नई दिल्ली। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत को आगामी पांच साल में अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 31 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी। क्रिसिल रेटिंग्स व उद्योग मंडल एसोचैम ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के वित्तपोषण पर श्वेत पत्र में यह निष्कर्ष निकाला है।
इसमें कहा गया है कि देश के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए वित्तपोषण की जरूरत बड़ी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें अपने घरों व कारखानों में निर्बाध बिजली आपूर्ति के साथ-साथ सड़कों, दूरसंचार, परिवहन व अन्य शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए अगले पांच साल में 31 लाख करोड़ रुपए से अधिक की जरूरत होगी। इसका मतलब यह हुआ है कि अप्रैल 2015 से लेकर मार्च 2020 तक हमें हर साल छह लाख करोड़ रुपए से अधिक और हर दिन 1700 करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों ने इंफ्रा फाइनेंसिंग में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन इंफ्रा सेक्टर को अब भी भारी पूंजी की जरूरत है। साथ ही बाहर से फंड जुटाने के नए सरल नियम भी इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पेंशन और इंश्योरेंस फंड के जरिये भारी निवेश जुटाया जा सकता है, लेकिन ऐसे फंड्स में निवेश कराना काफी चुनौती भरा होगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बांड मार्केट में निवेश करने वाले सामान्यतौर पर जोखिम के प्रति सजग होते हैं और वे केवल उच्च सुरक्षा वाले पत्रों में ही निवेश को प्राथमिकता देते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कुछ निश्चित जोखिम होते हैं। इसलिए यहां एक इन्नोवेटिव क्रेडिट मेकैनिज्म की जरूरत है ताकि बांड मार्केट के जरिये पैसा जुटाने की सुविधा दी जा सके।
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