Friday, 25 December 2015

मोदीजी के अचानक पाकिस्तान पहुँचने पर खान्ग्रेसी मीम अफजल टीवी चैनल पर चिल्ला रहे थे कि ऐसा क्या बदला है जो मोदी पाकिस्तान चले गए?
इस प्रश्न के जवाब में RAW के पूर्व अधिकारी RSN SINGH बोले, फर्क यह है जनाब कि 2004 से 2014 तक जो आपकी इंटरनल सिक्यूरिटी की स्थिति थी, लखनऊ, जयपुर, मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद, बैंगलोर, वाराणसी पूरे भारत में हर जगह आए दिन जो बम विस्फोट होते थे, वे आज बन्द हो गए हैं, और आज पाकिस्तान में बलूचिस्तान, सिंध, करांची में आग लगी हुई है, भारत में ISI का नेटवर्क टूट रहा है।
यही कारण है कि आज पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा छोड़कर, पहले आतंकवाद पर बात करने को तैयार हुआ है।
याद रहे RSN SINGH जी रॉ के पूर्व अधिकारी हैं बीजेपी के प्रवक्ता नहीं।
वैसे RSN SINGH जी के इस वक्तव्य से इतना तो स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान में RAW का कितना जबरदस्त नेटवर्क है।
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नासा के ‘मिशन संस्कृत’ की पुष्टि...


वैज्ञानिक पहलू जानकर अमेरिका नासा की भाषा बनाने की कसरत में जुटा हुआ है । इस प्रोजेक्ट पर भारतीय संस्कृत विद्वानों के इन्कार के बाद अमेरिका अपनी नई पीढ़ी को इस भाषा में पारंगत करने में जुट गया है। 
गत दिनों आगरा दौरे पर आए अरविंद फाउंडेशन [इंडियन कल्चर] पांडिचेरी के निदेशक संपदानंद मिश्रा ने ‘जागरण’ से बातचीत में यह रहस्योद्घाटन किया कि नासा के वैज्ञानिक रिक ब्रिग्स ने १९८५ में भारत से संस्कृत के एक हजार प्रकांड विद्वानों को बुलाया था। उन्हें नासा में नौकरी का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने बताया कि संस्कृत ऐसी प्राकृतिक भाषा है, जिसमें सूत्र के रूप में कंप्यूटर के जरिए कोई भी संदेश कम से कम शब्दों में भेजा जा सकता है। विदेशी उपयोग में अपनी भाषा की सहायता देने से उन विद्वानों ने मना कर दिया था। इसके बाद कई अन्य वैज्ञानिक पहलू समझते हुए अमेरिका ने वहाँ छोटे बच्चों को संस्कृत की शिक्षा शुरू कर दी है। 
नासा के ‘मिशन संस्कृत’ की पुष्टि उसकी वेबसाइट भी करती है। उसमें स्पष्ट लिखा है कि २० वर्षोँ से नासा संस्कृत पर काफी पैसा और मेहनत कर चुकी है। साथ ही इसके कंप्यूटर प्रयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा का भी उल्लेख है। ब्रिटेन वर्तमान में हमारे श्री चक्र पर आधारित एक रक्षा प्रणाली पर शोध कर रहा है। 
 यह बात अवश्य सोचने की है, की आज जहाँ पूरे विश्व में संस्कृत पर शोध चल रहे हैं। वहीँ हमारे देश के लुच्चे नेता संस्कृत को मृत भाषा बताने में बाज नहीं आ रहे हैं अभी ३ वर्ष पहले हमारा एक केन्द्रीय मंत्री बी. एच .यू . में गया था तब उसने वहाँ पर संस्कृत को मृत भाषा बताया था। यह बात कहकर वह अपनी माँ को गाली दे गया, और ये वही लोग हैं जो भारत की संस्कृति को समाप्त करने के लिए यहाँ की जनता पर अंग्रेजी और उर्दू को जबरदस्ती थोप रहे हैं।

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