कांग्रेस की गलत नीतियों से ही भारत में नक्सलवाद की शुरुआत हुई.. याद कीजिये जब चारू मजूमदार को कांग्रेस ने बातचीत करने के बहाने गोली मार दिया था ... कोडापल्ली सीतारमैया को नक्सली बताकर कांग्रेस सरकार ने गोलियों ने भुन दिया था ... कानू सान्याल को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया .. और भीषण बीमार नागभूषण पटनायक को अस्पताल में भी उनके पैरो से बेड़िया नही खोली गयी थी और नही उनके हाथो की हथकड़ी खोली गयी थी ...
जब ये नक्सल आदोलन बहुत छोटा था और नक्सली नेता इंदिरा गाँधी से बातचीत करके आदिवासीयो से जुड़े मुद्दों को सुलझाना चाहते थे तब इंदिरा गाँधी ने कहा था की मै किसी आतंकवादी से बात नही करूंगी मेरी पुलिस और सेना की बंदूकें बात करेंगी ... इंदिरा गाँधी ने अपने दमन से इस आन्दोलन को एक जनांदोलन बना दिया क्योकि केरल, आंध्रप्रदेश, एमपी और महाराष्ट्र की तत्कालीन कांग्रेसी सरकारों के कांग्रेसी नेता बकायदा किसी के भी हत्या की सुपारी लेते थे और फिर पुलिस से उसे गोली मरवाकर नक्सली बता देते थे ... ऐसे ही एक मामले में केरल में इंजिनियरिंग के छात्र की १९७४ में हत्या हुई थी ..सिर्फ इसलिए क्योकि वो कोलेज में टॉप करता था और एक कांग्रेसी नेता का पुत्र सेकेण्ड आता था फिर कांग्रेसी नेता के ईशारे पर पुलिस ने उसे नक्सली बताकर गोलियों से भून दिया था .. ये मामला सुप्रीमकोर्ट तक गया और आठ पुलिस वालो को आजीवन कैद हुई थी ...
इंदिरा गाँधी एक तरह से तानाशाह थी ... नागालैंड के असंतुष्ट नेता आइजक और टी मुइवा बैंकाक में राजनितिक शरण लेकर रह थे थे ..इंदिरा गाँधी ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया और हवाईअड्डे पर ही गिरफ्तार करवा दिया था ..फिर तो दस सालो तक नागालैंड सुलगता रहा और हजारो सुरक्षाकर्मियोंकी मौत हुई थी...
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