Saturday, 19 December 2015

पीएम मोदी के विदेशी दौरों से कैसे भर रहा है देश का खजाना!

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई भी विदेश दौरा बिना भारतीय समुदाय से मिले हुए पूरा नहीं होता। वो भारत से गए लोगों से मिलते हैं, उन्हें आज के भारत से जोड़ते हैं। इसी का असर है कि आज विदेश में रहने वाले हिंदुस्तानियों ने घर में पैसा भेजने के मामले में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि इस साल विदेश में रहने वाले भारतीय अपने देश में 72 बिलियन डॉलर भेजेंगे। इस आंकड़े ने चीन को पीछे छोड़ दिया है।
विदेश में प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में होने वाले ये कार्यक्रम मलेशिया में काम कर रहे 90 से ज्यादा संगठनों की मदद से हुए। यहां रह रहे भारतीय समुदाय को प्रधानमंत्री मोदी ने भी सम्मान दिया, सलाम किया। मलेशिया में ज्यादातर भारतीय दक्षिण भारत से गए हैं इसलिए इस बार पीएम ने हिंदी में भाषण देने के बजाय लोगों को अंग्रेजी में संबोधित किया। पीएम ने कहा कि विदेश में रहने वाले भारतीयों के दिल में आज भी भारत बसता है।

विदेश में रह रहे भारतीयों को अपने देश से जोड़ने की प्रधानमंत्री मोदी की ये कोशिश लगातार कामयाब होती हुई नजर आ रही है। हालांकि पैसा कभी रिश्तों का पैमाना नहीं होता लेकिन वर्ल्ड बैंक के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि पीएम के विदेश दौरों का असर वहां रह रहे भारतीयों में क्या असर हुआ है। अक्टूबर के महीने में आई वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश में रह रहे भारतीय इस साल करीब 72 बिलियन डॉलर भारत भेजेंगे। ये रकम इस साल हुए विदेशी निवेश से भी ज्यादा है। विदेश से भारतीयों के पैसा भेजने की दर हर साल सिर्फ 0.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही थी। पीएम के विदेश दौरों के बाद अब ये दर बढ़कर 2.5 फीसदी पहुंच गई है।
इन आंकड़ों से साफ है कि विदेश में रहने वाले भारतीयों का अपने देश पर भरोसा बढ़ा है। वो भारत में निवेश करना सुरक्षित मान रहे हैं। वो अपने घरवालों को जो पैसे भेजते थे उसमें इजाफा कर रहे हैं। यहां सपत्ति खरीद रहे हैं। बाजार में पैसा लगा रहे हैं। विदेश में भारत के और भारतीय मूल के करीब तीन करोड़ लोग रहते हैं। ये भारतीय इंजीनियरिंग, मेडिकल और तकनीकि कामों में दुनिया के तमाम देशों से कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं। खासतौर पर खाड़ी देशों से भी भारत में काफी पैसा भेजा जाता है। बड़ी बात ये भी है कि अपने देश में पैसा भेजने के मामले में भी भारतीयों ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। ये एक संकेत है। निवेश के मामले में चीन पहले ही भारत से पिछड़ चुका है। अब बारी उसे विकास में पीछे छोड़ने की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त मलेशिया में हैं। आज उन्होंने क्वालालंपुर में 20 हजार से ज्यादा भारतीयों को संबोधित किया। इससे पहले उन्होंने आसियान समिट में फिर दोहराया कि भारत में निवेश के लिए हालात सुधर रहे हैं। लगभग हर देश में प्रधानमंत्री का सबसे ज्यादा जोर देश की छवि सुधारने और ये जताने में है कि उनकी सरकार के आने के बाद बनी नीतियां कारोबार करने के लिए मददगार हैं।
मलेशिया में प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर आह्वान किया है कि भारत में आकर निवेश करें। आसियान समिट के दौरान पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि वो समाज में बदलाव के लिए आर्थिक सुधार पर जोर दे रहे हैं। पीएम ने निवेशकों को समझाया कि कैसे उनकी सरकार के आने के बाद देश की विकास दर बढ़ी है, महंगाई कम हुई है और भारत में कारोबार करना पिछले सालों की तुलना में आसान हुआ है।
पीएम नरेंद्र मोदी दुनिया के तमाम देशों में, वहां के निवेशकों में भरोसा जगा रहे हैं। पीएम मोदी कारोबारियों को, बड़े निवेशकों में ये उम्मीद जगा रहे हैं कि एशिया का ग्रोथ इंजन अगर कोई है तो वो भारत ही है। आंकड़े भी इसके गवाह हैं। लंदन के अखबार फाइनेंसियल टाइम्स के मुताबिक, निवेश के मामले में भारत चीन से आगे निकला। साल 2015 के पहले 6 महीने में भारत में 31 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ। जबकि पिछले साल भर में भारत में कुल 28 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ था। इस साल के 6 महीने में चीन में 28 बिलियन डॉलर विदेशी निवेश हुआ। जबकि पिछले साल चीन में कुल 128 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ था।
यानि पिछले साल चीन में भारत से चार गुना ज्यादा निवेश हुआ था। लेकिन इस साल अब तक निवेश के मामले में भारत ने चीन को पछाड़ दिया है। जाहिर है भारत पूरे एशिया की सबसे बड़ी ताकत बनता हुआ दिख रहा है। दुनिया की हर बड़ी एजेंसी इसकी तस्दीक कर रही है। बड़ी बात ये भी है कि इस दौरान चीन की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट आने की आशंका है। ऐसे में भारत के सामने ये भी चुनौती है कि जो निवेश चीन से कम हो रहा है वो ज्यादा से ज्यादा भारत की तरफ आए। यही वजह है कि पीएम ज्यादा से ज्यादा ऐसे देशों में जा रहे हैं जो भारत में निवेश कर सकते हैं। पीएम के दौरों का ही असर है कि 2019 तक जापान 35 बिलियन डॉलर, चीन 20 बिलियन डॉलर और ब्रिटेन 13 बिलियन डॉलर का भारत में निवेश करेगा।
दुनिया की बड़ी एजेंसियां और निवेशक प्रधानमंत्री मोदी के एक-एक दौरे को परख रहे हैं। निवेशकों का मानना है कि प्रधानमंत्री को अपने देश की जरूरतें पता हैं और वो उन्हीं जरूरतों के मुताबिक अपनी सरकार की नीतियां बना रहे हैं। नवंबर के दूसरे हफ्ते में ही सरकार ने 15 नए क्षेत्रों में एफडीआई के नियमों में बदलाव किया है। पीएम खुद कहते हैं कि उनके लिए एफडीआई का मतलब है- फर्स्ट डवलप इंडिया। इसी नारे और इरादे का असर है कि साल 2016 से 2020 के बीच भारत की विकास दर सालाना 7.3 फीसदी रहने की उम्मीद है। जबकि 2016 से 2020 के बीच पूरे एशिया की विकास दर 6.2 फीसदी सालाना रहने की उम्मीद है। बढ़ती हुई विकास दर, बढ़ता हुआ निवेश पीएम के विदेश दौरों की अलग गवाही दे रहा है। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि सितंबर के महीने तक पीएम की विदेश यात्राओं का खर्च था सिर्फ 41 करोड़ रुपए। जाहिर है ये 41 करोड़ देश में आने वाले निवेश के आंकड़ों के सामने कहीं नहीं टिकते।

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