मौलश्री विश्वेश्वरैया टेक्निल यूनिवर्सिटी बेंगलुरू की गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने इस विवि के एसबी रमैया कॉलेज कर्नाटक से बीटेक किया है। उन्हें यहां बड़ी से बड़ी कंपनियों के ऑफर मिले, लेकिन उन्होंने इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि वे अपने छत्तीसगढ़ के लिए कुछ करना चाहती हैं।
स्कूल के लिए बनाया सॉफ्टवेयर
मौलश्री अभी पाईटेक इंजीनियरिंग कॉलेज में सीईओ हैं। उन्होंने प्रदेश के स्कूलों के लिए मानव संसाधन व्यवस्था प्रणाली के नाम से एक सॉफ्टवेयर बनाया है। इसमें मौलश्री ने बच्चों के स्वास्थ्य, पांचवीं से लेकर दसवीं तक की जानकारी, पिता की आय, बच्चे की विशेषता आदि की जानकारी इनपुट कर एक क्लिक से ही सारी जानकारी डिस्प्ले होने की व्यवस्था बनाई है।
फिलहाल इस सॉफ्टवेयर को शासकीय सारस्वत स्कूल बलौदाबाजार को दिया गया है। मौलश्री ने नईदुनिया से विशेष बातचीत में बताया कि वे पाईटेक के इंजीनियर करमचंद धृतलहरे एवं छात्रों की सहायता से अभी कई सॉफ्टवेयर छत्तीगसढ़ के लिए बनाने में जुटी हुई हैं।
जब भौंचक रह गईं बड़ी कंपनियां
2011 में बीटेक में टॉप करने के साथ ही एलएनटी बेंगलुरू और सैमसंग कंपनी ने उन्हें बड़े पद पर ऑफर दिया। बड़ी से बड़ी कंपनियां गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा को अपनी कंपनी में लेने प्लेसमेंट के लिए पहुंचीं। लेकिन मौलश्री ने सभी कंपनियों के ऑफर ठुकरा दिए तो न केवल कंपनियां बल्कि कॉलेज स्टॉफ और प्रोफेसर भी भौंचक रह गए। मौलश्री ने तब ऑफर ठुकराने की वजह नहीं बताई और मौलाना आजाद नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी भोपाल से 2014 में एमटेक की डिग्री ली।
गांव गोद लेकर काम करेंगी
मौलश्री का कहना है कि वे पाईटेक में सिर्फ इसलिए काम कर रही हैं कि उन्हें कुछ करने के लिए सहायक चाहिए। उन्होंने कहा कि वे यहां के कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्रों के सहयोग से कुछ गांव गोद लेंगी। जहां इंजीनियरिंग के प्रोजेक्ट चलाकर गांव में सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास करेंगी।
प्रदेश में इंजीनियरिंग की क्वांटिटी, क्वालिटी नहीं
मौलश्री ने कहा कि प्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की हर साल सीट तो बढ़ाई जा रही है, लेकिन यहां इंजीनियरिंग में क्वालिटी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब कोई इंजीनियर बाहर जाता है तो कोई भी यह नहीं कहता है कि यह इंजीनियर रायपुर का है। ऐसी स्थिति क्यों बनी है, इस पर गंभीरता के साथ विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एनआईटी और ट्रिपल आईटी का टैग हैे, लेकिन राज्य के सरकारी कॉलेजों का टैग नहीं बन पाया है। मौलश्री के माता-पिता दोनों ही प्रोफेसर हैं
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