहे हैं ,यह पाप है .

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