Sunday, 6 May 2018

ये हादसों का देश है सावधान रहिये सुरक्षित रहिये !!!
आपातकाल के पश्चात हुए आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी धराशायी हो जाती है ....
उत्तर भारत में तो कांग्रेस की मात्र एक सीट मेरे जिले नागौर (राजस्थान) की आयी थी .... खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चुनाव हार जाती है ....
मोरार जी के नेतृत्व में देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनती है .... उस सरकार में एक साझीदार होते हैं पश्चिम उत्तर प्रदेश और देश के कद्दावर नेता स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह ....
चौधरी साहब पीएम मोरार जी से इंदिरा को आपातकाल लगाने और भ्रस्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार करने की सलाह देते हैं .... किंतु मोरार जी चौधरी साहब का प्रस्ताव ये कह के खारिज़ कर देते हैं कि देश के लोग कहेंगे हम बदले की राजनीति कर रहे हैं ....
उधर इंदिरा गांधी को अपनी सत्ता का जाना गवारा नहीं हुआ .... इंदिरा गांधी से ज्यादा सत्ता खोने की तड़फ और बेचैनी उनके छोटे सुपुत्र संजय गांधी को थी .... संजय गांधी की इंदिरा के समानांतर देश और कांग्रेस में सत्ता और सरकार चलती थी ......................... दोनों मां बेटे मोरार जी सरकार को गिराने का अवसर खोजने लगे .... साजिशें षड्यंत्र करने लगे ............................ और अंत में कांग्रेस की डील उन्हीं चौधरी साहब से हुई जो मोरार जी द्वारा इंदिरा को गिरफ्तार करने की सलाह दिया करते थे ....
चौधरी साहब ने मोरार जी से समर्थन ले के उनकी सरकार को गिरा दिया .... बदले में कांग्रेस ने चौधरी साहब को बाहर से समर्थन दे के देश का पीएम बना दिया .... कुछ समय बाद संसद सत्र के प्रथम दिन सुबह जब चौधरी साहब संसद जाने को तैयार हो रहे थे कांग्रेस ने उनसे समर्थन वापसी की घोषणा कर दी ....................... और इस प्रकार चौधरी साहब संसद का एक भी सत्र अटेंड नहीं करने वाले देश के इकलौते पीएम बने ....
..................... उसके बाद हुए मध्यावधि चुनावों में इंदिरा के नेतृत्व में कांग्रेस पुनः देश पे सत्ताशीन हुई ....
स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी की संदिग्ध मृत्यु को भी मैं इसी परिपेक्ष में देखता हूँ .... क्योंकि शास्त्री जी की मृत्यु से लाभ इंदिरा को ही मिलना था .... और मिला भी ....
..................... अपनी ही पार्टी का विभाजन इंदिरा ने उस वक़्त कर दिया जब उनकी सत्ता को पार्टी के अंदर से चुनौतियां मिलने लगी ....
लाल कृष्ण आडवाणी जी की राम रथ यात्रा में गिरफ्तारी के विरोध में भाजपा ने समर्थन वापिस ले के विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार को सत्ता से हटा दिया ...................... वी पी सिंह बोफोर्स के जिन्न पे सवार हो के पीएम बने थे .... कांग्रेस ने अवसर का लाभ उठाते हुए चंद्रशेखर जी को बाहर से समर्थन दे के पीएम बना दिया ................... कुछ महीनों बाद चंद्रशेखर पर 2 पुलिस वालों द्वारा राजीव गांधी की जासूसी के टुच्चे आरोप लगाकर कांग्रेस ने चंद्रशेखर से समर्थन वापस ले लिया और देश को पुनः मध्यावधि चुनावों में धकेल दिया ........................... और खुद पुनः सत्ता में आई ....
.............................. अटल जी के पीएम पद पर पदस्थ रहते हुए उन्हें पदच्युत करने के लिए अनेक षड्यंत्र रचे गए .... अविश्वास प्रस्ताव ला के एक वोट से उन्हें सत्ता से बेदखल किया गया .... देश को मध्यावधि चुनावों में धकेला गया .... कारगिल हमला/घुसपैठ .... फ़र्ज़ी ताबूत घौटाले का बवंडर .... कांधार विमान अपहरण कांड .... संसद पे आतंकी हमला .... अक्षरधाम काशी विश्वनाथ आदि जगहों पर आतंकी हमला .... गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में कार सेवकों को ज़िंदा जलाने वाली घटना जैसी साजिशें हुई ....................... और अंत में 2004 आते आते अटल जी को सत्ता गवानी ही पड़ी ....
कांग्रेस और गांधी परिवार की एक प्रॉब्लम है .... ये सत्ता से दूर ज्यादा दिन नहीं रह सकते .... सत्ता हाथों से फिसलते ही जल बिन मछली की तरह तड़फने लगते हैं .... देश के सत्ताशीन गैर-कांग्रेसी दल और स्थापित पीएम के खिलाफ साजिशों षड्यंत्रों का दौर चलता है ....
यकीन ना हो तो 2014 से अबतक के घटनाक्रमों पर निगाह दौड़ा लीजिये .... अवार्ड वापसी .... वेमुल्ला अखलाख पहलू खान .... हार्दिक अल्पेश जिग्नेश कन्हैया खालिद अनिर्बान .... एएमयू बीएचयू .... भारत तेरे टुकड़े होंगे .... उन्नाव कठुवा .... उन्ना आंदोलन वगैरह वगैरह ....
ये हादसों का देश है सावधान रहिये सुरक्षित रहिये !!!! ....
वाया आशीष कुमार मूल लेखक रितेश प्रज्ञांश

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