समाज की निंदा और विलाप कृपया बंद कीजिये
सर्वप्रथम तो हिन्दू समाज की किसी भी स्तर पर निंदा बंद कर दीजिये . ७० वर्षों से हिन्दू समाज को वर्तमान नेताओं और अफसरों तथा उनके सेवकों ने मिलकर अधिकार विहीन और ज्ञान विहीन बना रखा है तथा देश और दुनिया के विषय में गलत जानकारियां फैला रहे हैं
सर्वप्रथम तो हिन्दू समाज की किसी भी स्तर पर निंदा बंद कर दीजिये . ७० वर्षों से हिन्दू समाज को वर्तमान नेताओं और अफसरों तथा उनके सेवकों ने मिलकर अधिकार विहीन और ज्ञान विहीन बना रखा है तथा देश और दुनिया के विषय में गलत जानकारियां फैला रहे हैं
अतः इस दशा की जिम्मेदारी राज्यकर्ताओं की है , समाज की नहीं अतः समाज को कोसना बंद कीजिये . यह बताइए कि समाज को शक्ति देने के लिए आप क्या कर रहे हैं और राज्य को भारतीय बनाने के लिए क्या कर रहे हैं ?
इसके बाद रोना धोना और विलाप बंद कर विश्व की सही जानकारी प्राप्त कीजिये .
१५० वर्ष पूर्व यूरोप का हर वर्तमान राष्ट्र राज्य भयंकर गरीबी , अंधविश्वास. अज्ञान, रोग, महामारियों और अत्याचारों से जर्जरित बेहाल था , विद्वानों और सत्यनिष्ठों को मृत्यु दंड या अन्य यातनाएं देना , श्रेष्ठ स्त्रियों पर बर्बर घृणित अत्याचार पादरियों द्वारा किये जाना , नस्ल भेद ,भयंकर ऊंच नीच , विषमता , गुलामों को बेच कर जीवन चलाना , घर के नौकरों को जरा ज़रा सी बात पर कोड़े बरसाना , पत्नी को अंगूठे बराबर मोटे कोड़ों से मारने को पति का अधिकार मानना आदि चलन था . प्रबुद्ध नर नारियों ने शांत स्वरों में निरंतर बात रखी और क्रमशः वे एक सभ्य नेशन बन गए . उंच नीच वहां आज भी है पर पहले से बहुत कम , पहले केवल पादरियों को पढने का अधिकार था. आज सब शिक्षित हैं .
वहा की तुलना में हमारे यहाँ बहुत कम बुराइयाँ हैं अतः निंदा और विलाप बंद कर धैर्य से कमियों को दूर करने के उपाय कीजिये . उपाय हर विषय में स्वयम न बताने लगिए ,सम्बंधित विषय के अधिकारी विद्वान से पूछिए
इसके बाद रोना धोना और विलाप बंद कर विश्व की सही जानकारी प्राप्त कीजिये .
१५० वर्ष पूर्व यूरोप का हर वर्तमान राष्ट्र राज्य भयंकर गरीबी , अंधविश्वास. अज्ञान, रोग, महामारियों और अत्याचारों से जर्जरित बेहाल था , विद्वानों और सत्यनिष्ठों को मृत्यु दंड या अन्य यातनाएं देना , श्रेष्ठ स्त्रियों पर बर्बर घृणित अत्याचार पादरियों द्वारा किये जाना , नस्ल भेद ,भयंकर ऊंच नीच , विषमता , गुलामों को बेच कर जीवन चलाना , घर के नौकरों को जरा ज़रा सी बात पर कोड़े बरसाना , पत्नी को अंगूठे बराबर मोटे कोड़ों से मारने को पति का अधिकार मानना आदि चलन था . प्रबुद्ध नर नारियों ने शांत स्वरों में निरंतर बात रखी और क्रमशः वे एक सभ्य नेशन बन गए . उंच नीच वहां आज भी है पर पहले से बहुत कम , पहले केवल पादरियों को पढने का अधिकार था. आज सब शिक्षित हैं .
वहा की तुलना में हमारे यहाँ बहुत कम बुराइयाँ हैं अतः निंदा और विलाप बंद कर धैर्य से कमियों को दूर करने के उपाय कीजिये . उपाय हर विषय में स्वयम न बताने लगिए ,सम्बंधित विषय के अधिकारी विद्वान से पूछिए
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