Sunday, 20 May 2018

पहले पांच सात साल दिन रात मेहनत करो ...कुछ पैसे इकठ्ठा करो .
फिर उसे एक दिन की शादी में उड़ा देना ! 
रिजल्ट --- वर्चुअल सोशल स्टेटस बनाने के चक्कर में इकोनोमिकली आप पांच सात साल फिर से पीछे. हासिल के नाम पर सिर्फ वाह वाह ये कैसी समझदारी ?
राजाओ की तरह साज श्रिंगार , तलवार और हाथी घोड़े ..उसके पीछे सेनाओं जैसी लम्बी सी बारात .वो भी सिर्फ एक दिन के लिए ... 
बताए !.... शादी करने जा रहे या आक्रमण करने ? वो भी झूठ मूठ का सिर्फ ड्रामा है एक दिन का.इसके बाद जब इतना खर्च करोगे तो लड़की वालों से मांग तो होगी ही....चलो मान लिया कि हो सकता है दहेज़ नही लेंगे लेकिन बारातियों का जो स्टेटस आप मेन्टेन करके लाये हैं .उससे कम की तो उम्मीद नहीं ही करेंगे .दिखावे से भरी ऐसी सोच दहेज प्रथा को बढ़ावा देती है जिसके कारण देश में महिलाये घरेलू हिंसा का शिकार होती रहती हैं .एक दिन के लिए झूठ मूठ का राजा बनकर ड्रामा करने के लिए लाखों करोड़ों उड़ाने से कही लाख गुना बेहतर है कि सिंपल टीशर्ट में ही ईमानदारी से शादी की जाए.
शादी एक पवित्र अनुष्ठान है इसे बोझ बनाना मुझे जायज नही लगता ....पैसा ज्यादा है तो नवदम्पति के नाम जमा कर सकते हैं ..उनके नाम से स्कूल , अस्पताल खोल सकते हैं.किसी ट्रस्ट, NGO को उनके शादी के मौके पर दिया जा सकता है .बेतहाशा पैसे उड़ाकर शादियों को डेप्रिसिएशन एसेट बनाना कहाँ की समझदारी है.
प्रोग्रसिव सोच रखिये ! भारत निर्माण सिर्फ बोलने से होगा क्या ? Gitali saika ji

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