Sunday 6 May 2018

माओवादी , कम्युनिस्ट ऊपर से देखने में जनता के हितैषी दिखते है लेकिन ये आम जनता को हमेशा गरीब और कमजोर बनाये रखने में भरोसा करते है ताकि आम जनता हमेशा इनकी गुलाम बनी रहे ..........एक उदाहरण नेपाल से .............
नेपाल एक अविकसित छोटा सा देश है जो दुनिया के और देशो से मिली सहायता पर निर्भर ........ये देश अपने यहाँ की जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे जादा भारत पर निर्भर है और उसके बाद चीन पर ...ये दोनों देश ही नेपाल की अर्थब्यवस्था की धुरी है ...............
अब समाचार यह है कि ............सत्तारूढ़ सीपीएन (यूएमएल) और सीपीएन-माओइस्ट सेंटर (सीपीएन-एमसी) के एक विशेष वाम गठबंधन कार्यबल ने नेपाल के युवाओं को विदेशी सेना में शामिल होने से रोकने की सिफारिश की है। यूएमएल के उपाध्यक्ष और टास्क फोर्स के समन्वयक बामदेव गौतम ने नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली और सीपीएन-एमसी के अध्यक्ष प्रचंड को रिपोर्ट सौंपी है ।
'हिमालय टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार टास्क फोर्स ने सुझाव दिया है कि विदेशी सेना में नेपाल के नागरिकों की सेवा की अनुमति देने वाली पुरानी संधि और समझौतों को कूटनीतिक चैनलों से समाप्त किया जाना चाहिए। अखबार के अनुसार नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने 8 साल पहले सिंगापुर पुलिस फोर्स में नेपालियों की भर्ती गैरकानूनी बताते हुए आदेश पारित किया था, लेकिन इस आदेश को लागू नहीं किया गया।
भारतीय सेना में 7 गोरखा रेजिमेंट और 40 बटालियन हैं, जिनमें 40,000 गोरखा सिपाही हैं। इनमें असम राइफल भी शामिल है। ब्रिटिश सेना में करीब 3,600 नेपाली हैं। सिंगापुर पुलिस फोर्स में करीब 400 नेपाली अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 1947 में जब भारत आजाद हुआ था जब नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच हए त्रिपक्षीय समझौते के तहत ब्रिटिश सेना से चार गोरखा रेजिमेंट भारतीय सेना को दी गई थीं। ..............अब नेपाल के कम्युनिस्ट चाहते है की नेपाल इन देशो की सेनाओं में नेपाली नागरिको की भर्ती को बंद करे ताकि गरीबी की हालात में फंस जाने वाले युवा चीन के लिए सस्ते मजदुर साबित हो सके !

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