Saturday 26 May 2018

parivar katha

बचपन में पिता की मृत्यु हो जाने के कारण समीर की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय थी, समीर की माँ घर-घर बर्तन मांज कर और सिलाई-बुनाई का काम करके किसी तरह अपने बच्चे को पढ़ा-लिखा रही थीं।
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समीर स्वभाव से थोड़ा शर्मीला था और अक्सर चुप-चाप बैठा रहता था। एक दिन जब वो स्कूल से लौटा तो उसके हाथ में एक लिफाफा था.., “माँ, मास्टर साहब ने तुम्हारे लिए ये चिट्ठी भेजी है, जरा देखो तो इसमें क्या लिखा है?”
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माँ ने मन ही मन चिट्ठी पढ़ी और मुस्कुरा कर बोलीं, “बेटा, इसमें लिखा है कि आपका बेटा काफी होशियार है, इस स्कूल के बाकी बच्चों की तुलना में इसका दिमाग बहुत तेज है और हमारे पास इसे पढ़ाने लायक शिक्षक नहीं हैं, इसलिए कल से आप इसे किसी और स्कूल में भेजें। ”
.यह बात सुन कर समीर का मन आत्मविश्वास से भर गया कि.. वो कुछ ख़ास है और उसकी बुद्धि तीव्र है। माँ ने उसका दाखिला एक अन्य स्कूल में करा दिया।
.समय बीतने लगा, समीर ने खूब मेहनत से पढाई की, आगे चल कर IAS ऑफिसर बन गया।
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.समीर की माँ अब बूढी हो चुकीं थीं, और कई दिनों से बीमार भी चल रही थीं, और एक दिन अचानक उनकी मृत्यु हो गयी।
.समीर के लिए ये बहुत बड़ा आघात था, रोते-रोते उसने माँ की पुरानी अलमारी खोली और हाथ में उनकी माला, चश्मा, वस्तुएं लेकर चूमने लगा। तभी उसकी नज़र एक पुरानी चिट्ठी पर पड़ी, दरअसल, ये वही चिट्ठी थी जो मास्टर साहब ने उसे 18 साल पहले दी थी।
.नम आँखों से समीर उसे पढने लगा-
.“आदरणीय अभिभावक,
आपको बताते हुए हमें अफ़सोस हो रहा है कि आपका बेटा समीर पढ़ाई में बेहद कमज़ोर है और खेल-कूद में भी भाग नहीं लेता है। जान पड़ता है कि उम्र के हिसाब से समीर की बुद्धि विकसित नहीं हो पायी है, अतः हम इसे अपने विद्यालय में पढ़ाने में असमर्थ हैं।
.आपसे निवेदन है कि समीर का दाखिला किसी मंद-बुद्धि विद्यालय में कराएं अथवा खुद घर पर रख कर इसे पढाएं।
.सादर,
प्रिन्सिपल”
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( मम्मी-पापा की सिर्फ और सिर्फ "पोजिटिव प्रशंसा" के जरिए ही बच्चों की केरियर बनती है ... )

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