Wednesday, 9 May 2018

ढोडरेपाल के प्राचीन मंदिर ......!
बस्तर में आज भी बहुत से ऐसे ऐतिहासिक स्थल है जो कि बेहद ही सुगम्य है फिर भी आम लोगों को इनकी कोई जानकारी नहीं है। जगदलपुर से गीदम राजमार्ग में मावलीभाठा ग्राम भी एक बेहद महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है किन्तु, कुछ लोग ही इस गांव की ऐतिहासिक महत्ता से परिचित है। उचित प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण आम लोग बस्तर के ऐतिहासिक धरोहरों से आज भी अनभिज्ञ है।
जगदलपुर-गीदम राष्ट्रीय राजमार्ग में जगदलपुर से 25 किलोमीटर की दुरी पर मावलीभाठा नाम का छोटा सा ग्राम है। इस ग्राम के पास से किरन्दुल कोटवालसा रेलमार्ग है। रेलमार्ग के उस पार , खेतों में प्राचीन मंदिर समुह है। ये मंदिर संख्या में तीन थे किन्तु एक मंदिर नश्ट हो जाने के कारण अब दो ही मंदिर सुरक्षित विद्यमान है। ये मंदिर समुह पूर्वाभिमुख है। दोनो ही मंदिर में शिवलिंग प्रतिष्ठापित है। एक मंदिर में शिवपार्वती की युगल प्रतिमा भी स्थापित है।
मंदिर प्रांगण में ही स्थानीय ग्रामवासियों की देवगुड़ी भी है। देवगुड़ी में देव की प्रतिमा स्थापित है। स्थानीय ग्रामवासी देव को विश्वकर्मा भगवान के नाम से पुजा करते है। इस कारण इन मंदिर समुहों को विश्वकर्मा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। चुंकि ये मंदिर ढोडरेपाल गांव की सीमा में आते है इसलिये इस अंचल में ये मंदिर ढोडरेपाल के विश्वकर्मा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
ढोडरेपाल के ये मंदिर भी नागयुगीन स्थापत्यकला के अनुपम उदाहरण है। तीसरे मंदिर के पास ही, लगे हुये पेड़ के कारण, वह मंदिर ध्वस्त हो गया। पुरातत्व विभाग ने मंदिरों को पुर्नसंरचित कर जीर्णोद्धार किया है। चारदीवारी से इन मंदिरों को सुरक्षित किया गया है।
लेख ओम सोनी
कृपया कापी पेस्ट करके अपने पेज या वाल पर पोस्ट ना करें, अधिक से अधिक शेयर करें।

No comments:

Post a Comment