गांधीजी जानते थे कि अल्लाह वस्तुतः इस्लाम पूर्व पूजित देवता हैं जो महादेव का ही नाम है . इस्लाम के पहले अरब सनातन धर्मावलम्बी था और अल्लाह (महादेव) , अल्लात ( दुर्गा माता ) तथा अल उज्जा ( महा लक्ष्मी ) एवं अल मनात ( सरस्वती जी ) सहित ३६४ देवी देवता मक्का में पूजित थे. तो गाँधी जी अल्लाह यानी महादेव का स्मरण करते थे और कराते थे अतः इस अर्थ में ही ईश्वर और अल्लाह एक हैं , इस्लामी अर्थ में नहीं क्योंकि इस्लाम ने अल्लाह का अलग अर्थ कर दिया है जबकि गांधीजी का जोर मूल अर्थ पर था . हिन्दुओं की शिक्षा परम्परा नष्ट कर डाली गयी तो वे यह सब भूलने लगे हैं , मुसलमानों में मदरसों ने मज़हब को जिला रखा है इसलिए मुसलमान यह अर्थ जानते थे और इसीलिए वे गांधीजी से बहुत चिढ़ते थे , गाँधी जी का छिपा मुस्लिम विरोध मुसलमान पहचानते थे इसीलिए वे गालियां देते थे , नेहरु ने असली गाँधी की वैचारिक आध्यात्मिक हत्या कर डाली और एक झूठे नपुंसक नामर्द गाँधी का प्रचार किया जो मुसलामनों और ईसाइयों को प्रिय है और हिन्दुओं को घोर अप्रिय है . गाँधी जी के साथ नेहरु ने यह भयंकर शत्रुता निभाई है क्योंकि उनके समाजवाद का गाँधी जी ने भयंकर विरोध किया था , बाद में नेहरु ने अपने पक्के सोशलिस्ट चेलों को विनोबा जैसे भोले भंडारी की अगुआई में खूब साधन भवन भूमि संपत्ति देकर नकली गांधीवादी खड़े किये जो गाँधी जी की नेहरु रचित छवि के गायक और कीर्तानिये हैं
गांधीजी का १९४६ -४७ में दिया गया वह प्रसिद्ध और खुला वक्तव्य आज छिपाया जा रहा है , जिसमे उन्होंने कहा था :Let there be Blood Bath .और अपील की थी कि अहिंसा की शपथ लेने वाले कांग्रेसी एक हिन्दू के बदले एक ही मुसलमान मारें ( बस्तियां न जला दें और एक के बदले अनेक न मारें ) . कांग्रेस के बाहर के लोगों के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं लगायी थी . इन्ही सब कारणों से मुसलमान उनसे बहुत चिढ़ते थे , नेहरु को तो किसी मुसलमान या मुस्लिम प्रेस ने कभी भी गली नहीं दी
--.रामेश्वर मिश्र पंकज :
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