Friday, 11 December 2015


आप अगर इशरत जहाँ के नाम के आगे "शहीद" लिखा देखकर चौंक रहे हैं तो मत चौंकिए । दरअसल "शहीद" वो होता है जो इस्लाम को स्थापित करने की राह में मारा गया हो । चूँकि इशरत जहाँ काफिरों को मारकर ऐसा करने जा रही थी इसलिए उसे "शहीद" कहना ठीक होगा । ये इकलौती घटना नहीं है जब ऐसा होता है । आप अगर पूछें की लोग बिन कासिम या फिर महमूद ग़ज़नवी और नादिर शाह को क्या मानते हैं तो आपको पता चलेगा कि ये लोग "गाज़ी" कहे जाते हैं । इन लोगों को इस्लाम के बड़े योद्धा मानने वाले लोगों की कोई कमी नहीं ! कम से कम भारत में तो हरगिज़ नहीं !
ग़ज़नवी के भांजे सालार मसूद को राजा सुहेलदेव ने युद्ध में मार गिराया था । भारत पर हमला करने वाले इस आततायी की मज़ार पर हर साल मेला लगता है । "शहीदों की मज़ारों पर, लगेंगे हर बरस मेले" का मतलब भी समझ आ रहा होगा ?
‪#‎नीतिश_की_कथित_बेटी‬
इशरत जहाँ लश्कर-ए-तैयबा की फिदायीन थी ।जिसकी नियुक्ति मुज़म्मिल नामक आतंकी के द्वारा हुई थी ।-डेविड हेडली
नीतिश जैसे नेता अब क्या कहेंगे जो कभी इसे अपनी बेटी मानते थे ।
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" कांग्रेस ने ‪#‎इशरतजहां‬ के घरवालों को जमकर आर्थिक मदद दी ताकि वे गुजरात सरकार के खिलाफ अपना ‪#‎केजरीरोना‬ जारी रख सकें, जिस इशरत के नामपर बृंदा करात का एनजीओ इशरतजहां एम्बुलेंस सर्विस चलाता है, जो इशरत बिहार की बेटी थी, जिसने अक्षरधाम, सोमनाथ, सिद्धिविनायक मंदिरों पर हमले की प्लानिंग की थी और जो इशरत ‪#‎लश्कर‬ के कहने पर मोदी को मारने निकली थी और लश्कर ने जिसकी मौत पर उसे शहीद घोषित किया था .. 




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