महाभारत युद्ध के बाद आख़िर क्या हुआ?
पढिए
1) युद्ध के बाद पांडवों का राज चला और युधिष्ठिर बने राजा! लेकिन कौरवों की माँ, गांधारी ने श्री कृष्ण को श्राप दे डाला कि जैसे मेरे बच्चों की इतनी दर्दनाक मौत हुई है, उसी तरह तुम्हारा यादव-परिवार भी तड़प-तड़प के ख़त्म होगा!
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1) युद्ध के बाद पांडवों का राज चला और युधिष्ठिर बने राजा! लेकिन कौरवों की माँ, गांधारी ने श्री कृष्ण को श्राप दे डाला कि जैसे मेरे बच्चों की इतनी दर्दनाक मौत हुई है, उसी तरह तुम्हारा यादव-परिवार भी तड़प-तड़प के ख़त्म होगा!
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2) पांडवों का राज पूरे 36 साल चला लेकिन श्राप के चलते श्री कृष्ण की द्वारका में हालात बिगड़ने लगे! हालात सँभालने के लिए श्री कृष्ण अपने सारे यादव-कुल को प्रभास ले गए लेकिन वहाँ भी हिंसा से पीछा नहीं छूटा! स्थिति ऐसी हो गयी कि पूरा यादव-कुल एक दूसरे के ख़ून का प्यासा हो गया और बात वहाँ तक पहुँच गयी जहाँ उन्होंने पूरी नस्ल का ही संहार कर डाला!
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3) इस संहार को रोकने की श्री कृष्ण ने बहुत कोशिश की लेकिन एक शिकारी ने ग़लती से उन्हीं पर निशाना साध दिया! चूंकि श्री कृष्णा मानव-योनि में थे, उनकी मृत्यु निश्चित थी! उनके बाद, वेद व्यास ने अर्जुन से कह दिया कि अब तुम्हारे और तुम्हारे भाईयों के जीवन का उद्देशय भी ख़त्म हो चुका है!
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4) यही वो वक़्त था जब द्वापर युग ख़त्म हो रहा था और कलयुग की शुरुआत होने वाली थी| अधर्म बढ़ने लगा था और यही देखते हुए युधिष्ठिर ने राजा का सिंहांसन परीक्षित को सौंपा और ख़ुद चल पड़े हिमालय की ओर, जीवन की अंतिम यात्रा पर| उनके साथ चले उनके चारों भाई और द्रौपदी और साथ में हो लिए एक कुत्ते के रूप में यमराज!
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5) हिमालय की यात्रा आसान नहीं थी और धीरे-धीरे सभी युधिष्ठिर का साथ छोड़ने लगे! द्रौपदी से शुरुआत हुई और अंत में भीम का निधन हुआ| कारण था अपने-अपने गुरूर की वजह से उपजी हुई अलग-अलग परेशानियाँ! सिर्फ़ युधिष्ठिर, जिन्होंने कभी गुरूर नहीं किया, कुत्ते के साथ हिमालय के पार स्वर्ग के दरवाज़े पर पहुँच सके!
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6) स्वर्ग के दरवाज़े पर यमराज कुत्ते का रूप छोड़ अपने असली रूप में आये और फिर युधिष्ठिर का अंत हुआ
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तो इस तरह अंत हुआ पांडवों और श्री कृष्ण का और उनके साथ ही ख़त्म हुआ "द्वापर युग"!
उसके बाद शुरू हुआ "कलयुग" जो आप और हम जी रहे हैं !
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3) इस संहार को रोकने की श्री कृष्ण ने बहुत कोशिश की लेकिन एक शिकारी ने ग़लती से उन्हीं पर निशाना साध दिया! चूंकि श्री कृष्णा मानव-योनि में थे, उनकी मृत्यु निश्चित थी! उनके बाद, वेद व्यास ने अर्जुन से कह दिया कि अब तुम्हारे और तुम्हारे भाईयों के जीवन का उद्देशय भी ख़त्म हो चुका है!
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4) यही वो वक़्त था जब द्वापर युग ख़त्म हो रहा था और कलयुग की शुरुआत होने वाली थी| अधर्म बढ़ने लगा था और यही देखते हुए युधिष्ठिर ने राजा का सिंहांसन परीक्षित को सौंपा और ख़ुद चल पड़े हिमालय की ओर, जीवन की अंतिम यात्रा पर| उनके साथ चले उनके चारों भाई और द्रौपदी और साथ में हो लिए एक कुत्ते के रूप में यमराज!
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5) हिमालय की यात्रा आसान नहीं थी और धीरे-धीरे सभी युधिष्ठिर का साथ छोड़ने लगे! द्रौपदी से शुरुआत हुई और अंत में भीम का निधन हुआ| कारण था अपने-अपने गुरूर की वजह से उपजी हुई अलग-अलग परेशानियाँ! सिर्फ़ युधिष्ठिर, जिन्होंने कभी गुरूर नहीं किया, कुत्ते के साथ हिमालय के पार स्वर्ग के दरवाज़े पर पहुँच सके!
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6) स्वर्ग के दरवाज़े पर यमराज कुत्ते का रूप छोड़ अपने असली रूप में आये और फिर युधिष्ठिर का अंत हुआ
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तो इस तरह अंत हुआ पांडवों और श्री कृष्ण का और उनके साथ ही ख़त्म हुआ "द्वापर युग"!
उसके बाद शुरू हुआ "कलयुग" जो आप और हम जी रहे हैं !
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