भारत पर एक अरब डॉलर का जुर्माना छोड़ेगा कतर
नई दिल्ली एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में कतर ने भारत पर लगाए एक अरब डॉलर (करीब 66 अरब रुपये)जुर्माने को छोड़ने पर सहमति जताई है। लंबी अवधि के एलएनजी अनुबंध की शर्तों को तोड़ने के लिए भारत पर यह जुर्माना लगाया गया था। इसके साथ ही कतर ने भारत के साथ एलएनजी अनुबंध में वैश्विक ऊर्जा कीमतों के हिसाब से मूल्य फॉर्म्युले में बदलाव पर भी सहमति जताई है।
जानकार सूत्रों ने बताया कि महीनों चले गहन विचार-विमर्श के बाद रासगैस (कतर) ने पेट्रोनेट एलएनजी लि. से करीब 66 अरब डॉलर के जुर्माने पर जोर नहीं देने का फैसला किया है। सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोनेट एलएनजी देश की एलएनजी की सबसे बड़ी आयातक कंपनी है। उसने इस साल 75 लाख टन के अनुबंध का केवल 68 प्रतिशत ही हिस्सा खरीदा है। अनुबंध से कम मात्रा में एलएनजी खरीदने पर उस पर उक्त एक अरब डॉलर का जुर्माना बनता है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही रासगैस ने जापानी कच्चे तेल समूह (बास्केट) के 60 महीने के औसत मूल्य के आधार पर मौजूदा कीमत फॉर्म्युले में बदलाव पर भी सैद्धांतिक रूप से सहमति जताई है। यह बदलाव ब्रेंट कच्चे तेल के तीन महीने के औसत के हिसाब से होगा। इस कदम से एलएनजी की लागत घटकर 7-8 डॉलर (करीब 464 से 531 रुपये) प्रति एमबीटीयू आ जाएगी जो इस समय 12-13 डॉलर (करीब 796 रुपये से 863 रुपये) है।
सूत्रों ने कहा, ‘भारत के लिए अच्छी खबर है। कीमत को लेकर बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है।’ नए सौदे को लेकर बातचीत चल रही है। उसके तहत पेट्रोनेट इस साल नहीं उठाई गई मात्रा को अनुबंध की बाकी अवधि के दौरान उठाएगी। कतर के साथ यह अनुबंध 25 साल की अवधि के लिए किया गया था। कतर से यहां पहुंची एलएनजी का दाम पिछले साल 50 प्रतिशत से अधिक गिरकर 6.80 डॉलर (करीब 451 रुपये) प्रति दस लाख एमबीटीयू रह गया। पिछले साल अमेरिका में प्राकृतिक गैस कावायदा भाव 38 प्रतिशत गिर गया जो कि तीन साल में सबसे कम था।
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