गंगा ईमली की वो मिठास......!
दोस्तों आज बात करते है अंग्रेजी ईमली की। आप सभी ने बचपन में इसे खुब खाया होगा। इसे देखकर आपके बचपन की यादें ताजा हो गई होगी। पेड़ों पर पत्थर मारकर, या बांस के सहारे तोड़ तोड़ कर बड़े चाव से यह ईमली खायी होगी। इसके लिये घर वालों से डांट भी खुब खाई होगी, मार भी पड़ी होगी। बस ऐसा ही मेरे साथ भी हो चुका है।
यह ईमली मुझे बहुत पसंद है। इसे हम गंगा ईमली भी कहते है। देखने में बिलकुल जलेबी की तरह गोल गोल होती है। पकने पर यह हरे से गुलाबी रंग की हो जाती है। इसके अंदर के गोल गोल दाने बेहद ही मीठे एवं गुदेदार होते है। वे भी सफेद एवं गुलाबी हो जाते है। बहुत ही मीठी एवं स्वादिष्ट होती है यह गंगा ईमली।
इसका पेड़ कांटो से युक्त लगभग 10-15 मीटर उंचा होता है। यह ईमली मूलत मैक्सिको , दक्षिण मघ्य अमेरिका की उपज है। मैक्सिको में तो विभिन्न व्यंजनों में इस अंग्रेजी ईमली का उपयोग किया जाता है।
यह गंगा ईमली भारत के विभिन्न क्षेत्रों के पायी जाती है। बस्तर में भी इसके बहुत से पेड़ देखने को मिलते है। खासकर मध्य बस्तर में चित्रकोट के आसपास इसके पेड़ बहुतायत में है।
हमने तो बहुत खायी है यह गंगा ईमली। आपने अब तक खायी है कि नहीं, अपने अनुभव जरूर शेयर करें।
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