पीएम मोदी का सबसे बड़ा फैन, बगैर मेहताना लिए बना दिए सैकड़ों शौचालय
सीहोर जिले के भोजपुरा गांव में रहने वाले बुजुर्ग कारीगर दिलीप सिंह मालवीय ने अपने अनूठे प्रयास से पूरे गांव की तस्वीर ही बदलकर रख दी. उन्होंने बगैर मेहताना लिए गांव के सैंकड़ों घरों में शौचालय बना दिए.
दरसअल, जिले के इछावर इलाके के भोजपुरा गांव में झुग्गी में रहने वाले दिलीप सिंह मालवीय पेशे से मकान कारीगर हैं. दूसरे के घरों का निर्माण करने वाले बुजुर्ग दिलीप सिंह ने खुद के घर में आज तक शौचालय नहीं बना पाया. इस बात उनकी पत्नी बिंदा लंबे समय से विरोध कर रही थी
पत्नी की जिद के चलते कारीगर दिलीप ने अपने घर में शौचालय निर्माण कराया, साथ ही गांव के एक सैंकड़ा घरों में तीन महीने के भीतर बिना मेहताना के शौचालय बना दिए.
कारीगर दिलीप सिंह की मानें तो गांव की महिलाओं और पुरुषों को सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में खुले में शौच के लिए जाना होता था. जिससे चौतरफा गंदगी का माहौल था. जिसे देखकर उन्होंने गांव के सरपंच सुरेंद्र सिंह से संपर्क किया.
हालांकि, सरपंच शौचालय के लिए सरकारी राशि न मिलने से चिंतित था. जिसके बाद ग्राम पंचायत में तय हुआ कि गांव के लोग निर्माण सामग्री का इंतजाम कर लें, तो कारीगर दिलीप सिंह बगैर पैसे लिए शौचालय बनाएंगे. इस पर दिलीप ने भी हामी भर दी.
ग्रामीणों और सरपंच की पहल पर कारीगर दिलीप सिंह मालवीय दिन-रात मेहनत करके बिना मेहताना लिए तीन महीनों के भीतर पूरे गांव में करीब 100 शौचालयों का निर्माण कर दिया. गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाने के बाद कारीगर दिलीप सिंह की प्रशंसा के पात्र बन गए हैं. वहीं, गांव की महिलाओं-पुरुषों समेत उनकी पत्नी भी काफी खुश है.
सीहोर जिले के भोजपुरा गांव में रहने वाले बुजुर्ग कारीगर दिलीप सिंह मालवीय ने अपने अनूठे प्रयास से पूरे गांव की तस्वीर ही बदलकर रख दी. उन्होंने बगैर मेहताना लिए गांव के सैंकड़ों घरों में शौचालय बना दिए.
दरसअल, जिले के इछावर इलाके के भोजपुरा गांव में झुग्गी में रहने वाले दिलीप सिंह मालवीय पेशे से मकान कारीगर हैं. दूसरे के घरों का निर्माण करने वाले बुजुर्ग दिलीप सिंह ने खुद के घर में आज तक शौचालय नहीं बना पाया. इस बात उनकी पत्नी बिंदा लंबे समय से विरोध कर रही थी
पत्नी की जिद के चलते कारीगर दिलीप ने अपने घर में शौचालय निर्माण कराया, साथ ही गांव के एक सैंकड़ा घरों में तीन महीने के भीतर बिना मेहताना के शौचालय बना दिए.
कारीगर दिलीप सिंह की मानें तो गांव की महिलाओं और पुरुषों को सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में खुले में शौच के लिए जाना होता था. जिससे चौतरफा गंदगी का माहौल था. जिसे देखकर उन्होंने गांव के सरपंच सुरेंद्र सिंह से संपर्क किया.
हालांकि, सरपंच शौचालय के लिए सरकारी राशि न मिलने से चिंतित था. जिसके बाद ग्राम पंचायत में तय हुआ कि गांव के लोग निर्माण सामग्री का इंतजाम कर लें, तो कारीगर दिलीप सिंह बगैर पैसे लिए शौचालय बनाएंगे. इस पर दिलीप ने भी हामी भर दी.
ग्रामीणों और सरपंच की पहल पर कारीगर दिलीप सिंह मालवीय दिन-रात मेहनत करके बिना मेहताना लिए तीन महीनों के भीतर पूरे गांव में करीब 100 शौचालयों का निर्माण कर दिया. गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाने के बाद कारीगर दिलीप सिंह की प्रशंसा के पात्र बन गए हैं. वहीं, गांव की महिलाओं-पुरुषों समेत उनकी पत्नी भी काफी खुश है.
No comments:
Post a Comment